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Fitra ek Sa'a anaj ya naqad/फ़ित्रा एक साअ़ अनाज या नक़द

Fitra ek Sa'a anaj ya naqad/फ़ित्रा एक साअ़ अनाज या नक़द

Fitra ek Sa'a anaj ya naqad/फ़ित्रा एक साअ़ अनाज या नक़द
Fitra ek Sa'a anaj ya naqad


कई बार ये सवाल ज़हन में उठता है या पूछा भी जाता है की Fitra ek Sa'a anaj ya naqad दिया जाय?अगर फ़क़ीर को 2.5 किलो अनाज दिया जाये तो वह उसे बेच देगा या अक्सर मांगने वाले नकद का मुतालबा करते हैं!


    सदक़ ए फ़ित्र किन पर फ़र्ज़ है ?

    हज़रत इब्ने उमर राजियाल्लाह अन्ह से मरवी है की रसूल अल्लाह ने रमज़ान में सदक़ ए फ़ित्र फ़र्ज़ फ़रमाया, इस तरह के हर मुसलमान आज़ाद, गुलाम,मर्द और औ़रत की तरफ से खजूर या जौ का एक साअ़ दिया जाए ! (अबू दाऊद:1611)

    नबी करीम (सल्ल०) ने सदक़ ए फ़ित्र नमाज़ (ईद) के लिये जाने से पहले पहले निकालने का हुक्म दिया था।(बुखारी:1509)

    एक साअ़ अनाज का फित्रा:-

    शैख़ इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:"कुछ लोग कहते हैं कि अगर हमने फ़क़ीर को एक साअ़ अनाज दिया तो वह उसे बेच देगा, और मुमकिन है कि वह उसे कम क़ीमत पर फ़रोख़्त करें (इसलिए बेहतर यही है कि हम फ़ित्रा नक़द निकालें ताकि फ़ुक़रा और मसाकीन इससे फ़ायदा उठा सकें)"

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    शैख़ इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह इस शुबाह का जवाब देते हुए फ़रमाते हैं: "फ़क़ीर क्या करता है हमें उससे कोई मतलब नहीं है, हम पर वाजिब है कि हम वही करें जिसे करने का हुक्म शरीअत ने दिया है, और शरीअत के हुक्म पर हम समिअना व ताअना कहें, और सद्क़-ए-फ़ित्र में सिर्फ़ अनाज निकालें, फ़ुक़रा और मिस्कीन को इख़्तियार दिया गया है कि वह इस फ़ित्रे में जैसे चाहे तसर्रुफ़ (दख़ल) करें, चाहे तो खाए, चाहे तो उसकी ज़ख़ीरा-अंदोज़ी करें, चाहे तो बेच दे, चाहे तो किसी को हदिया दे दे, चाहे तो अपनी जानिब से सद्क़ा कर दे, जो चाहे वह करें हमें उससे कोई मतलब नहीं, हमें हमारे रब ने और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक सा' अनाज निकालने का हुक्म दिया है, सो हम अनाज ही निकालें।
    [मज्मू ' अल फ़तावा (18/ 556 )]

    Fitra ek Sa'a anaj ya naqad/फ़ित्रा एक साअ़ अनाज या नक़द
    Fitra ek Sa'a anaj ya naqad

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    एक दूसरे साइल (सवालकर्ता) ने शैख़ इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह से सवाल किया:

    "बहुत से फ़क़ीर और मसाकीन नक़दी फ़ित्रा को क़बूल करने को पसंद करते हैं, और कहते हैं कि यही उनके लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद है, क्या ऐसी सूरत में नक़दी फ़ित्रा निकाला जा सकता है?"

    नक़दी फ़ित्रा:शैख़ इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:


    "किसी भी सूरत में नक़दी फ़ित्रा निकालना जायज़ नहीं है, फ़ित्रा सिर्फ़ अनाज ही की सूरत में निकाला जा सकता है, अगर फ़क़ीर चाहे तो इस अनाज को बेच कर इसकी क़ीमत से मुस्तफ़ीद (लाभान्वित) हो सकता है, लेकिन फ़ित्रा निकालने वाले के लिए जायज़ नहीं कि वह नक़दी फ़ित्रा निकाले...
    [मज्मू' अल फ़तावा (18/ 277)]

    Fitra ek Sa'a anaj ya naqad/फ़ित्रा एक साअ़ अनाज या नक़द
    Fitra ek Sa'a anaj ya naqad




    एक जगह शैख़ इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:

    कुछ लोग कहते हैं कि: फ़क़ीर अनाज से फ़ायदा नहीं उठा पाएगा, उसका जवाब यह है कि: अगर वह हक़ीक़त में फ़क़ीर है तो यक़ीनन अनाज से फ़ायदा उठाएगा।
    [मज्मू' अल फ़तावा (18/ 265]
    (तहरीर:अबू अहमद कलीमुद्दीन यूसुफ़,जामिया इस्लामीया मदीना मुनव्वरा)

    Conclusion:

    जब हमें हमारे रब ने और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक साअ़ अनाज निकालने का हुक्म दिया है, सो हम अनाज ही निकालें। नकद फित्र न दें ! हमे अल्लाह और नबी करीम के हुक्म से आगे नहीं बढ़ना है ! किसी भी सूरत में नक़दी फ़ित्रा निकालना जायज़ नहीं है, फ़ित्रा सिर्फ़ अनाज ही की सूरत में निकाला जा सकता है, अब फ़क़ीर चाहे तो इस अनाज को बेच कर इसकी क़ीमत से मुस्तफ़ीद (लाभान्वित) हो या जो करे,

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    FAQs:

    Que: क्या नक़दी फ़ित्रा निकालना जायज़ है ?
    Ans: जी नहीं ! नक़दी फ़ित्रा निकालना जायज़ नहीं है हमे फित्र अनाज की ही शकल में देना है !

    Que: एक आदमी का फ़ित्रा कितना होता है?
    Ans: एक आदमी का फि़तरा तक़रीबन 2.5 किलोग्राम होता है और जो अनाज आप खाते है वैसा ही अनाज दिया जाता है !

    Que: कौनसा सदका सबसे अफ़ज़ल है ?
    Ans: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया मिस्कीन यानी ग़रीब गुरबा को सदका़ देना सिर्फ सदका़ है और रिश्तेदार को सदका़ देने में दो भलाइयां हैं। यह सदका़ भी है और सिला रह़मी भी। 

    Que: कौनसा सदका़ कबूल है ?
    Ans: जो कोई ईद की नमाज़ से पहले सदका़ करे तो ये मक़बूल सदका़ ए फि़तर है और जो नमाज़ के बआ़द करे वो आ़म सदका़ होगा।


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