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Ramzan ke Fazaail part:2/ रमज़ान के फ़ज़ाइल भाग:2

"अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: सहरी किया करो इसलिए कि सहरी मैं बरकत रखी गई है। सेहरी खाना बरकत है, लिहाज़ा उसे न छोड़ो चाहे तुम पानी का एक घूंट ही पी लो, इसलिए की अल्लाह और उस के फ़रिश्ते सेहरी करने वालों पर सलामती भेजते हैं "

Ramzan ke Fazaail part:2/ रमज़ान के फ़ज़ाइल भाग:2

हमने पिछले भाग में Ramzan ke Fazaail और रोज़े के फ़ज़ाइल से मुतल्लिक पढ़ा अब इसका दूसरा और आखरी भाग पेश ए खि़दमत है! 



    Ramzan ke Fazaail part:2
    Ramadan Kareem ,Ramzan ke Fazaail part:2


     इख़लास के साथ रोज़ा रखने वाले की फ़ज़ीलत

    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: अल्लाह तआ़ला फ़रमाता है: रोज़ा मेरे लिए है और मैं इस का बदला दूंगा (क्यूंकी) रोज़ेदार मेरे ही ख़ातिर अपनी शहवत, अपना खाना पीना छोड़ता है। और रोज़ेदार के लिए दो खुशियां हैं, एक ख़ुशी इफ़्तार के वक़्त और एक ख़ुशी उस वक़्त जब वो अपने रब से मिलेगा और रोज़ेदार के मुंह की बदबू अल्लाह के नज़दीक मुश्क की ख़ुशबू से भी ज़्यादा उ़म्दा है।( बुख़ारी : 7492, मुस्लिम : 1946)

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     सहरी करने की फ़ज़ीलत

    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: सहरी किया करो इसलिए कि सहरी मैं बरकत रखी गई है।
    ( बुख़ारी : 1923; मुस्लिम : 1835)
    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: सेहरी खाना बरकत है, लिहाज़ा उसे न छोड़ो चाहे तुम पानी का एक घूंट ही पी लो, इसलिए की अल्लाह और उस के फ़रिश्ते सेहरी करने वालों पर सलामती भेजते हैं।
    (मुसनद अहमद सहीह अल जामे : 3683)




    रोज़े में भूल कर कुछ खा पी लेने वाले पर कोई गुनाह नहीं

    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: जिस ने भूल कर रोज़े की हालत में कुछ खा पी लिया तो वो अपना रोज़ा पूरा करे क्यूंकी इसे तो अल्लाह ने खिलाया पिलाया है।(बुख़ारी : 6669; मुस्लिम : 1155)

    उस शख़्स की फ़ज़ीलत जिस का ख़ात्मा रोज़े पर हो

     अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: 'जिस का ख़ात्मा किसी दिन के रोज़े पर हो वो जन्नत में दाख़िल होगा।'( अल बाज़ार सहीह अल जामे : 6224)

    रोज़ेदार बाब "रैय्यान" से जन्नत में दाख़िल होंगे

    अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: जन्नत में एक दरवाज़ा "रैय्यान" है जिस से क़यामत के दिन रोज़ेदार दाख़िल होंगे, उन के सिवा कोई दाख़िल नहीं होगा। कहा जाएगा: कहां है रोज़ेदार? वो खड़े होंगे और उस से दाख़िल हो जाएंगे, उन के दाख़िल होने के बाद दरवाज़ा बंद कर दिया जाएगा फिर उस दरवाज़े से कोई दाख़िल न होगा।( बुख़ारी : 1896; मुस्लिम : 1947)

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    क़ियाम ए रमज़ान के फ़ज़ाइल 

    Ramzan ke Fazaail part:2
    Ramzan ke Fazaail part:2/






     
    क़ियाम ए रमज़ान की फ़ज़ीलत:  अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : जिस ने ईमान और सवाब की नियत से रमज़ान का क़ियाम किया उस के पिछले सारे गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे। (बुख़ारी : 2009, मुस्लिम: 1267 )

    रमज़ान में इमाम के साथ क़ियाम ए रमज़ान की फ़ज़ीलत: अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: जो ईमाम के साथ नमाज़ पढ़े यहां तक की इमाम नमाज़ पूरी कर ले उस के लिए पूरी रात क़ियाम का सवाब लिखा जाता है। ( तिर्मिज़ी ,सुनन तिर्मिज़ी 806; जिल्द 2 सफ़ा193)

     क़ियाम ए रमज़ान का एहतेमाम करने की फ़ज़ीलत: अमर बिन मुर्रा अल-जुहनी रज़ि अल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं: क़ुज़ावा क़बीले से एक शख़्स अल्लाह के रसूल ﷺ के पास आए और आप से कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! भला बतलाइये अगर मैं गवाही दूं की अल्लाह के सिवा कोई मबूद बर-हक़ नहीं और आप अल्लाह के रसूल हैं, पांच वक़्त की नमाजें भी पढ़ूं, रमज़ान के रोज़े भी रखूं और क़याम ए रमज़ान का भी अहतमाम करूं और ज़कात भी दूं (तो उस पर मुझे क्या मिलेगा)? नबी ﷺ ने जवाब दिया: जिस का ख़ात्मा इस अमल पर हो वो सिद्दीक़ीन और शुहादा में होगा।
    इब्न ख़ुजैमा, अल-बज्जर, इब्न हिब्बान ,सहीह इब्न ख़ुजैमा 2212; सहीह उत-तरघीब 1003


    रमज़ान में तिलावत ए क़ुरआन के फ़ज़ाइल 


    Ramzan ke Fazaail part:2
    Ramzan ke Fazaail part:2


     

    क़यामत के दिन रोज़े और क़ुरआन सिफ़ारिश करेंगे:  अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: रोज़े और क़ुरआन क़ियामत के दिन बंदे के लिए सिफ़रिश करेंगे। रोज़े कहेगा: ऐ रब्ब, मैंने बंदे को दिन में खाने से और शहवातों से रोक रखा लिहाज़ा उस के हक़ में मेरी सिफ़रिश क़बूल फ़रमा, क़ुरआन कहेगा: ऐ मेरे रब, मैंने इसे रात मैं नींद से दूर रखा लिहाज़ा उसके हक़ में मेरी सिफ़रिश क़बूल फ़रमा। इस पर उन दोनो की सिफ़रिश क़बूल करली जाएगी।
    (मुसनद अहमद, तिब्रानी, हाकिम, साबिल ईमान लिल-बहक़ी सहीह उल-जामी' 3882)

    नबी ﷺ का रमज़ान की रातों मैं क़ुरआन की तिलावत वा मुद्रसात (छुपी हुई) करना:  अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: जिब्रील हर साल मेरे साथ एक मर्तबा क़ुरआन का दौर किया करते थे, इस साल उन्होने दो (2) मरतबा मेरे साथ क़ुरआन का दौर किया है, मैं समझता हूँ कि अब मेरी वफ़ात का वक़्त आ गया है। (बुखारी: 3624; मुस्लिम: 4487)


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     रमज़ान मैं दुआ के फ़ज़ाइल 


     
    रोज़ेदार की दुआ क़बूल होती है: अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: तीन (3) दुआएँ क़बूल की जाती हैं, रोज़ेदार की दुआ, मज़लूम की दुआ और मुसाफ़िर की दुआ।
    (अल-उक़ैली फ़ी अज़-ज़ौफ़ा, अल-बहक़ी फी साबिल ईमान,सहीह उल-जामी 3030)





    रमज़ान में सख़ावत के फ़ज़ाइल 


    नबी ﷺ का रमज़ान में सख़ावत में बढ़ जाना : इब्ने अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं की अल्लाह के नबी ﷺ लोगो में सब से ज़्यादा सख़ी थे और आप की सख़ावत उस वक्त बढ़ जाति जब आप रमज़ान में जिब्रील से मिला करते और जिब्रील रमज़ान में हर रात आपसे मुलाक़ात किया करते यहां तक कि महीना ख़त्म हो जाता। अल्लाह के नबी ﷺ जिब्रील को क़ुरआन सुनाया करते थे, जब आप जिब्राइल से मिलते तो आप की सख़ावत तेज़ हवा से भी ज्यादा बढ़ जाती।
    (बुख़ारी : 1902 || मुस्लिम : 4268)


     रोज़ेदार को इफ्तार कराने की फ़ज़ीलत : अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: जो किसी रोज़ेदार को इफ़्तार कराए उसके लिए उस रोज़दार के मिस्ल सवाब है लेकिन उस रोज़दार के सवाब में कोई काम नहीं की जाएगी।(मुसनद अहमद, तिर्मिज़ी, इब्न माजा, इब्न हिब्बान, सहीह उल-जामी' 4615)

    रमज़ान में उमरा करने की फ़ज़ीलत : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अंसार की एक औरत (उम्मे सिनान) से फ़रमाया: जब रमज़ान आ जाये तो उसमे उमरा करना इस लिए की रमज़ान में उमरा हज के बराबर होता है। एक और रिवायत में हैं "मेरे साथ हज के बराबर है"
    ( बुख़ारी : 1782 || मुस्लिम : 1256)


    रोज़े की फ़र्ज़ियत के बाद फ़ौरी तोर पर दुआ की क़ुबूलियत का तज़किरा: 
    अल्लाह ताला ने फ़रमाया:
    "और जब मेरे बंदे आप से मेरे बारे में पूछें तो आप कहिए की मैं तो क़रीब हूं, पुकारने वाले की पुकार सुनता हूं जब भी वो पुकारे लिहाज़ा उन्हे भी चाहिए की वो मेरी बात माने और मुझ पर ईमान रखे ताकि हिदायत पायें"(सूरह अल-बक़राह: आयत -186)

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     लैलतुल क़दर के फ़ज़ाइल 

    Ramzan ke Fazaail part:2
    Lailatul Qadr ,Ramzan ke Fazaail part:2




     
    लैलतुल क़द्र की फ़ज़ीलत क़ुरआन मैं :अल्लाह तआला ने फ़रमाया: "यक़ीनन हम ने (क़ुरआन) को लैलतुल क़द्र में नज़िल किया है, और तुम्हें क्या मलूम लैलतुल क़द्र क्या है! लैलतुल क़द्र एक हज़ार महीनों से बेहतर है। इस (रात) में फ़रिश्ते और रूह (यानी जिब्रील) अपने रब के हुक्म से हर फैसले के साथ नाज़िल होते हैं। ये रात सारासर सलामती होती है, यहां तक की तुलू ए फ़ज्र हो जाए।(सुरह अल क़दर)

    लैलतुल क़द्र की फ़ज़ीलत हदीस मैं अनस बिन मालिक रज़िअल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं: जब रमज़ान आया तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: "ये महीना तुम्हारे सामने है। इसमे एक रात है जो हज़ार महीनों से बेहतर है। जो इस से महरूम रहा वो पूरी ख़ैर से महरूम रहा और इस ख़ैर से सिर्फ़ वही महरूम होगा जो वाक़ई महरूम हो।
    ( इब्ने माजाह,सहीह अल जामे: 2247)
    इसी के क़रीब अल्फ़ाज़ मेमुसनद अहमद, निसाई और बैहक़ी फ़ी सवाबुल ईमान में है। 
    (सहीह अल जामे: 55)

    लैलतुल क़दर में क़ियाम की फ़ज़ीलत :
    अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: जिस ने ईमान और सवाब की नियत से शब-ए-क़द्र में क़ियाम किया उस के पिछले तमाम गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं( बुख़ारी: 1901, मुस्लिम: 1268)





     रमाज़ान मैं ऐतकाफ़ के फ़ज़ाइल 


    इब्राहिम अलैहिस्सलाम को ऐतकाफ़ करने वालों के लिए बैतुल्लाह को पाक साफ़ रखने का हुक्म 
     अल्लाह तआला ने फ़रमाया:"और हम ने इब्राहिम और इस्माइल (अलैहुमुस-सलाम) को हुक्म दिया के तुम मेरे घर को तवाफ करने वाले और ऐतकाफ़ करने वालों और रुकू वा सुजूद करने वालो के लिए पाक साफ़ करो।(सुरह अल बक़रा: 125)

    नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का हर रमज़ान में 10 दिन ऐतकाफ़ फ़रमाना 
    अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है के "अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर रमज़ान में 10 दिन ऐतकाफ़ किया करते थे, लेकिन जिस साल आप की वफ़ात हुई उस साल आपने 20 दिन का ऐतकाफ़ किया।"(बुख़ारी: 2044)


    अनस रज़ि अल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब मुक़ीम होते तो रमज़ान के आख़िरी अशरे का ऐतकाफ़ करते थे, और अगर आप (किसी रमज़ान में) सफ़र करते तो अगले साल 20 दिन का ऐतकाफ़ करते।"
    (मुसनद अहमद ,सहीह अल जामे: 4775)

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    ज़कातुल फ़ितर के फ़ज़ाइल :

    अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: ज़कातुल फ़ित्र रोज़दार को लग़ु (बे फ़ायदाह) और बे हयाई (के गुनाह) से पाक करने और मिस्कींनों का पेट भरने के लिए मुक़र्रर किया गया है जिसने इसे (ईद की) नमाज़ से पहले अदा किया तो वो वो मक़बूल सदक़ा है और जिस ने इसे नमाज़ के बआ़द अदा किया तो एक आ़म सदक़ा है।
    ( दार-क़ुतनी, सुनन बेहक़ीसहीह अल जामे: 3570)

    Conclusion:


    अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: "मैंने जहन्नुम जैसी कोई और चीज़ नहीं देखी के उससे भगने वाला सो गया हो, और ना जन्नत जैसी कोई चीज़ देखी जिसका तलब करने वाला सो गया हो।"(तिर्मिज़ीअल-मौजम अल-औसत लिल तिब्रानी 
    सहीह अल जामे: 5622)

    माह ए रमज़ान के मुबारक और शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक बधाई हो
     और अल्लाह से दुआ है की अल्लाह तमाम ईमान वालों को अमन और सकून के साथ माह ए रमज़ान में शारीरिक और आर्थिक रूप से ज़्यादा से ज़्यादा इ़बादत करने की तौफ़ीक़ अ़ता़ फ़रमाए, और हमारी तमाम इबादतों को क़बूल फरमाए! आमीन या रब आ़लमीन 

    👍🏽        ✍🏻         📩         📤
    ˡᶦᵏᵉ    ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ


    Frequently Asked Questions:

    Que: रोजेदार जन्नत में किस दरवाजे से दाख़िल होंगे ?

    Ans: जन्नत में एक दरवाज़ा "रैय्यान" है जिस से क़यामत के दिन रोज़ेदार दाख़िल होंगे, उन के सिवा कोई दाख़िल नहीं होगा

    Que: रमजान में क़ायम करने यानी तरावीह पढ़ने की क्या फजीलत है ?

    Ans: जिस ने ईमान और सवाब की नियत से रमज़ान का क़ियाम किया उस के पिछले सारे गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे और जो ईमाम के साथ नमाज़ पढ़े यहां तक की इमाम नमाज़ पूरी कर ले उस के लिए पूरी रात क़ियाम का सवाब लिखा जाता है

    Que: क्या भूल कर खाने से रोज़ा टूट जाता है?

    Ans: अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: जिस ने भूल कर रोज़े की हालत में कुछ खा पी लिया तो वो अपना रोज़ा पूरा करे क्यूंकी इसे तो अल्लाह ने खिलाया पिलाया है।

    Que: खलूस के साथ रोज़ा रखने वाले का अजर क्या है ?

    Ans: खलूस के साथ रोज़ा रखने वाले का अजर अल्लाह देगा अल्लाह का फरमान है: रोज़ा मेरे लिए है और मैं इस का बदला दूंगा (क्यूंकी) रोज़ेदार मेरे ही ख़ातिर अपनी शहवत, अपना खाना पीना छोड़ता है।

    Que: लैलतुल क़दर में क़ियाम करने की फ़ज़ीलत क्या है ?

    Ans: नबी  सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: जिस ने ईमान और सवाब की नियत से शब-ए-क़द्र में क़ियाम किया उस के पिछले तमाम गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।

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