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Ramzan ke fazaail Part:1/ रमज़ान के फ़जा़इल भाग:1

Ramzan ke fazaail Part:1/ रमज़ान के फ़जा़इल भाग:1

Ramzan ke fazaail Part:1/ रमज़ान के  फ़जा़इल भाग:1
Ramzan ke fazaail 

रमज़ान बरकत, रह़मत और मग़फि़रत वाला महीना है!अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस फ़रमान से पता चलता है की Ramzan ke fazaail क्या है ? आप ﷺ ने फ़रमाया: नाकाम हो गया वो शख़्स जिस पर रमज़ान का महीना आकर चला गया लेकिन वो अपनी मग़फिरत नहीं करा सका। (तिर्मिज़ी : 3510)


    नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया  : इब्ने-आदम के हर नेक अमल को दस गुना से सात सौ गुना तक बढ़ा दिया जाता है। अल्लाह तआ़ला फ़रमाता है : रोज़े के सिवा; क्योंकि वो मेरे लिये है और में ही उसका बदला दूँगा वो अपनी ख़ाहिश और अपने खाने को मेरी वजह से तुर्क करता है। रोज़ेदार के लिये दो ख़ुशियाँ हैं। एक फ़रहत और ख़ुशी तो उसके इफ़्तार के वक़्त है। जबकि एक ख़ुशी अपने रब से मुलाक़ात के वक़्त है। और रोज़ेदार के मुँह की बू अल्लाह के यहाँ मुश्क की ख़ुशबू से भी ज़्यादा बेहतर है। और रोज़ा ढाल है। जिस दिन तुममें से किसी का रोज़ा हो तो वो बद-गोई से बचे, अगर कोई उसे बुरा-भला कहे या उससे लड़ाई झगड़ा करे तो वो कहे कि में रोज़ेदार हूँ। (मुत्तफ़क़ अलैह)1959

    Ramzan ke fazaail जानने से पहले आइए पहले ये जानें की रमज़ान है क्या ?

    रमज़ान क्या है ?

    रमज़ान इस्लामी महीनों में से एक महीने का नाम है जैसे रजब और शअ़बान महीनों के नाम हैं। ख़लील से रिवायत है: रमज़ान रमज़ाअ से बना है और रमज़ाअ ख़रीफ़ की उस बारिश को कहा जाता है जो धरती से धूल को धो देती है। इस तरह रमज़ान भी इस उम्मत के गुनाहों को धो डालता है और उनके दिलों को गुनाहों से पाक कर देता है!


    दूसरा कौ़ल यह है कि रमज़ान रमज़ से बना है और रमज़ सूरज की तेज़ धूप को कहते हैं , और इस महीने में रोज़ा रखने वालों की भूख और प्यास की सिद्दत भी उतनी ही तेज़ होती है जितनी तेज़ धूप, या जिस तरह से शरीर जलता है तेज़ धूप में इसी तरह, रमज़ान में पाप जल जाते हैं और यह रिवायत है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: रमज़ान अल्लाह के बंदों के पापों को जला देता है।


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    रमज़ान के महीने में भी महरूम रहने वाले


    कअ़ब बिन उज़राह रज़ि अल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं की अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया :मेम्बर के पास जमा हो जाओ" हम मेम्बर के क़रीब हो गए, जब आप ﷺ ने मेम्बर के पहलें ज़ीनें पर क़दम रखा तो कहा : "आमीन" फ़िर दूसरे ज़ीने पर क़दम रखा तो फ़िर कहा : "आमीन" फ़िर तीसरे ज़ीनें पर क़दम रखा तो कहा : "आमीन" फ़िर जब आप नीचे उतरे तो हमने पूछा : कि अल्लाह के रसूल! हमने आज आपसे एक ऐसी बात सुनी जो इससे पहले कभी नहीं सुनी?

    आपने फ़रमाया : जिब्राइल अलैहिस्सलाम मेरे पास आए और कहा :दूरी हो उसके लिए जिस ने रमज़ान का महीना पाया लेकिन फ़िर भी उस की मग़फ़िरत नही हुई।मैंने कहा : "आमीन", जब मैंने दूसरे ज़ीने पर क़दम रखा तो उन्होंने कहा :दूरी हो उसके लिए जिसके सामाने आप का ज़िक्र हुआ और वो आप पर दरुद नहीं भेजा,मैंने कहा : "आमीन", फ़िर जब तीसरे ज़ीनें पर क़दम रखा तो उन्होंने कहा :दूरी हो उसके लिए जिसने अपने वाल्दैन मैं से दोनों को या किसी एक को बुढ़ापे की हालत मैं पाया और उनके बाइस वो जन्नत मैं दाख़िल ना हुआ, मैंने कहा : "आमीन"

    (हाकिम)(सहीह अत-तग़रीब 995] (सहीह लिग़ैरिही)

    रमज़ान के महीने के फ़ज़ाइल 

    Ramzan ke fazaail Part:1/ रमज़ान के  फ़जा़इल भाग:1
    Ramzan ke fazaail 


    रमज़ान बरकतों वाला महीना है :अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : तुम पर रमज़ान आया है जो एक मुबारक महीना है।(सही अल-जामे : 55)

    रमज़ान क़ुरआन के नुज़ूल का महीना है: अल्लाह तआ़ला फ़रमाता है :"रमज़ान वो महीना है जिस मैं क़ुरआन नाज़िल हुआ, जो लोगों के लिए हिदायत है और जिस मैं हिदायत के लिए और हक़ वा बातिल मैं फर्क़ करने के लिए निशानियाँ हैं।(क़ुरआन , सूरत बक़रह :185)

    रमज़ान गुनाहों के कफ़्फ़ारे का सबब है
    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : पाँच नमाज़े और एक जुमआ़ दूसरे जुमआ़ तक, और एक रमज़ान दूसरे रमज़ान तक होने वाली /वाले ख़ताओ का कफ़्फ़ारा बन जाता है जब कि आदमी कबीरा गुनाहों से बचता रहे।( मुस्लिम : 344)


    रमज़ान के महीने मैं सरकश शैतान क़ैद कर दिए जाते हैं
    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : जब रमज़ान की पहली रात होती है तो जिनों मैं से सरकश शयातींन को ज़ंज़ीरों मैं जकड़ दिया जाता है, जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिया जाता है, (महीने भर) उसका कोई दरवाज़ा नहीं खुलता और जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं (महीने भर) उसका कोई दरवाज़ा बंद नहीं किया जाता, एक निदा लगाने वाला निदा लगाता है : ऐ ख़ैर की तलब करने वाले, आगे बढ़ और ऐ शर का इरादा करने वाले, रुक जा, और अल्लाह कुछ लोगों को आज़ाद कर देता है।
    (तिर्मिज़ी, इब्ने माजाह, इब्ने हिब्बान, हाकिम, बैहक़ी, सही अल जामे : 759)

    Note :अल्फाज़ इब्न ख़ुज़ैमा के हैं इसी तरह इख़्तेसार के साथ बुख़ारी वा मुस्लिम मैं है।
    निसाई के अल्फाज़ हैं :इस (महीने) मैं सरकश शयातींन को क़ैद किया जाता है।
    ( निसाई : 2106)

     इसीलिए इब्ने ख़ुज़ैमा रहमउल्लाह फ़रमाते हैं :
    आप ﷺ के इस फ़रमान "शैतान क़ैद कर दिया जाता है" से मुराद वो जिन हैं जो सरकश होते हैं ना कि तमाम शयातींन, इसलिए के शैतान का इत्लाक़ बाज़ जिनों पर भी होता है।
    (सही इब्ने ख़ुज़ैमा : जिल्द 3, सफ़ा 188)


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    रोज़े के फ़ज़ाइल 

    रोज़े की तरह कोई अ़मल नहीं

    अबू उमामा रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है, फ़रमाते हैं: मैं ने कहा: (ऐ अल्लाह के रसूल) मुझे कोई हुक्म दिजिये की मैं (बराहे रस्त उसे) आप से अख़ाज़ करूं। आप ने फ़रमाया: रोज़े का एहतेमाम करो क्योंकि रोज़े की तरह और कोई अमल नहीं।( मुसन्नद अहमद, निसाई, इब्ने हिब्बान, हाकिम ,सहीह अल जामे : 4044)

    मग़फ़िरत का ज़रिया है

    अबु हुरैरा रज़ियल्लाहू अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : जिस ने ईमान के साथ और सवाब की नियत से रमज़ान के रोज़े रखे उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।( बुख़ारी : 38, मुस्लिम : 1268)

    रोज़ा जहन्नुम से आज़ादी का सबब है

    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : "अल्लाह तआ़ला हर इफ़्तार के वक़्त जहन्नुम से कुछ लोगों को आज़ाद करता है और यह (रमज़ान की) हर रात को होता है।"(इब्ने माजाह ,मुसनद अहमद, तिब्रानी, इब्ने माजाह, सही अल जामे : 2170)

    रोज़ा जहन्नुम से ढाल है

    *अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : रोज़ा ढाल है जिस के ज़रिये बंदा जहन्नुम से अपनी हिफ़ाज़त करता है ।(तिब्रानी , सही अल जामे : 3867)

     *मुनावी फ़रमाते हैं: " बचाओ " मुराद से दुनिया में नाफ़रमानी से हिफ़ाज़त जैसे शहवातों को कटना और अअ़ज़ा की गुनाहों से हिफ़ाज़त करना और अख़िरत में जहन्नुम से हिफ़ाज़त मुराद है(फैज़ुल क़ादिर : 3865)

    * अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : रोजा़ ढाल है, और जहन्नुम से बचाओ के लिए एक मज़बूत क़िला है।(मुसनद अहमद, सॉबिल ईमान अल बेहक़ी, सही अल जामे : 3880)

     

    रोज़ा नफ़्स की बीमारियो का इलाज और तक़वे का सबब है

    अल्लाह तआ़ला ने फ़रमाया: ऐ ईमान वालों तुम पर रोज़े फर्ज़ कर दिए गए वैसे ही जैसे तुम से पहले लोगों पर फ़र्ज़ किए गए थे ताकि तुम तक़वा की राह इख़्तियार करो(अल-बकराह:183)

    * अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: सब्र के महीने (रमज़ान) के रोज़े और हर माह के तीन (3) रोज़े सीने में मौजूद ख़राबियों को निकाल देते हैं।( अल-बज़ारी,अल-बघवी, अल-बावर्दी, तबरानी, सही अल जामे : 3804)


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    Conclusion:

     Ramzan ke fazaail ,अज़मत और बरकत बिलाशुबाह अज़ीम है लेकिन ऐसा नहीं के इस महीने की रह़मतें बरकते हर ग़ाफिल और सोये हुए शख़्स के हिस्से मैं आ जाये, अगर एक अच्छे इंसान की तरह मेहनत और कोशिश करेंगे तो रमज़ान की रह़मतें, बरकते और मग़फिरत समेट सकेंगे.... लिहाज़ा हमे कुछ तैयारी रमज़ान से पहले और बाक़ी मेहनत रमज़ान मैं करनी होगी इन शा अल्लाह 

    रोज़ाना... चलते फिरते और ख़ास तौर पर नमाज़ो के बआ़द दुआ करते रहें, के "अल्लाह ताआ़ला  मुझे इस रमज़ान से भरपूर फ़ायदा उठाने की तौफ़ीक अता फ़रमाना" 
    इन शा अल्लाह तआ़ला 

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    ˡᶦᵏᵉ    ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ


    Frequently Asked Questions

    Que: तौबा करने का बेहतरीन तरीक़ा क्या है ?
     Ans: रसूल अल्लाह ﷺ को फ़रमाते हुए सुना है "कोई आदमी जब गुनाह करता है फ़िर वज़ू कर के नमाज़ पढ़ता है और अल्लाह तआ़ला से तौबा इस्तग़फार करता है तो अल्लाह तआ़ला उसे ज़रूर मआ़फ़ फ़रमा देता है, 

    Que: रोज़ा रखने की नीयत क्या है?
    Ans:मुआशरे में रोज़ा रखने यानी सेहरी के नियत की जो दुआ मशहूर है वो हदीस से साबित नहीं! नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया नियत दिल के इरादे का नाम है!
    आपका सहरी के लिए उठना ही नियत में शुमार है!

    Que: रोज़ा रखने का क्या फायदा है?
    Ans: रोज़ा रखने से हमे दीनी और दुनियावी दोनो फायदे मिलते हैं! रोज़ा रख कर हम बेशुमार नेकियान पा रहे हैं और कई सारी बिमारियों से भी बचाओ होता है 

    Que: रमज़ान में रोजा क्यों रखा जाता है?
    Ans: रमज़ान के रोज़ इस लिए रखा जाता है की अल्लाह सुबहा़न व तआ़ला का फ़रमान है की जो शख्स इस महीने को पाए उसे रोज़ा रखना चाहिए यानी अल्लाह का हुक्म है और हम पर रोजे फर्ज़ किए गए हैं !

    Que: रमज़ान में क्या क्या नहीं करना चाहिए?
    Ans: रमज़ान में हमे हर गुनाह और हर उस काम से बचना चाहिए जिसे अल्लाह और अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मना फ़रमाया है!

    Que: रोज़ा का वास्तविक अर्थ क्या है?
    Ans: रोज़ा रमज़ान के महीने में आता है! इस्लाम के पांच फराईज़ में से एक फ़र्ज़ है! इसका अर्थ है दिन के वक्त खाने पीने और शारिरिक संबंधों से परहेज़ करना

    Que: रमज़ान क्या है?
    Ans: रमज़ान एक महीने का नाम है जैसे रजब और शअ़बान महीनों के नाम हैं। ख़लील से रिवायत है: रमज़ान रमज़ाअ से बना है और रमज़ाअ ख़रीफ़ की उस बारिश को कहा जाता है जो धरती से धूल को धो देती है। इस तरह रमज़ान भी इस उम्मत के गुनाहों को धो डालता है और उनके दिलों को गुनाहों से पाक कर देता है!

    Que: रोजा खोलते समय क्या पढ़ा जाता है?
    Ans: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब रोज़ा खोलते थे तो यह दुआ पढ़ते थे:
    ذَهَبَ الظَّمَأُ وَابتَلَّتِ العُروقُ ، وَثَبَتَ الْأجْرُ إِنْ شَاءَ اللهُ
    ज़हा-बज़्ज़मओ वब्बतल्लतिल उरूक़ो व सब-तल अज्रो इन शा अल्लाह"
    प्यास चली गई, रगें तर होगईं और यदि अल्लाह तआला ने चाहा तो नेकी भी मिलेगी इंशॉल्लाह

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