Libaas insaan ki zeenat hai/लिबास इन्सान की ज़ीनत है!
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Libaas insaan ki zeenat hai |
Libaas insaan ki zeenat hai और इंसान की बुनियादी ज़रूरतों में से एक ज़रूरत है! लिबास का मुआ़मला इतना आसान नही है कि आदमी जो चाहे जैसा चाहे अपनी मन मर्ज़ी से लिबास पहनता रहे। लिबास का असर इंसान के अख़लाक व किरदार और उसकी जिंदगी पर भी पड़ता है। इसलिए लिबास को माअ़मूली समझ कर नजर अंदाज न करें और लिबास के बारे में शरीअ़त के जो उसूल हैं वह समझ लेना चाहिए और हमें उनकी पैरवी भी करनी जरूरी है !
इस्लाम की तआ़लीमात ज़िन्दगी के हर शोबे पर मुहीत हैं लिहाज़ा उनका तअ़ल्लुक हमारी मआ़शरत और रहन-सहन के हर हिस्से से हैं। जिंदगी का कोई गोशा इस्लाम की तआ़लीमात से ख़ाली नहीं है। लिबास भी जिंदगी के गोशों में से अहम गोशा है। इसलिए कुरआन व सुन्नत ने इसके बारे में भी हिदायात दी है!
शरीअ़त ने कोई लिबास मख़्सूस नहीं किया:- शरीअ़त ने लिबास के बारे में बड़ी मोअ़तदिल तआ़लीमात अता फ़रमाई हैं इसलिए शरीअ़त ने कोई ख़ास लिबास मुकर्रर करके और उसकी अहमियत बताकर यह नहीं कहा कि हर आदमी के लिए ऐसा लिबास पहनना ज़रूरी है। लिहाज़ा जो शख़्स इस शक्ल से हटकर लिबास पहनेगा वह शरीअ़त के खिलाफ होगा। ऐसा इसलिए नहीं कहा कि इस्लाम दीने फि़तरत है और हा़लात के लिहाज़ से मुख्त़लिफ मुल्कों के लिहाज़ से वहां के मौसमों के लिहाज़ से वहां की ज़रूरीयात के लिहाज़ से लिबास मुख्त़लिफ हो सकता है! इस्लाम ने लिबास के बारे में कुछ बुनियादी शर्त और उसूल दिए हैं हमें इसलिए लिबास मे इन शर्तों का ख़्याल रखना बेहद जरूरी है!
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लिबास इंसान की ख़ूबसूरती, आकर्षण और तमीज़ का बाइस है।
इर्शाद बारी तआला है:"ए बनी आदम! हमने तुम पर लिबास नाज़िल किया जो तुम्हारी शर्मगाह को ढापता है और ज़ीनत भी है, और बेहतरीन लिबास तक़वा का लिबास है। ये अल्लाह की निशानियों में से एक निशानी है। शायद लोग नसीहत हा़सिल करें! ऐ आदम के बेटों और बेटियों ! ऐसा ना हो कि शैतान कहीं फ़ितने में मुब्तिला कर दे, जैसा की उसने तुम्हारे मां बाप को जन्नत से निकलवा दिया था। और उनसे उनके लिबास उतरवा दिए थे। ताकि उन्हें उनकी शार्मगाह दिखाए वह और उसका क़बीला तुम्हे ऐसी जगह से देखते हैं, जहां से तुम उन्हें नहीं देख सकते। हमने शैतान को उन का सरपरस्त बना दिया है जो ईमान नहीं लाते।" [सूरह अल आराफ़, आयत 26-28]
यूं तो अल्लाह सुबहा़न व तआ़ला ने इस दुनियां को मुख़्तलिफ़ चीज़ों से सजाया है और तमाम मख़लूक़ात को बेहिसाब नेअ़मतों से नवाज़ा है लेकिन सबसे ख़ूबसूरत नेअ़मत इंसान को मिली "लिबास" जो कि जन्नत में आदम अलैहिस्सलाम को दिया गया था।
लिबास पहनते वक्त ये सोचिए कि ये ख़ास नेअ़मत है जिसे अल्लाह सुबहा़न व तआ़ला ने सिर्फ़ इंसान को ही नवाज़ा है दूसरी मख़लूक़ात इस नेअ़मत से महरूम हैं। इस इम्तियाज़ बख़्शिश व इनाम पर हम इंसानों को अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का शुक्र अदा करना चाहिए।
इस्लाम को मानने वाले दुनियां के मुख़्तलिफ़ इ़लाकों में रहते हैं चूंकि इस्लाम तमाम दुनिया के लिए है और तामाम आ़लम के लिए आसानी चाहता है, इसलिए इस्लाम मे मुसलमान को कोई ख़ास लिबास नही दिया, ताकि कहीं मुसलमानों के लिए कोई मुशिकल न हो, बस शरिअ़त ने कुछ शर्त बयान की है जिस लिबास मे वह शर्तें पूरी होगी वह इस्लामी लिबास कहलायेगा। इसलिए मुसलमानों को लिबास मे इन शर्तों का ख़्याल रखना बेहद जरूरी है!
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इस्लामी लिबास की शराइत
बारीक और तंग कपड़े की मनाही:
कपड़ा इतना मोटा हो कि उससे जिस्म नज़र न आये। इतना तंग सिला हुआ न हो कि आ'ज़ा (बॉडी पार्ट) की बनावट ज़ाहिर होती हो।
ऐसा लिबास जो कुफ़्फ़ार के मुशाबेह न हो:
शोहरत का लिबास पहनने की मनाही
हज़रत अब्दुल्लाह-बिन-उ़मर (रज़ि०) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया, "जो शख़्स दुनिया में शोहरत का लिबास पहनेगा अल्लाह तआला उसे क़ियामत के दिन ज़िल्लत का लिबास पहनाएगा फिर उसमें आग भड़का देगा।" [अबू दाऊद: 4029; इब्न माजा: 3607]
रेशम का लिबास मर्दों पर हराम है
हज़रत अली-बिन-अबी-तालिब (रज़ि०) ने बयान किया कि अल्लाह के नबी ﷺ ने रेशम लिया और अपने दाएँ हाथ में पकड़ा और सोना लिया और अपने बाएँ हाथ में पकड़ा, फिर फ़रमाया, "बेशक ये दोनों मेरी उम्मत के मर्दों पर हराम हैं।" [अबू दाऊद: 4057]
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सिर्फ़ उसी कपड़े से मना फ़रमाया है जो ख़ालिस रेशमी हो। लेकिन अगर रेशमी धागे से कढ़ाई हुई हो या उसका ताना रेशमी हो तो इससे कोई हरज नहीं। [अबू दाऊद: 4055]
रसूलुल्लाह ﷺ का पसंदीदा लिबास
क़तादा रजीo ने हदीस बयान की, कहा: हमने हज़रत अनस-बिन-मालिक (रज़ि०) से पूछा: रसूलुल्लाह (ﷺ) को किस क़िस्म का लिबास ज़्यादा महबूब था? उन्होंने कहा: "धारीदार (यमनी) चादर।" (सहीह मुस्लिम 5440; अबू दाऊद: 4060)
हज़रत इब्ने-अब्बास (रज़ि०) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया, "सफ़ेद कपड़े पहना करो बेशक ये तुम्हारे कपड़ों में सबसे बेहतर हैं और इन्ही में अपनी मैयतों को कफ़न दिया करो। और तुम्हारे सुरमों में सबसे बेहतर सुरमा अस्मद है ये आंखों की बिनाई को तेज़ करता है और पलकों को उगाता है! (मुसनद अहमद:3112)
और औरतों के बारे में है की अगर औरत ने इतना बारीक दुपट्टा ओढ़ रखा है जिससे बाल की सियाही चमके और उसे ओढ़ कर नमाज़ पढ़े तो नमाज़ नहीं होगी। पूरे जिस्म को छुपाना यानी जितना छुपाने का हुक़्म (मतलब दोनो कलाई और पैर के उंगलियों का कुछ हिस्सा), उसके अलवा सतर का खोलना या दिखना जायज़ नहीं। यह इस्लामी लिबास की अमूमी शर्ते हैं!
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आज के दौर का लिबास और फ़ैशन
Libaas insaan ki zeenat hai लेकिन फ़ैशन के इस दौर ने औ़रत को बिल्कुल नंगा कर दिया है। आज समाज में बेह़याई आ़म होती जा रही है। औरतें ख़ुद भी और अपनी बच्चियों को भी ऐसा लिबास पहनाना शुरु कर दिया है कि अगर लिबास में भी हो तो पूरा जिस्म नुमाया होता है यानी लिबास पहनने के बावजूद भी ऐसी नज़र आयेगी जैसे लिबास में न हो! आज का लिबास क्या है?
टाइटजीन्स, टॉप, शर्ट, क़मीज़ और गले इतने खुले जैसे कधे और आस्तीन का कुछ पता ही नहीं और दुपट्टा ख़त्म होता जा रहा!रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया, "कुछ औरतें हैं जो कपड़ा पहनने के बाद भी नंगी होंगी दूसरों को गुनाह पर माइल (आकर्षित ) करने वाली हैं और खुद भी माइल होने वाली हैं। ऐेसी औरतें हरगिज जन्नत में नहीं जाऐगी और न इस की खुश्बू सूंघ पाऐगी हॉलाकि इसकी खुशबू इतने लंबे फासले से महसूस होती होगी।" [सहीह मुस्लिम 2128]
गौर ओ फ़िक्र करने वाली बात
अफ़सोस की बात है कि आज उम्मतें मुस्लिमा गुमराह हो गई है और वेस्टर्न कल्चर को फ़ॉलो कर जहन्नम खरीद रही है। इसके सबसे बड़े गुनाहगार वह वालदेन और भाई हैं जिनकी जवान बहने और बेटियां ऐसा लिबास पहन रही जिस से उनका जिस्म साफ़ ज़ाहिर होता है।
बिनते हव्वा से (दरख़वास्त)
1. लिबास खरीदते हुए ऐसा कपड़ा लें जिसमें आपका जिस्म नज़र ना आये, सिलवाते हुए गला छोटा रखवायें के झुककर कोई चीज़ पकड़ें या घर की सफाई करते वक़त बेपर्दगी ना हो!
2. लिबास थोड़ा खुला सिलवायें कि इंसान इंसान की तरह लगे ना कि जानवरों की खाल सा चिपका हुआ!
3. घर से बाहर निकलते हुए अगर आप बुर्क़ा नहीं पहनती हैं तो एहतियातन एक चादर ज़रूर रखा करें के बारिश होने पर लिबास से जिस्म नज़र ना आये या पसीने की वजह से भीग जाने पर जिस्म नुमाया हो तो चादर में लपेट लें!
4. गर्मियों में लॉन के सादे लिबास के नीचे शमीज़ ज़रूर पहनें!
5. रास्ते में चलते हुए दुपट्टा खिसक गया है तो उसे पूरा उतारकर दुरुस्त मत करें बल्कि सलीक़े से कुछ हिस्सा सीने पर रहने दें और बाक़ी आराम से दुरुस्त कर लें!
6. इस्लाम सर के बाल छुपाने के साथ-साथ जिस्म छुपाने का भी हुक्म देता है!
ध्यान दें;मेरी प्यारी बहनों आप बिनते हव्वा हैं, आप की ह़या आप का सबसे बड़ा ज़ेवर है। याद रखें ह़या की चादर उतर जानें के बाद फिर औरत, औरत नहीं रह जाती!इब्न ए आदम से दरख़वास्त
ऐ इब्न ए आदम !आप अपने घर वालों के ख़ुद ज़िम्मेदार हैं, मह़शर के मैदान में हर रायी से उसकी रिआया के बारे में सवाल किया जाएगा!
हर बाप और भाई को चाहिए कि अपनी इज़्ज़त और जिम्मेदारी का ख्याल रखें, आपके साथ आपकी बीवी-बेटी मॉडर्न लिबास पहनकर चल रही हो तो जितने मर्द-ओ-ख़्वातीन उसे देखकर फ़ितने में मुब्तिला होंगें उसका गुनाह आप पर है और रोज़ ए महसर कल क्या होगा? जब अल्लाह की पकड़ होगी और अल्लाह तआ़ला के हुज़ूर हर शख्स को अकेले अकेले जाना होगा!
मोमिन मर्दों को चाहिए कि वे अपने घर की ख़्वातीन को मुकम्मल अच्छा लिबास पहनाएं और औरतों को चाहिए कि मुकम्मल ढका हुआ लिबास पहने और अपनी ज़ीनत की चीज़े किसी पर ज़ाहिर न करें।
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