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Namaz Kya hai ?/नमाज़ क्या है?

Namaz Kya hai ?/ नमाज़ क्या है?

Namaz Kya hai
Namaz Kya hai


क्या आप ने कभी गौर किया है की Namaz Kya hai ? यह क्यों हम पर फ़र्ज़ किया गया ?इस्लाम में कलमा ए शहादत के बाद इस्लाम का सबसे पहला रुकन नमाज है, और हर अक़ल वाले व बालिग़ मुसलमान व औरत पर पाँच नमाजें फ़र्ज़ हैं! और ये ऐसी एक इबादत या फ़र्ज़ है की जिस के बिना क़यामत के दिन कोई भी नेकी क़बूल नहीं की जायेगी! अगर कोई बेनमाजी़ हु़वा तो उसकी बड़ी से बड़ी नेकी भी बरबाद हो जायेगी !

    अल्लाह सुब्हान व तआला फ़रमाता है : मैं ही अल्लाह हूँ, मेरे सिवा कोई ख़ुदा नहीं है, इसलिये तू मेरी बन्दगी कर और मेरी याद के लिये नमाज़ क़ायम कर ! (सूरत ताहा : 14 )             नमाज़ एक ऐसी नेकी है जो बुराईयों को मिटा देती है! (सूरत हुद: 114)

    Namaz Kya hai
    Namaz Kya hai

     Namaz Kya hai ? अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: नमाज़ धर्म का स्तंभ  है, इस्लाम और कुफ़्र के बीच, मुसलमानों और मुनकिरों के बीच अंतर करने वाला अमल नमाज़ ही है, और कयामत के दिन, इबादात में बंदे से सबसे पहले उसकी नमाज़ का हिसाब होगा, अगर ठीक रही तो कामयाब, अगर ख़राब निकली तो नाकाम और ना मुराद! (सुनान अल-तिर्मिधि: 413)


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    कुछ और हदीसें नमाज़ से मुताल्लिक

    • नमाज़ नूर है! (सहीह मुस्लिम: 769/534)
    • यह हमें अल्लाह के साथ हमकलाम होने का शरफ़ बख्श्ती है! (सहीह मुस्लिम: 904)
    • नमाज़ ईमान और कुफ्र के बीच अंतर करती है! (सुनान अल-तिर्मिधि: 2618)
    • नमाज़ हमारा अफ़ज़ल वाला अमल है! (सुनान इब्न माजाः 278,)
    • नमाज़ में मेरी आंखों की ठंडक हैं! (सुनन अल-नसाई: 3939)
    • नमाज़ से राहत मिलती है ! [अबू दाऊद : 4985]
    • नबी को जब भी कोई अहम मुआमला पेश आता तो आप फ़ौरन नमाज़ का एहतमाम करते !   (अबू दाऊद: 1419)
    • नबी ने दुनिया छोड़ते समय नमाज़ की पाबन्दी करने की वसीयत की!                                (मुसनद अहमद : 12190)
    • नमाज़ सांसारिक कष्टों से मुक्ति का साधन है ! (अल-माजिम अल-कबीर, अल-तबरानी द्वारा: 6215)
    • और जिसने नमाज़ छोड़ दी, तो उसका कोई धर्म नहीं, क्योंकि नमाज़ धर्म का आधार है।
    • (शाब अल-ईमान-अल-बैहकी: 25 )

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    नमाज़ किसी भी हाल में मआ़फ़ नही

    हर एक मुसलमान मर्द और औ़रत पर पांच वक्त की नमाज़ फ़र्ज़ है। नमाज़ की छूट किसी भी हा़लत में नहीं है। जब तक आदमी होश में है, तब उस पर नमाज़ मआ़फ़ नहीं है। अगर आदमी सफर में हैं तो भी उस पर नमाज़ की छूट नहीं है। हां आधी नमाज़ पढ़ सकता है। औरत के लिए कुछ दिनों में नमाज़ की छूट है।

    इसलिए, चाहे खूशी हो या ग़म, स्वस्थ हो या बीमार, जंग यानी युद्ध की हालत में हो या अमन की हालत में, यात्रा पर हो या अपने मकान में, रात हो या दिन हर हाल में सभी अ़क़ल वाले और बालिग़ मुसलमानों पर नमाज़ फ़र्ज़ है, यानी जब तक सांस की डोरी शरीर से बंधी है तब तक नमाज़ मआ़फ़ नही है!

    मेरे इस्लामी भाइयों और बहनों ! हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं वह मातम और गम का दौर है, क्योंकि मुसलमानों की अक्सरियत नमाज़ की अदाएगी से ग़फ़लत व सुस्ती बरत रही है और नमाज़ जैसी महत्वपूर्ण अहम इबादत को बर्बाद कर रहे हैं। हम दुनियावी फ़ायदे के लिए नमाज़ को देर से या क़जा करके पढ़ते हैं या कभी ऐसा भी होता है की कुछ लोग मामूली से काम के लिए नमाज़ छोड़ भी देते हैं!

    कुछ लोगों की लापरवाही और सुस्ती का ये हाल है की उन्हों ने नमाज़ को पूरी तरह से त्याग दिया है, नमाज़ को बिलकुल छोड़ चुके है वो कभी नमाज़ की तरफ अपने कदम बढ़ाते ही नहीं है ! और कुछ मुसलमान कहलवाने वाले केवल शुक्रवार और दोनो ईद की नमाज़ अदा करते हैं और अन्य पांच वक्त की नमाज़ों से खुद को बिलकुल किनारा कर लिया है, 

    और एक समूह ऐसा भी है जो नमाज़ अदा तो करता है लेकिन जमाअ़त के बिना, हालांकि के उ़लमा के सही कौ़ल के मुताबिक़ हर उस शख्स जो सेहतमंद हो और अज़ान की आवाज सुनता हो मस्जिद में जा कर मुसलमानो के साथ मस्जिद में जाकर जमाअ़त से नमाज़ पढ़ना वाजिब है !


    नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया:जो शख्स अज़ान की आवाज़ सुन और मस्जिद में जमाअ़त से नमाज़ पढ़ने के लिए न जाए तो उसकी नमाज़ ही नहीं होती अगर कोई मजबूरी की हालत न हो !

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    Conclusion:

    नमाज़ तमाम फ़राईज़ में से एक बहुत ही अहम फ़र्ज़ है और यह हर अक़ल वाले व बालिग़ मुसलमान व औरत पर फ़र्ज़ हैं! ये एक ऐसी इबादत या फ़र्ज़ है की जिस के बिना क़यामत के दिन कोई भी नेकी क़बूल नहीं की जायेगी ! इस लिए आप पांचों वक्त के नमाजों का पाबंदी से एहतमाम करें और वक्त पर अदा करें ताकी आखि़रत में कामयाबी हा़सिल हो !

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    ˡᶦᵏᵉ    ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ


    FAQ:

    Que : Namaz Kya hai ?
    Ans:इस्लाम धर्म में कलमा ए शहादत के बाद इस्लाम का सबसे पहला रुकन नमाज़ है,अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: नमाज़ धर्म का स्तंभ है, इस्लाम और कुफ़्र के बीच, मुसलमानों और मुनकिरों के बीच अंतर करने वाला अ़मल नमाज़ ही है, 

    Que: क्या नमाज़ की माआ़फ़ी या छूट है ?
    Ans:  हर मुसलमान मर्द और औ़रत पर पांच वक्त की नमाज़ फर्ज है। नमाज़ की छूट किसी भी हा़लत में नहीं है। जब तक आदमी होश में है, तब उस पर नमाज़ मआ़फ़ नहीं है। अगर आदमी सफर में हैं तो भी उस पर नमाज़ की छूट नहीं है। हां आधी नमाज़ पढ़ सकता है। औ़रत के लिए कुछ दिनों में नमाज की छूट है।

    Que: नमाज़ किन पर फ़र्ज़ है ?
    Ans: हर बालिग़ बच्चे, मर्द व औ़रत और अ़क़ल वालों पर नमाज़ फ़र्ज़ है !

    Que: नमाज़ कैसा अ़मल है ?
    Ans: नमाज़ इस्लाम और कुफ़्र के बीच, मुसलमानों और मुनकिरों के बीच अंतर करने वाला अमल है !

    Ques: अगर नमाज़ सुन्नत के मुताबिक़ न हो?
    Ans: अगर नमाज़ सुन्नत के मुताबिक़ न हो ये कबूल न होगी भले ही हम उम्र भर नमाज़ में गुजार दें!

    Ques: क्या कयामत के रोज़ सबसे पहले नमाज़ का हिसाब होगा ? 
    Ans: हां ! क़यामत के दिन सबसे पहले नमाज़ का हिसाब होगा क्योंकि ये नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फ़रमान है !
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