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Sadqa karne ke Faayede/सदका करने के फायदे

*🌺ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🌺

Sadqa karne ke Faayede/सदका करने के फायदे 

Sadqa karne ke Faayede/सदका करने के फायदे
Sadqa karne ke Faayede


इस्लाम में सदका (दान) करने की बड़ी अहमियत है और आखिरत में कामयाबी का जरिया भी है।Sadqa karne ke Faayede बे शुमार है ! कुरान और हदीस में सदका करने की खूब तरगीब दी गई है और इसे समाज और इंसान के लिए फायदेमंद बताया गया है। सदका कई तरह के होते हैं ?नीचे सदका से जुड़ी बातें आसान तरीके से पेश की गई हैं:

    कुरान और हदीस में सदका का जिक्र

    अल्लाह तआला कुरआन करीम में फ़रमाता है:
    "और तुम जो कुछ भी खर्च करते हो, अल्लाह उसे अच्छी तरह जानता है।"
    (सूरह अल-बक़रह: 273)

    मर्दों और औरतों में से जो लोग सदक़े देनेवाले हैं और जिन्होंने अल्लाह को क़र्ज़े-हसन दिया है, उनको यक़ीनन कई गुना बढ़ाकर दिया जाएगा और उनके लिये बेहतरीन अज्र है।( सूरह हदीद:18)

    सदक़ा गुनाहों को मिटाता है:

    नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
    "सदक़ा गुनाहों को इस तरह मिटा देता है जैसे पानी आग को बुझा देता है।"
    (तिर्मिज़ी, हदीस नंबर 2616)

    सदक़ा का बदला कई गुना मिलता है:

    रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
    "अल्लाह पाक सदक़ा क़ुबूल करता है और उसे अपने दाएं हाथ में लेता है। फिर उसे बढ़ाता है, जैसे कोई व्यक्ति अपने बछड़े को पालता है, यहां तक कि वह पहाड़ के बराबर हो जाता है।"(सहीह बुखारी, हदीस नंबर 1410)

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    सदक़ा मुसीबतों से बचाता है:

    नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
    "सदक़ा करो, क्योंकि यह मुसीबतों और बुराइयों को दूर करता है।"
    (मुसनद अहमद, हदीस नंबर 17716)

    सदक़ा क़यामत के दिन साया होगा:

    आप ﷺ ने फरमाया:
    "क़यामत के दिन हर व्यक्ति अपने सदक़ा के साये तले होगा, जब तक हिसाब-किताब पूरा न हो जाए।"(तिर्मिज़ी, हदीस नंबर 2417)

    उलमा के अक़वाल 

    हजरत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ (रह.):
    "सदक़ा माल को पाक करता है और अल्लाह की बारगाह में कबूलियत का ज़रिया बनता है।"
    इमाम ग़ज़ाली (रह.):
    "सदक़ा देने वाला न सिर्फ अपनी आख़िरत को सँवारता है, बल्कि अपने दिल को भी अल्लाह की मुहब्बत से भर देता है।"
    हज़रत अली (र.अ.):
    "सदक़ा देने से रिज़्क़ (रोज़ी) बढ़ती है और दिल को सुकून मिलता है।"
    इब्न तैमिय्या (रह.):
    "सदक़ा इंसान को अल्लाह के करीब करता है और उसकी दुआ को कबूलियत तक पहुंचाता है।"

    सदका के फायदे

    1. अल्लाह की रज़ा हासिल होती है।
    2. माल में बरकत होती है।
    3. गरीब और जरूरतमंदों की मदद होती है।
    4. गुनाह माफ होते हैं।
    5. आखिरत में कामयाबी का जरिया बनता है।

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    कुछ छोटे छोटे सदकात या दान


    Sadqa karne ke Faayede/सदका करने के फायदे
    Sadqa karne ke Faayede

    • 1. दूसरों को नुकसान पहुंचाने से बचना सदका़ है। [बुख़ारी: 2518]
    • 2. अन्धे को रास्ता बताना सदका है। [इब्न हिब्बान: 3368]
    • 3. बहरे से ऊंची आवाज में बात करना सदक़ा है। [इब्न हिब्बान: 3368]
    • 4. गूँगों को इस प्रकार बताना कि वे समझ सकें। [इब्न हिब्बान: 3377]
    • 5. किसी कमजोर व्यक्ति की मदद करना सदका है। [इब्न हिब्बान: 3377]
    • 6. रास्ते से पत्थर, कांटे और हड्डी हटाना सदका़ है। [मुस्लिम: 1007]
    • 7. मदद के लिए पुकारने वाले की मदद के लिए दौड़ना सदका है। [इब्न हिब्बान: 3377]
    • 8. अपने डोल से किसी भाई को पानी देना सदका है। [तिर्मिधि: 1956]
    • 9. किसी भटके हुए व्यक्ति को रास्ता दिखाना सदका है। [तिर्मिधि: 1956]
    • 10. ला इलाहा इल्लल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
    • 11. सुब्हान अल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
    • 12. अल्हम्दुलिल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
    • 13. अल्लाहु अकबर कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
    • 14. अस्तगफ़िरुल्लाह कहना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1007]
    • 15. भलाई का हुक्म देना सदका है। [मुस्लिम: 1007]
    • 16. बुराई से रोकना सदका है. [मुस्लिम: 1007]
    • 17. सवाब की नियत से अपने परिवार पर खर्च करना सदका है। [बुख़ारी: 55]
    • 18. दो व्यक्तियों के बीच न्याय करना सदका है. [बुख़ारी: 2518]
    • 19. किसी आदमी को सवारी पर बैठाना या उसका सामान सवारी पर रखवाना सदक़ा है। [बुख़ारी: 2518]
    • 20. अच्छी बातें कहना सदका है. [बुख़ारी: 2589]
    • 21. इबादत के लिए उठाया गया हर कदम सदक़ा है. [बुख़ारी: 2518]
    • 22. किसी कष्टदायक वस्तु को रास्ते से हटाना सदका है. [बुख़ारी: 2518]
    • 23. खुद खाना सदका है. [नसाई- कुबरा:9185]
    • 24. अपने बेटे को खिलाना सदका  है। [नसाई- काबरीः 9185]
    • 25. अपनी पत्नी को खिलाना सदका दान है। [नसाई- काबरीः 9185]
    • 26. अपने सेवक को खिलाना सदका है। [नसाई- काबरीः 9185]
    • 27. संकट में पड़े किसी जरूरतमंद की सहायता करना सदका है। [नसाई: 253]
    • 28. अपने भाई से मुस्कुराकर मिलना सदक़ा है. [तिर्मिधि: 1963]
    • 29. पानी का एक घूंट दान है. [अबू याली: 2434]
    • 30. अपने भाई की मदद करना सदका है. [अबू याली: 2434]
    • 31. मिलने वाले को सलाम करना सदका है। [अबू दाऊद: 5243]
    • 32. आपस में सुलह करवाना सदका है. [बुख़ारी - दिनांक: 259/3]
    • 33. जो कुछ तुम अपने पेड़ या फसल से खाते हो वह तुम्हारे लिए सदका है। [मुस्लिम: 1553]
    • 34. भूखे को खाना खिलाना सदका है. [बहाकी - शआ़ब: 3367]

    • 35. पानी पिलाना सदका है. [बहाकी - शआ़ब: 3368]
    • 36. दो बार क़र्ज़ देना एक बार दान देने के बराबर है। [इब्न माजाः 3430] 
    • 37. किसी आदमी को अपनी सवारी पर बैठा लेना सदक़ा है। [मुस्लिम: 1009]
    • 38. गुमराही की सर ज़मीन पर किसी को हिदायत देना सदक़ा है। [तिर्मिधि: 1963]
    • 39. जरूरतमंदों की मदद करना या काम आना सदका है. [इब्न हिब्बन: 3368]
    • 40. इल्म सीखना और उसे मुस्लिम भाई को सिखाना सदक़ा है। [इब्न माजाः 243]

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     صدقہ کرنے کے فائدے

    صدقہ اسلام میں ایک عظیم عبادت اور اخروی نجات کا ذریعہ ہے۔ Sadqa karne ke Faayede بے شمار ہیں.قرآن مجید اور احادیث نبویہ میں صدقہ کی ترغیب دلائی گئی ہے اور اسے معاشرتی و روحانی فوائد کا سبب قرار دیا گیا ہے۔ علماء کرام نے بھی صدقہ کی اہمیت کو اجاگر کیا ہے۔ ذیل میں صدقہ کے حوالے سے احادیث مبارکہ اور علماء کرام کے اقوال پیش کیے جا رہے ہیں:

    قرآن کریم اور احادیث میں صدقہ کا ذکر

    اللہ تعالیٰ قرآن کریم میں فرماتا ہے:"وَمَا تُنفِقُوا۟ مِن شَىْءٍۢ فَإِنَّ ٱللَّهَ بِهِۦ عَلِيمٌ"(سورۃ البقرہ: 273)"اور جو کچھ تم خرچ کرو گے، اللہ اس سے بخوبی واقف ہے۔"
    بیشک صدقہ دینے والے مرد اور صدقہ دینے والی عورتیں اور جو اللہ کو خلوص کے ساتھ قرض دے رہے ہیں ۔ ان کے لئے یہ بڑھایا جائے گا اور ان کے لئے پسندیدہ اجر و ثواب ہے ۔ (سورۃ حدید:18)

    صدقہ گناہوں کو مٹاتا ہے:

    نبی کریم ﷺ نے فرمایا:
    "صدقہ گناہوں کو اس طرح مٹا دیتا ہے جیسے پانی آگ کو بجھا دیتا ہے۔"
    (ترمذی، حدیث نمبر 2616)

    صدقہ کا بدلہ کئی گنا ملتا ہے:

    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "اللہ پاک صدقہ قبول فرماتا ہے اور اسے اپنے دائیں ہاتھ میں لیتا ہے، پھر اس کو بڑھاتا ہے، جیسے کوئی شخص اپنے بچھڑے کو پالتا ہے، یہاں تک کہ وہ پہاڑ کے برابر ہو جاتا ہے۔"
    (صحیح بخاری، حدیث نمبر 1410)

    صدقہ مصیبتوں سے بچاتا ہے:

    نبی کریم ﷺ نے فرمایا:
    "صدقہ کرو، کیونکہ یہ مصیبتوں اور برائیوں کو دور کرتا ہے۔"
    (مسند احمد، حدیث نمبر 17716)

    صدقہ قیامت کے دن سایہ ہوگا:

    آپ ﷺ نے فرمایا:
    "قیامت کے دن ہر شخص اپنے صدقہ کے سایہ تلے ہوگا، جب تک حساب کتاب پورا نہ ہو جائے۔"(ترمذی، حدیث نمبر 2417)
    "صدقہ دینے سے مال کم نہیں ہوتا، اور جس شخص نے اللہ کی راہ میں صدقہ دیا، اللہ اسے اس سے بہتر عطا کرے گا۔" (مسلم)

    صدقہ بیماریوں کا علاج ہے:

    آپ ﷺ نے فرمایا:
    "اپنے بیماروں کا علاج صدقہ کے ذریعے کرو۔"(سنن ابو داود: 3858)


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    علماء کرام کے اقوال

    حضرت عمر بن عبدالعزیزؒ:
    "صدقہ مال کو پاک کرتا ہے اور اللہ کی بارگاہ میں مقبولیت کا ذریعہ بنتا ہے۔"
    امام غزالیؒ:
    "صدقہ کرنے والا نہ صرف اپنی آخرت کو سنوارتا ہے بلکہ اپنے دل کو بھی اللہ کی محبت سے لبریز کرتا ہے۔"
    حضرت علیؓ:
    "صدقہ دینے سے رزق بڑھتا ہے اور دل میں سکون پیدا ہوتا ہے۔"
    ابن تیمیہؒ:
    "صدقہ انسان کو اللہ سے قریب کرتا ہے اور اس کی دعا قبولیت کے درجے تک پہنچتی ہے۔"

    صدقہ کے فوائد

    1. اللہ کی رضا حاصل ہوتی ہے۔
    2. صدقہ سے دل کی سکونت اور برکت آتی ہے
    3. مال میں برکت ہوتی ہے۔
    4. غربت اور ضرورت مندوں کی مدد ہوتی ہے۔
    5. گناہوں کی معافی ملتی ہے۔
    6. قیامت کے دن نجات کا سبب بنتا ہے۔

    صدقہ کے آداب

    • صدقہ خالص نیت سے دینا چاہئے، یعنی صرف اللہ کی رضا کے لیے۔
    • صدقہ دیتے وقت تکبر اور دکھاوے سے بچنا چاہئے۔
    • صدقہ دینے کا وقت اور جگہ بھی اہم ہے، اور مستحق افراد کی شناخت ضروری ہے۔

    کُچّھ چھوٹے چھوٹے صدقات 

    1. دوسرے کو نقصان پہونچانے سے بچنا صدقہ ہے۔ (بخاری: 2518)
    2. اندھے کو راستہ بتانا صدقہ ہے۔ (ابن حبان: 3368)
    3. بہرے سے تیز آواز میں بات کرنا صدقہ ہے۔ (ابن حبان: 3368)
    4. گونگے کو اس طرح بتانا کہ وہ سمجھ سکے صدقہ ہے۔ (ابن حبان: 3377)
    5. کمزور آدمی کی مدد کرنا صدقہ ہے۔ (ابن حبان: 3377)
    6. راستے سے پتھر,کانٹا اور ہڈی ہٹانا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    7. مدد کے لئے پکارنے والے کی دوڑ کر مدد کرنا صدقہ ہے۔ (ابن حبان: 3377)
    8. اپنے ڈول سے کسی بھائی کو پانی دینا صدقہ ہے۔ (ترمذی: 1956)
    9. بھٹکے ہوئے شخص کو راستہ بتانا صدقہ ہے۔ (ترمذی: 1956)
    10. لا الہ الا الله کہنا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    11. سبحان الله کہنا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    12. الحمدلله کہنا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    13. الله اکبر کہنا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    14. استغفرالله کہنا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    15. نیکی کا حکم دینا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    16. برائی سے روکنا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1007)
    17. ثواب کی نیت سے اپنے گھر والوں پر خرچ کرنا صدقہ ہے۔ (بخاری: 55)
    18. دو لوگوں کے بیچ انصاف کرنا صدقہ ہے۔ (بخاری: 2518)
    19. کسی آدمی کو سواری پر بیٹھانا یا اس کا سامان اٹھا کر سواری پر رکھوانا صدقہ ہے ۔ (بخاری: 2518)
    20. اچھی بات کہنا صدقہ ہے۔ (بخاری: 2589)
    21. نماز کے لئے چل کر جانے والا ہر قدم صدقہ ہے۔ (بخاری: 2518)
    22. راستے سے تکلیف دہ چیز ہٹانا صدقہ ہے۔ (بخاری: 2518)
    23. خود کھانا صدقہ ہے۔ (سنن نسائی - کبری: 9185)
    24. اپنے بیٹے کو کھلانا صدقہ ہے۔ (سنن نسائی - کبری: 9185)
    25. اپنی بیوی کو کھلانا صدقہ ہے۔ (سنن نسائی - کبری: 9185)
    26. اپنے خادم کو کھلانا صدقہ ہے۔ (سنن نسائی - کبری: 9185)
    27. کسی مصیبت زدہ حاجت مند کی مدد کرنا صدقہ ہے۔ (سنن نسائی: 253)
    28. اپنے بھائی سے مسکرا کر ملنا صدقہ ہے۔ (ترمذی: 1963)
    29. پانی کا ایک گھونٹ پلانا صدقہ ہے۔ (ابو یعلی: 2434)
    30. اپنے بھائی کی مدد کرنا صدقہ ہے۔ (ابو یعلی: 2434)
    31. ملنے والے کو سلام کرنا صدقہ ہے۔ (ابو داﺅد: 5243)
    32. آپس میں صلح کروانا صدقہ ہے۔ (بخاری - تاریخ: 259/3)
    33. تمہارے درخت یا فصل سے جو کچھ کھائے وہ تمہارے لئے صدقہ ہے۔ (مسلم: 1553)
    34. بھوکے کو کھانا کھلانا صدقہ ہے۔ (بیہقی - شعب: 3367)
    35. پانی پلانا صدقہ ہے۔ (بیہقی - شعب: 3368)
    36. دو مرتبہ قرض دینا ایک مرتبہ صدقہ دینے کے برابر ہے۔ (ابن ماجہ: 3430)
    37. کسی آدمی کو اپنی سواری پر بٹھا لینا صدقہ ہے۔ (مسلم: 1009)
    38. گمراہی کی سر زمین پر کسی کو ہدایت دینا صدقہ ہے۔ (ترمذی: 1963)
    39. ضرورت مند کے کام آنا صدقہ ہے۔ (ابن حبان: 3368)
    40. علم سیکھ کر مسلمان بھائی کو سکھانا صدقہ ہے۔ (ابن ماجہ: 243)

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    نتیجہ

    صدقہ دینا نہ صرف ایک مذہبی فریضہ ہے بلکہ یہ معاشرتی عدل و انصاف کو فروغ دینے کا ذریعہ بھی ہے۔ مسلمان کو چاہیے کہ وہ ہر حال میں صدقہ کرے، چاہے تھوڑا ہو یا زیادہ، کیونکہ اللہ تعالیٰ نیت اور اخلاص کو دیکھتا ہے۔ 

    Conclusion:

    Sadqa karne ke Faayede बे शुमार हैं! सदका देना न सिर्फ अल्लाह के करीब करता है बल्कि समाज में इंसाफ और भलाई को बढ़ावा देता है। हर मुसलमान को अपनी हैसियत के मुताबिक सदका जरूर करना चाहिए, चाहे वह थोड़ा ही क्यों न हो, क्योंकि अल्लाह नीयत और दिल का हाल देखता है। इसे अल्लाह की खुशी के लिए करना चाहिए। सदका दिल से किया गया नेक काम है जो दोनों जहां में काम आता है 

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    FAQs:

    सवाल 1: सदका क्या है?
    जवाब: सदका का मतलब है अपनी खुशी से अल्लाह की राह में जरूरतमंदों को मदद देना। यह माल, खाने-पीने की चीज़ें, कपड़े, या कोई और भलाई हो सकती है।

    सवाल 2: सदका क्यों देना चाहिए?
    जवाब: सदका देने से अल्लाह की रज़ा हासिल होती है, गुनाह माफ होते हैं, मुसीबतें टलती हैं, और आखिरत में इनाम मिलता है। साथ ही, यह समाज में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद का जरिया है।

    सवाल 3: सदका कौन-कौन दे सकता है?
    जवाब: सदका हर वह इंसान दे सकता है जो किसी भी तरीके से दूसरों की मदद करने की हैसियत रखता हो। यह जरूरी नहीं कि सिर्फ पैसे दिए जाएं, नेक सलाह, मुस्कुराहट या दूसरों की भलाई करना भी सदका है।

    सवाल 4: सदका का इनाम क्या है?
    जवाब: सदका देने से अल्लाह गुनाहों को माफ करता है, माल में बरकत देता है, और कयामत के दिन सदका देने वाले को साया नसीब होगा।

    सवाल 5: कौन-सी चीजें सदका में दी जा सकती हैं?
    जवाब: सदका में पैसे, खाना, कपड़े, पानी, दवाइयां, या जरूरतमंद की कोई भी जरूरत पूरी की जा सकती है।

    सवाल 6: क्या सदका सिर्फ पैसे देने को कहते हैं?
    जवाब: नहीं, सदका सिर्फ पैसे देने तक सीमित नहीं है। किसी की मदद करना, रास्ते से रुकावट हटाना, मुस्कुराना, और अच्छे शब्द कहना भी सदका है।

    सवाल 7: क्या छोटे सदके का भी इनाम होता है?
    जवाब: जी हां, अल्लाह नीयत को देखता है। चाहे सदका छोटा हो या बड़ा, अगर दिल से दिया गया हो तो उसका इनाम जरूर मिलता है।

    सवाल 8: सदका कब देना चाहिए?
    जवाब: सदका किसी भी वक्त दिया जा सकता है। हालांकि, रमजान के महीने और मुसीबत के वक्त इसका सवाब और भी बढ़ जाता है।

    सवाल 9: क्या हर मुसलमान पर सदका देना फर्ज है?
    जवाब: सदका फर्ज नहीं है, लेकिन यह एक नेक काम और सुन्नत है। जो इंसान जकात देने की हैसियत रखता है, उसे जकात देना फर्ज है।

    सवाल 10: सदका देने से क्या नुकसान भी हो सकता है?
    जवाब: अगर सदका दिखावे या अहंकार के साथ दिया जाए तो इसका सवाब नहीं मिलता। इसे सिर्फ अल्लाह की खुशी के लिए और इखलास (सच्चे दिल) के साथ देना चाहिए।

    सवाल 11: सदका का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
    जवाब: सदका का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जरूरतमंद की पहचान करके उसकी इज्जत का ख्याल रखते हुए उसकी मदद की जाए, ताकि उसे शर्मिंदगी महसूस न हो।

    सवाल 12: क्या किसी जानवर को खाना खिलाना भी सदका है?
    जवाब: जी हां, किसी जानवर को खाना या पानी देना भी सदका है। नबी ﷺ ने जानवरों के साथ भलाई करने पर जोर दिया है।




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