Taweez aur gande ki haqeeqat/तावीज़ और गंडे की हक़ीक़त
क्या अल्लाह हमारे लिए काफ़ी नहीं है?
अल्लाह तआला क़ुरान करीम में फ़रमाते हैं:
(मुसनद अहमद, हदीस 7740 सिलसिला अहादीस ए सहिया हदीस 492)
ईसा बिन अब्दुल रहमान कहते है की हम सैय्यदना अब्दुल्लाह बिन उकीम रज़ि अल्लाहु अन्हु के पास गए वह बीमार थे हम उनकी तीमारदारी के लिए गए और उनसे कहा अगर तुम शिफा हासिल करने के लिए गले मे कोई तावीज़ लटका लो तो उन्हों ने कहा में कुछ लटका लूं जबकि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जिस ने कुछ लटकाया वह उसी के हवाले कर दिया जाता है
(मुसनद अहमद हदीस 7741)
हज़रते इमरान बिन हसन (रज़ि अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है के नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने एक आदमी के हाथ में पीतल का एक छल्ला (कड़ा) देखा तो आपने पूछा ये क्या है
उसने कहा ये कमज़ोरी को दूर करने के लिए है
आपने फ़रमाया की इसे उतार कर फ़ेंक दो ये तेरी कमज़ोरी में मजीद इज़ाफ़ा करेगा और अगर तू इसे पहने हुए मर गया तो तू कभी कामयाब नहीं हो सकता
(मसनद अहमद हदीस 7738)
इन तमाम क़ुरआनी और हदीसी बातों से हमे यही जानकारी मिली के तावीज़ या कोई भी चीज़ मसलन कड़ा सीप लटकाना काला धागा लटकना ये सोच कर पहनना के इस से हमे ग़ैब से किसी तरह का फ़ायदा होगा तो फ़िर हमारी भूल है क्यूंकि ये सरासर शिर्क है और हम सभी जानते हैं के शिर्क ऐसा गुनाह है जिसे अल्लाह कभी मआफ़ नहीं करता है
मगर ये हदीस सही हदीस नहीं है क्यूंकि इसका रावी (हदीस बयान करने वाला) उमरू बिन शोएब ऐसा इंसान है के जिसपे तमाम अइम्मा ने तन्क़ीद की है और उसे ग़लत कहा है
(तहज़ीब जिल्द 9 सफा 31 मीजन जिल्द 3 सफा 12)
इस रावी के बारे में सलमान तमामी कहते हैं के कज़्ज़ाब (झूट बोलने वाला) है हशाम बिन अरवा कहते हैं वो कज़्ज़ाब है, यहया कत्तान कहते हैं के इस बात की गवाही देता हूँ के वो कज़्ज़ाब है
(मिज़ानुल एतदाल जिल्द, सफ़ा नंबर 12)
अगर हम उन मुल्लाओं के शोर करने पे ये मान भी लें के हदीस सही है तो इसमें रसूलल्लाह ने कहाँ कहा के तावीज़ लटकाओ, ये फ़ेल तो अब्दुल्लाह बिन उम्र का है जिसमे रसूलल्लाह का ज़िक्र ही नहीं।
हदीस तो बस यही पे ख़त्म हो गई के आपने खौफ-ओ-दहशत से बचने की दुआ सिखाई, ठीक वैसे ही जैसे अल्लाह ने अपनी किताब क़ुरआन-ए-पाक को हिदायत के लिए नाज़िल किया और हम उसे बजाये नसीहत हासिल करने के गले में लटका ले।
अगर ये हदीस सही है तो क्या ये मुमकिन है के एक तरह ऐसी हदीस भी हो के जिस से एक शख़्स के तावीज़ लटकाने का ज़िक्र मिल जाए और बाक़ी हदीसों में अल्लाह के रसूल तावीज़ लटकाने से मन फ़रमा रहे हैं। ये मुमकिन नहीं है क्यूंकि किसी भी हदीस में कही भी आपने तावीज़ को सही नहीं कहा बल्कि इसे शिर्क कहा है और दूर रहने की ताक़ीद की है
हाँ ! जहाँ तक दम करने का सवाल है तो जायज़ तरीके से दम करना सही है, मतलब क़ुरआनी आयतें पढ़ कर दम करना या ऐसे कलिमात जो शिर्किया न हों उससे हम दम कर सकते हैं और ये सुन्नत से साबित है।
ذهب الباس رب الناس اشف أنت الشافي لا شفاء إلا شفاؤك شفاء لا يغادر سقما
तर्जुमा:- ऐ इंसानों के रब बीमारी को दूर फ़रमा शिफ़ा दे तुहि शिफ़ा देने वाला है ऐसी शिफ़ा दे जो किसी बीमारी को न रहने दे
(सुनन अबू दाऊद हदीस 3883)
Read This: Shirk Kya hai ?
इस हदीस से हमे ये पता चलता है कि Taweez aur gande ki haqeeqat क्या है ? शरीयत में इसकी कोई हैसियत नहीं है तभी तो तावीज़ पहनने को शिर्क कहा गया है जैसे कि ख़ुद इब्ने मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया है ऊपर इस हदीस में और साथ ही ये भी पता चला कि तावीज़ से शिफ़ा कैसे मिल जाता है और अगर हम पर बीमारी का असर हो जाये तो क्या पढ़ा जाए पर अफ़सोस आज के कुछ मुस्लिम अल्लाह से ज़्यादा धागे तावीज़ गंडे पर तावक्कल रखते है
अल्लाह हम सबको शिर्क से बचाये और नेक रास्ते पे चलने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए (आमीन)
आप कह दो के मेरे लिए अल्लाह ही काफ़ी है और भरोसा करने वाले उसी (अल्लाह) पे भरोसा करते हैं (सूरह ज़ुमर, आयत नम्बर 38)
और अगर अल्लाह तुम्हे कोई तकलीफ़ पहुचाये तो उसके सिवा उसको कोई दूर करने वाला नहीं और अगर कोई भलाई करनी चाहे तो उसके फज़ल को कोई रोकने वाला नहीं, वह अपने बन्दों में से जिसे चाहता है फ़ायदा पहुंचता है और वह बख़्शने वाला मेहरबान है
(सुरह यूनुस आयत नम्बर 107)और इनमे से ज़्यादातर लोग अल्लाह पे ईमान लाने के बावजूद भी शिर्क करते हैं
(सुरह युसूफ आयत नम्बर 106)
तमाम मुश्किलों में अल्लाह पर भरोसा करें
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, ''मेरी उम्मत के सत्तर हज़ार लोग बे हिसाब जन्नत में जाएँगे। ये वो लोग होंगे जो झाड़ फूँक नहीं कराते न शगून लेते हैं, और अपने रब ही पर भरोसा रखते हैं।''(सहीह बुखारी#6472)
इस रिवायत में सत्तर हजार की संख्या है और कुछ रिवायतों में इससे अधिक संख्या का भी ज़िक्र मिलता है। और जो लोग बगैर हिसाब के जन्नत में जायेंगें उनकी सिफात में से सबसे पहली सिफत यह है:नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया वो झाड़ फूंक नही करवाते, दम नही करवाते..एक बात याद रखें कि जब इस्लाम आया था, उस समय लोग बुतों से मदद मांगते थे, जो दम करते थे वो भी बुतों से मदद मांग के दाम करते थे , शैतानों से मदद मांगते थे, तावीज में भी बुतों से मदद मांगी जाती थी..
यही कारण है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ताबीज लटकाने , दम करवाने से सख्ती से मना किया, बल्कि कुछ रिवायतों में, नबी ﷺ ने कहा कि जो व्यक्ति ताबीज लटकाता है वह शिर्क करता है।
उसके बआ़द जब लोग शिर्क से बेज़ार हो गए, शैतान और बुतों से बेज़ार हो गए तो उस वक्त नबी ﷺ ने क़ुरआन से दम करने का तरीका सिखाया और उसके बआ़द दम करने की इजाज़त दे दी, और दम करवाने के भी इजाज़त दे दी. लेकिन वही दम जायज़ है जो सुन्नत के मुताबिक़ हो और दम करने वाला गैरुल्लाह से मदद न मांगता हो बल्कि अल्लाह से मदद मांगता हो,
लेकिन मैं यहां एक निवेदन जरूर करूंगा कि किसी को भी अंधविश्वास का शिकार नहीं होना चाहिए, हमारे यहां अंधविश्वास बहुत ज्यादा हो गया है। अंधविश्वास का शिकार न बनें, सुन्नत के मुताबिक काम करें। सुबह और शाम को सूरह अल-फलक और सूरह अल-नास को तीन बार पढ़ें और सुन्नत के अनुसार खुद पर दम करें। और इस विश्वास के साथ करें कि यह अल्लाह के नबी का अमल है ! उसके बआ़द हमारे लिए किसी भी प्रकार की रूहानी परेशानी नहीं होगी। अल्लाह हम सभी को अमल करने की तौफीक अता फरमाए!
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तावीज़ पहनने या लटकने वालों का अंजाम
रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: जिस ने तावीज़ लटकाया उसने शिर्क कियाRead This: Deen me Guloo Yani hadd se बढ़ना
(मसनद-ए-अहमद हदीस:154/4 हाकिम हदीद:219/4,सिलसिला सहीह हदीस:492)
मुहम्मदुर रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: जिसने तावीज़ लटकाया अल्लाह उसकी मुराद पूरी न करे
(मसनद-ए-अहमद हदीस 7739 हाकिम हदीस:4/21)
एक हदीस में अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) फरमाते हैं के जिसने कोई भी चीज़ लटकाई उसे उसी में सुपुर्द कर दिया जायेगा
(तिर्मिज़ी हदीस :2/208 हाकिम हदीस :4/216)
जिसने तावीज़ लटकाया उसने शिर्क किया
हज़रत उक़्बा बिन आमिर अल-हज़नी से रिवायत है की रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की ख़िदमत में एक जमाअ़त हाज़िर हुई, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने 9 लोगों से बैत ली और एक को बैत लेने से रोक दिया उन्होंने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह आपने 9 आदमियों की बैत ली और इस आदमी की बैत नहीं ली आपने फ़रमाया इस से इसलिए बैत नहीं ली क्यूंकि उसने तावीज़ पहना हुआ है। इसलिए आपने हाथ बढ़ा कर उस तावीज़ को काट दिया और फ़िर उस शख़्स से बैत ली फ़िर इरशाद फ़रमाया जिसने तावीज़ लटकाया उसने शिर्क किया(मुसनद अहमद, हदीस 7740 सिलसिला अहादीस ए सहिया हदीस 492)
ईसा बिन अब्दुल रहमान कहते है की हम सैय्यदना अब्दुल्लाह बिन उकीम रज़ि अल्लाहु अन्हु के पास गए वह बीमार थे हम उनकी तीमारदारी के लिए गए और उनसे कहा अगर तुम शिफा हासिल करने के लिए गले मे कोई तावीज़ लटका लो तो उन्हों ने कहा में कुछ लटका लूं जबकि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जिस ने कुछ लटकाया वह उसी के हवाले कर दिया जाता है
(मुसनद अहमद हदीस 7741)
हज़रते इमरान बिन हसन (रज़ि अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है के नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने एक आदमी के हाथ में पीतल का एक छल्ला (कड़ा) देखा तो आपने पूछा ये क्या है
उसने कहा ये कमज़ोरी को दूर करने के लिए है
आपने फ़रमाया की इसे उतार कर फ़ेंक दो ये तेरी कमज़ोरी में मजीद इज़ाफ़ा करेगा और अगर तू इसे पहने हुए मर गया तो तू कभी कामयाब नहीं हो सकता
(मसनद अहमद हदीस 7738)
इन तमाम क़ुरआनी और हदीसी बातों से हमे यही जानकारी मिली के तावीज़ या कोई भी चीज़ मसलन कड़ा सीप लटकाना काला धागा लटकना ये सोच कर पहनना के इस से हमे ग़ैब से किसी तरह का फ़ायदा होगा तो फ़िर हमारी भूल है क्यूंकि ये सरासर शिर्क है और हम सभी जानते हैं के शिर्क ऐसा गुनाह है जिसे अल्लाह कभी मआफ़ नहीं करता है
तावीज को सही साबित करने के लिए एक हदीस का सहारा
अगर आप तावीज़ की दूकान लगाए मुल्लाओं के पास जायेंगे तावीज़ की शरई हक़ीक़त पूछेंगे तो वो आपको मुतमईन करने के लिए एक हदीस का हवाला देंगे जो के सही नहीं है, हदीस निचे दी गयी है
हज़रते उमरू बिन शोएब अपने वालिद से और वह अपने वालिद से रिवायत करते हैं के रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हमे चार कलिमात सिखाए जो हम ख़ौफ़ और वहशत की वजह से सोते वक़्त पढ़ते थे
हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर अपने बालिग़ बच्चों को सोते वक़्त इन कलिमात को पढ़ने की तलक़ीन करते थे और जो कमसिन बच्चे उनको याद नहीं कर पाते थे उनके गले में उन कलिमात का तावीज़ लिख कर डाल देते
(मसनद अहमद जिल्द 2 सफहा नंबर 181)
(तहज़ीब जिल्द 9 सफा 31 मीजन जिल्द 3 सफा 12)
इस रावी के बारे में सलमान तमामी कहते हैं के कज़्ज़ाब (झूट बोलने वाला) है हशाम बिन अरवा कहते हैं वो कज़्ज़ाब है, यहया कत्तान कहते हैं के इस बात की गवाही देता हूँ के वो कज़्ज़ाब है
(मिज़ानुल एतदाल जिल्द, सफ़ा नंबर 12)
अगर हम उन मुल्लाओं के शोर करने पे ये मान भी लें के हदीस सही है तो इसमें रसूलल्लाह ने कहाँ कहा के तावीज़ लटकाओ, ये फ़ेल तो अब्दुल्लाह बिन उम्र का है जिसमे रसूलल्लाह का ज़िक्र ही नहीं।
हदीस तो बस यही पे ख़त्म हो गई के आपने खौफ-ओ-दहशत से बचने की दुआ सिखाई, ठीक वैसे ही जैसे अल्लाह ने अपनी किताब क़ुरआन-ए-पाक को हिदायत के लिए नाज़िल किया और हम उसे बजाये नसीहत हासिल करने के गले में लटका ले।
अगर ये हदीस सही है तो क्या ये मुमकिन है के एक तरह ऐसी हदीस भी हो के जिस से एक शख़्स के तावीज़ लटकाने का ज़िक्र मिल जाए और बाक़ी हदीसों में अल्लाह के रसूल तावीज़ लटकाने से मन फ़रमा रहे हैं। ये मुमकिन नहीं है क्यूंकि किसी भी हदीस में कही भी आपने तावीज़ को सही नहीं कहा बल्कि इसे शिर्क कहा है और दूर रहने की ताक़ीद की है
हाँ ! जहाँ तक दम करने का सवाल है तो जायज़ तरीके से दम करना सही है, मतलब क़ुरआनी आयतें पढ़ कर दम करना या ऐसे कलिमात जो शिर्किया न हों उससे हम दम कर सकते हैं और ये सुन्नत से साबित है।
Read This: Kya mazar par Jane se Mushkilat ka hal hota hai
तावीज़ से शिफा कैसे मिल जाती है ?
इब्ने मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्हु की बीवी ज़ैनब रज़ि अल्लाहु अन्हा रिवायत करती है कि अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद उनके गले मे में एक धागा देखा और पूछा कि ये क्या है उन्होंने फ़रमाया ये एक धागा है जिसमे मेरे लिए दम किया गया है उन्हों ने उस धागे को उनके गले से तोड़ दिया और कहा अब इब्ने मसऊद की ख़ानदान को शिर्क की कोई ज़रूरत नही है बेशक़ मैंने रसूल-अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ये कहते सुना की के वो दम जिसमे श्रीकिया अल्फ़ाज़ हो तावीज़ ओर तावीला ये सब शिर्क है ज़ैनब ने फ़रमाया आप ये क्या कहते हैं मेरी आँखों में दर्द की शिद्दत से निकली आती थी इसलिए में फुला फुला यहूदी आदमी के पास गई थी और जब भी वो दम से इलाज करता दर्द कम हो जाता इब्ने मासूद रज़ि अल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया ये शैतान का काम है शैतान अपने हाथ से चुभाता है और जब इस पर दम किया जाता है तो वो अपने हाथ को हटा लेता है ये तुम्हारे लिए काफ़ी होगा अगर तुम वो कहो जो रसूल-अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहा करते थे
ذهب الباس رب الناس اشف أنت الشافي لا شفاء إلا شفاؤك شفاء لا يغادر سقما
तर्जुमा:- ऐ इंसानों के रब बीमारी को दूर फ़रमा शिफ़ा दे तुहि शिफ़ा देने वाला है ऐसी शिफ़ा दे जो किसी बीमारी को न रहने दे
(सुनन अबू दाऊद हदीस 3883)
Read This: Shirk Kya hai ?
Conclusion:
इस हदीस से हमे ये पता चलता है कि Taweez aur gande ki haqeeqat क्या है ? शरीयत में इसकी कोई हैसियत नहीं है तभी तो तावीज़ पहनने को शिर्क कहा गया है जैसे कि ख़ुद इब्ने मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया है ऊपर इस हदीस में और साथ ही ये भी पता चला कि तावीज़ से शिफ़ा कैसे मिल जाता है और अगर हम पर बीमारी का असर हो जाये तो क्या पढ़ा जाए पर अफ़सोस आज के कुछ मुस्लिम अल्लाह से ज़्यादा धागे तावीज़ गंडे पर तावक्कल रखते है
अल्लाह हम सबको शिर्क से बचाये और नेक रास्ते पे चलने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए (आमीन)
FAQs:
Que: गले में ताबीज पहनने से क्या होता है?
Ans: गले में ताबीज पहनने या लटकाने से कुछ नही होता बल्कि ये शिर्किया अमल है और अगर शिफा मिलती भी है तो वो शैतान की तरफ से होता है !
Que: इस्लाम में ताबीज क्या है?
Ans:इस्लाम में ताबीज पहनना या लटकाना शिर्क है हराम है !इस्लाम में, ताबीज को अक्सर 'तावीज़' के रूप में जाना जाता है, जिसमें कुरानी आयतें या दुआएँ लिखी होती हैं। यह धारक को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने, बीमारियों से रक्षा करने और सामान्य भलाई में सहायता के लिए पहनाया जाता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल करने की इजाज़त शरीयत नही देता है।
Que: क्या हिंदू तावीज पहनते हैं?
Ans: हाँ, हिंदू धर्म में भी तावीज़ का प्रचलन है, जिसे अक्सर 'यंत्र' कहा जाता है। ये धार्मिक या ज्योतिषीय महत्व के अनुसार पहने जाते हैं और इनमें विशेष मंत्र या प्रतीक होते हैं जो धारक को सुरक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करने का उद्देश्य रखते हैं।
Que: ताबीज के अंदर क्या होता है?
Ans: ताबीज के अंदर आमतौर पर मंत्र, धार्मिक श्लोक, विशेष प्रार्थनाएँ या जादुई सिम्बल लिखे होते हैं। ये लेखन सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ, या भाग्य में सुधार के लिए उनकी धार्मिक या जादुई शक्तियों को सक्रिय करने के लिए होते हैं।
Que:ताबीज किस चीज से बनता है?
Ans: ताबीज विभिन्न सामग्रियों से बन सकता है जैसे धातु, कागज, पत्थर, लकड़ी, या चमड़ा। इस पर अक्सर धार्मिक मंत्र, जादुई चिन्ह, या प्रतीक बनाए जाते हैं। यह पहनने योग्य रूप में होता है, जैसे कि लॉकेट, ब्रेसलेट, या गले का हार।
Que: ताबीज का सही अर्थ क्या है?
Ans: ताबीज एक धार्मिक या जादुई वस्तु होती है जिसे लोग शुभता, सुरक्षा या स्वास्थ्य लाभ के लिए धारण करते हैं। यह आमतौर पर एक छोटा धातु या कागज का टुकड़ा होता है जिस पर मंत्र या प्रतीक अंकित होते हैं, और इसे तावीज़ के रूप में पहना जाता है। इस्लाम में ये हराम है शिर्क है!
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ˡᶦᵏᵉ ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ ˢᵃᵛᵉ ˢʰᵃʳᵉ
1 Comments
Masha Allah
ReplyDeleteplease do not enter any spam link in the comment box.thanks