Aasan Nekiyan/आसान नेकियां
Aasan Nekiyan/आसान नेकियां |
इस्लाम में नेकियाँ करने को बहुत अहमियत दी गई है, और अल्लाह ने अपने बंदों के लिए बहुत से आसान रास्ते बनाए हैं ताकि वे थोड़े से अमल के साथ भी अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बना सकें और आखिरत में कामयाबी हासिल कर सकें। यहाँ कुछ Aasan Nekiyan करने से मुतल्लिक़ बताई गई हैं जिन्हें हम अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में शामिल कर सकते हैं:
सवाब कमाने और गुनाह मिटाने वाले आसान नेक काम
*•┈━━━━•❄︎•❄︎•━━━━┈•*
तराज़ू में बेहद वज़नी कलिमात:
उम्मुल मोमिनीन हज़रत जुवैरिया बिन्ते हारिस रज़ि० से रिवायत है कि नबी अकरम ﷺ सुबह की नमाज़ पढ़कर उनके पास से गुज़रे, उस वक्त वह अपनी नमाज़ की जगह पर बैठी हुई थीं। फिर आप ﷺ चाश्त का वक़्त हो जाने के बाद वापस आए तो देखा कि हज़रत जुवैरिया रज़ि० अभी भी वहीं बैठी हुई हैं। आप ﷺ ने पूछा, "तुम अब भी उसी हाल में हो, जिस हाल में मैंने तुम्हें छोड़ा था?" उन्होंने कहा, "हाँ।" तब रसूल अकरम ﷺ ने फरमाया, "मैंने तुम्हारे बाद चार अल्फाज़ तीन बार कहे हैं। अगर इनका वज़न किया जाए तो ये उस वज़ीफ़े से भारी होंगे, जो तुमने अब तक पढ़ा है।"
वो अल्फाज़ ये हैं:
سُبْحَانَ اللهِ وَبِحَمْدِهِ عَدَدَ خَلْقِهِ وَرِضَا نَفْسِهِ وَزِنَةَ عَرْشِهِ وَمِدَادَ كَلِمَاتِهِ
(सही मुस्लिम)
Read This: is post ko Urdu me Yahan padhen
समुद्र की झाग के बराबर गुनाहों को माफ़ करने वाले पवित्र कलिमात:
🔹हदीस-ए-रसूल ﷺ:
हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: जो शख़्स दिन में सौ बार ये अल्फाज़ कहे (सुब्हान अल्लाह वा बिहम्दिहि) (अल्लाह अपनी हम्द के साथ पाक है) उसके गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं, चाहे वो समुद्र की झाग के बराबर हों। (मुस्लिम और बुखारी)!
नेकियों में बेहिसाब इज़ाफ़ा करने वाले बाबरकत अल्फाज़:
🔹हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: दो अल्फाज़ ऐसे हैं जो ज़बान से अदा करने में बहुत आसान हैं लेकिन तराज़ू में बहुत भारी हैं और रहमान को बेहद पसंद हैं (सुब्हान अल्लाहिल अज़ीम, सुब्हान अल्लाह वा बिहम्दिहि) (अल्लाह अपनी हम्द के साथ पाक है और अज़मत वाला है)। (सहीह मुस्लिम और बुखारी)
जनाज़े की नमाज़ में शिरकत से दो पहाड़ों के बराबर सवाब:
🔹हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० कहते हैं कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: जो शख़्स ईमान की हालत में और सवाब की नीयत से किसी मुसलमान के जनाज़े के साथ चलता है, यहाँ तक कि नमाज़ पढ़े और दफ़न करने तक रहे, तो अल्लाह उसे दो क़ीरात के बराबर सवाब देगा, और हर क़ीरात उहद पहाड़ के बराबर है। और जो सिर्फ़ नमाज़ पढ़कर लौट आए, उसे एक क़ीरात के बराबर सवाब मिलेगा। (सही मुस्लिम और बुखारी)
Read This: Achhe Aur Bure amaal
फ़जर की दो रकअत (सुन्नत) का सवाब:
🔹हज़रत आयशा रज़ि० कहती हैं कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: फ़जर की दो रकअत (सुन्नत) दुनिया और उसमें मौजूद हर चीज़ से ज़्यादा क़ीमती है। (सही मुस्लिम)
एक बार दरूद भेजने पर दस रहमतें:
Aasan Nekiyan/आसान नेकियां |
🔹हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: जो शख़्स मुझ पर एक बार दरूद भेजता है, अल्लाह तआला उस पर दस बार रहमत नाज़िल करता है। (सही मुस्लिम)
ज़ुहर से पहले और बाद में चार रकअत सुन्नत अदा करना:
🔹हज़रत उम्मे हबीबा रज़ि० से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह ﷺ को यह कहते हुए सुना है: जो शख़्स ज़ुहर से पहले और ज़ुहर के बाद चार रकअत की पाबंदी करे, अल्लाह तआला उस पर जहन्नम की आग को हराम कर देता है। (तिर्मिज़ी)
ईशा की नमाज़ जमात से अदा करना:
🔹हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ि० से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह ﷺ को ये फरमाते हुए सुना: जिसने ईशा की नमाज़ जमात के साथ अदा की, वह ऐसा है जैसे उसने आधी रात का क़याम किया हो। (सही मुस्लिम)
फजर की नमाज़ अदा करना:
🔹हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ि० से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह ﷺ को ये कहते हुए सुना है: जिसने सुबह की नमाज़ जमात के साथ अदा की, वह ऐसा है जैसे उसने पूरी रात नमाज़ में गुज़ारी हो। (सही मुस्लिम)
Read This: Be Namazi ka Anjam
किसी बीमार की अयादत करना (मुलाकात करना):
🔹हज़रत अली रज़ि० से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह ﷺ को फरमाते हुए सुना: जो मुसलमान किसी मुसलमान की सुबह के वक़्त अयादत करता है, तो सत्तर हज़ार फ़रिश्ते शाम तक उसके लिए रहमत की दुआ करते हैं। और अगर वह शाम को अयादत करे, तो सत्तर हज़ार फ़रिश्ते सुबह तक उसके लिए दुआ करते हैं, और फिर जन्नत में उसके लिए एक बाग़ लगाया जाता है। (तिर्मिज़ी)
🔹हज़रत सऊबान रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: जब कोई मुसलमान अपने किसी मुसलमान भाई की अयादत के लिए जाता है, तो वह लौटने तक जन्नत के ताजे फलों को चुनने में लगा रहता है। आप ﷺ से पूछा गया, "ख़रफ़तुल-जन्ना" का मतलब क्या है? तो आप ﷺ ने फरमाया, "इस बाग के ताजे फल तोड़ना।" (तिर्मिज़ी)
रास्ते से तकलीफदेह चीज़ हटाना:
🔹हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: मैंने एक आदमी को जन्नत में चलते-फिरते देखा, क्योंकि उसने एक ऐसा पेड़ काट दिया था जो रास्ते के बीच में था और लोगों के लिए तकलीफ का सबब बन रहा था। (सही मुस्लिम)
ना चाहते हुए भी वुज़ू करना:
🔹हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: क्या मैं तुम्हें ऐसे अमल न बताऊं जिनसे अल्लाह गुनाह मिटा दे और दर्जे बुलंद कर दे? सहाबा रज़ि० ने अर्ज़ किया, "क्यों नहीं, ऐ अल्लाह के रसूल ﷺ! ज़रूर बताएं।" आप ﷺ ने फरमाया: ना चाहने के बावजूद अच्छी तरह से वुज़ू करना, मस्जिद की तरफ ज्यादा क़दम चलना, और एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का इंतजार करना – यह सब अल्लाह के रास्ते में पहरा देने के बराबर सवाब का काम है। (सही मुस्लिम)
अस्र की नमाज़ से पहले चार रकअत पढ़ना:
🔹हज़रत इब्ने उमर रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: अल्लाह उस शख्स पर रहम करे जो अस्र से पहले चार रकअत पढ़े। (तिर्मिज़ी)
दरिया की झाग के बराबर गुनाह माफ़ होना:
🔹हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: जो शख्स हर नमाज़ के बाद 33 बार (सुब्हान अल्लाह), 33 बार (अल्हम्दु लिल्लाह), और 33 बार (अल्लाहु अकबर) कहे – ये कुल मिलाकर 99 हुए – और 100 पूरा करने के लिए ये कहे: (ला इलाहा इल्लल्लाह, वहदहू ला शरीक लहू, लहूल मुल्कु व लहूल हम्दु व हु अला कुल्लि शैइं क़दीर) (अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं, उसी की बादशाही है और उसी के लिए तारीफ है, और वह हर चीज़ पर क़ादिर है) – तो उसके गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं, चाहे वह दरिया की झाग के बराबर हों। (सही मुस्लिम)
फजर और अस्र की नमाज़ें समय पर अदा करना:
Aasan Nekiyan/आसान नेकियां |
🔹हज़रत अबू मूसा अशअरी रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: जो शख्स दो ठंडी नमाज़ें पढ़ता है (यानी फजर और अस्र), वह जन्नत में जाएगा। (सही बुखारी और मुस्लिम)
प्यासे को पानी पिलाना:
🔹हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: एक आदमी रास्ते में जा रहा था कि उसे प्यास लगी। वह एक कुएं में उतरा और पानी पिया। जब वह बाहर निकला तो उसने देखा कि एक कुत्ता प्यास के मारे हांफ रहा था और गीली मिट्टी चाट रहा था। उस आदमी ने सोचा, इसे भी वही तकलीफ हो रही होगी जो मुझे थी। उसने कुएं में उतरकर अपना मोज़ा पानी से भरा, फिर उसे अपने दांतों से पकड़ा और ऊपर चढ़कर उस कुत्ते को पानी पिलाया। अल्लाह तआला ने इस अमल को पसंद किया और उसे बख्श दिया। सहाबा रज़ि० ने अर्ज़ किया, "या रसूल अल्लाह ﷺ! क्या जानवरों की खिदमत से भी हमें सवाब मिलेगा?" आप ﷺ ने फरमाया, "हर ज़िंदा मखलूक की खिदमत में सवाब है।" (सही मुस्लिम)
इमाम के साथ जोर से 'आमीन' कहना
🔹हज़रत अबू हुरैरा ( रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जब इमाम 'आमीन' कहे, तो तुम भी 'आमीन' कहो। क्यों कि जिस की 'आमीन' फ़रिश्तों की 'आमीन' से मिल जाती है, उसके पहले के गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।" (सही बुखारी)
🔹हज़रत अबू हुरैरा ( रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जब तुम में से कोई 'आमीन' कहता है, तो आसमान में फ़रिश्ते भी 'आमीन' कहते हैं। अगर इन दोनों की 'आमीन' मिल जाए, तो उस नमाज़ी के पहले के सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।" (सही बुखारी)
Read This: Mazar par chadar aur qabar parasti
हर नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ना
🔹हज़रत अबू अमामा ( रज़ि०) से रिवायत है कि उन्होंने रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) से सुना कि आपने फरमाया: "जो शख्स हर नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ता है, उसे जन्नत में दाखिल होने से कोई चीज़ नहीं रोक सकती, सिवाय मौत के।" (तबरानी)
अज़ान के बाद दुआ पढ़ना
🔹हज़रत जाबिर ( रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो शख्स अज़ान सुनकर यह दुआ पढ़ता है:
(اللھم رب ھذاہ الدعوة التامة والصلاة القائمة ات محمد الوسیلة والفضیلة وابعثه مقاما محمودا الذی وعدته حلت له شفا عتی یوم القیمة۔)
(अल्लाह! इस पूरी दावत और खड़े होने वाली नमाज़ के रब Muhammad ﷺ को वसीला और फज़ीलत और वह मकाम दिया, जिसका तूने उनसे वादा किया है। इस शख्स के लिए क़ियामत के दिन मेरी शफाअत वाजिब हो जाएगी।)" (सही बुखारी)
नमाज़ चाश्त पढ़ने से एक हज और उमरा का सवाब
🔹हज़रत अनस ( रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो शख्स सुबह की नमाज़ जमात के साथ पढ़े, फिर बैठकर अल्लाह का ज़िक्र करता रहे यहाँ तक कि सूरज निकल जाए, फिर दो रकात पढ़े, तो उसे एक हज और उमरा का सवाब मिलेगा।" *(यह तीन बार फरमाया) (तर्मिजी)
जुबान और शर्मगाह की हिफाज़त पर जन्नत की गारंटी
🔹हज़रत सहल बिन सआद ( रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो शख्स मुझे अपने दो चीज़ों की गारंटी दे, मैं उसे जन्नत की गारंटी देता हूँ। एक जो दो जबड़ों के बीच है *(यानी ज़ुबान) और दूसरी जो दो टांगों के बीच है (यानी शर्मगाह)।" (सही बुखारी)
अल्लाह के रास्ते में जिहाद करते हुए एक नफली रोज़ा रखना
🔹हज़रत अबू सईद ख़ुदरी (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो शख्स अल्लाह के रास्ते में एक दिन का रोज़ा रखता है, अल्लाह रबुल इज़्ज़त उसके मुँह को आग से सत्तर साल की दूरी पर दूर कर देता है।" (2840 सही मुस्लिम और बुखारी)
शवाल के छह रोज़े
🔹हज़रत अबू अयूब अंसारी (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जिसने रमज़ान के रोज़े रख लिए और उसके बाद शवाल के छह रोज़े रखे, तो वह ऐसा है जैसे कि उसने हमेशा रोज़े रखे।" (सही मुस्लिम)
वज़ाहत: शवाल के पूरे महीने में एक साथ या अलग-अलग किसी भी समय छह रोज़े रखे जा सकते हैं।
अपने हक को छोड़ना, झूठ से परहेज़ और बेहतरीन आचार
🔹हज़रत अबू आमिर (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "मैं उस शख्स के लिए जन्नत के किनारे एक घर का ज़मानत देता हूँ, जिसने हक पर होते हुए भी झगड़ा नहीं किया, और उस शख्स के लिए जन्नत के मध्य में एक घर का ज़मानत देता हूँ, जिसने मजाक के तौर पर कभी झूठ नहीं बोला, और उस शख्स के लिए जन्नत के सबसे ऊँचे दर्जे में एक घर का ज़मानत देता हूँ, जिसका आचार अच्छा हो।" (अबू दाऊद)
अल्लाह से डरने वाला व्यक्ति
🔹हज़रत अबू हुरैरा (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "वह व्यक्ति जहन्नम की आग में नहीं जाएगा, जो अल्लाह के डर से रोता है, यहाँ तक कि दूध फिर से थनों में लौट आए।" (तर्मिजी)
नमाज़ के इंतज़ार में बैठने वाले
🔹हज़रत अनस (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने एक रात इशा की नमाज़ को आधी रात तक टाल दिया। फिर नमाज़ पढ़ाने के बाद हमारी तरफ मुड़कर फरमाया: "लोग तो नमाज़ पढ़कर सो गए, और तुम जब से नमाज़ का इंतज़ार कर रहे हो, बराबर नमाज़ की हालत में हो।" (सही बुखारी)
सुब्हान अल्लाही व बिगमदही कहना
🔹हज़रत जाबिर (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो शख्स ( सुब्हान अल्लाही व बिह़म्दिही) कहे, अल्लाह अपने ह़म्द के साथ पाक है, उसके लिए जन्नत में एक खजूर का पेड़ लगाया जाता है।" (तर्मिजी)
सुन्नत के मुताबिक वज़ू करना
🔹हज़रत उस्मान बिन अफ़्फान (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो शख्स अच्छे तरीके से (सुन्नत के अनुसार) वज़ू करता है, उसकी सारी गलियाँ उसके शरीर से निकल जाती हैं, यहाँ तक कि उसके नाखूनों के नीचे से भी।" (सही मुस्लिम)
🔹हज़रत उस्मान बिन अफ़्फान (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि उन्होंने कहा: "मैंने रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) को वज़ू करते हुए देखा जैसे मैं वज़ू करता हूँ। फिर आपने फरमाया: 'जो इस तरह वज़ू करे, तो उसके पहले के सारे (छोटे) गुनाह माफ कर दिए जाते हैं, और उसकी नमाज़ और मस्जिद की तरफ चलकर जाना अतिरिक्त सवाब का कारण बनता है।'" (सही मुस्लिम)
नमाज़ के लिए मस्जिद की तरफ चलकर जाना
Aasan Nekiyan/आसान नेकियां |
🔹हज़रत अबू हुरैरा (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो शख्स सुबह या शाम को मस्जिद जाता है, तो अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत में मेहमाननवाज़ी तैयार करता है, जब भी वह सुबह या शाम को जाए।" (सही बुखारी और मुस्लिम)
तीन बार जन्नत का सवाल करना
🔹हज़रत अनस बिन मलिक (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि उन्होंने कहा: "जिस शख्स ने तीन बार जन्नत का सवाल किया, तो जन्नत कहती है: 'ऐ अल्लाह! इसको जन्नत में दाखिल कर।' और जो शख्स तीन बार जहन्नम से पनाह मांगता है, तो आग कहती है: 'ऐ अल्लाह! इसको आग से पनाह दे।'" (तर्मिजी)
Read This: Mazar par hazri se mushkil ka hal
बेटे और बेटी से बराबर सुलूक करना
🔹हज़रत इब्न अब्बास (رضی اللہ عنہما) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जिस शख्स को अल्लाह तआला बेटी से नवाज़ता है, वह न तो उसे ज़िंदा दफन करे, न उसके साथ अपमानजनक व्यवहार करे, और न बेटों को उस पर तरजीह दे; अल्लाह उसे जन्नत में दाखिल करेगा।" (अबू दाऊद)
कसरत से सजदा करना
🔹हज़रत थौबान (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "कभी-कभी सजदा करते रहो। जो सजदा अल्लाह तआला की रज़ा के लिए करता है, उसके बदले में अल्लाह तआला तुम्हारे दर्जात ऊँचे करता है और तुम्हारे गुनाह माफ करता है।" (सही मुस्लिम)
खावंद की इत्ताअत और फर्ज़ों की पाबंदी
🔹हज़रत अबू हुरैरा (رضی اللہ عنہ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "जो औरत पाँच वक्त की नमाज़ अदा करे, रमज़ान के रोज़े रखे, अपनी इज़्ज़त की हिफाज़त करे और अपने पति की आताअत करे, उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खुलेंगे, वह किसी भी दरवाज़े से चाहें दाखिल हो सकती है।" (इब्न हिबान)
हज़ार नेकियाँ आसानी से
🔹रसूलुल्लाह (صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم) ने फरमाया: "क्या तुम में से कोई ऐसा है जो हर रोज़ एक हजार नेकियाँ कमा सके? आपके साथ बैठे हुए लोगों में से एक ने पूछा: 'हम में से कोई एक हजार नेकियाँ कैसे कमा सकता है?' आपने फरमाया: 'वह सौ बार सुब्हान अल्लाह' (अल्लाह पाक है) कहे। इसके लिए एक हजार नेकियाँ लिखी जाएँगी और उसके एक हजार गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।'" (सही मुस्लिम-6852)
*•┈━━━━•❄︎•❄︎•━━━━┈•*
कुछ आसान नेकियाँ: छोटे अमल, बड़ी सवाब
1. मुस्कुराना
हदीस में आता है कि "तुम्हारा अपने भाई के लिए मुस्कुराना सदक़ा है।" (तिर्मिज़ी)मुस्कुराना एक छोटी सी नेकियाँ है जो न केवल आपके चेहरे को रौशन करती है बल्कि दूसरों के दिल को भी खुश करती है।
2. सलाम करना
सलाम करना इस्लाम में एक बहुत बड़ी नेकी मानी गई है। सलाम करने से आपस में मोहब्बत बढ़ती है और भाईचारे का पैग़ाम फैलता है। हदीस में है: "तुम्हें जन्नत में दाखिल नहीं किया जाएगा जब तक तुम ईमान न लाओ, और ईमान पूरा नहीं होगा जब तक आपस में मोहब्बत न करो।" (मुस्लिम)3. अल्लाह का ज़िक्र करना
ज़िक्र एक बहुत ही आसान नेकी है जिसे किसी भी समय किया जा सकता है। "सुभान अल्लाह," "अलहम्दुलिल्लाह," "अल्लाहु अकबर" जैसे शब्द बहुत ज़्यादा सवाब का सबब हैं। हदीस में है कि "दो शब्द अल्लाह के लिए बहुत पसंदीदा हैं, ज़बान पर हल्के हैं और मीज़ान में भारी हैं: 'सुभान अल्लाह व बिहम्दिह, सुभान अल्लाह अल-अज़ीम।'" (बुख़ारी)4. दूसरों के लिए दुआ करना
किसी के लिए दुआ करना एक बड़ी नेकी है। जब हम किसी के लिए दुआ करते हैं तो फ़रिश्ते हमारे लिए भी वही दुआ करते हैं। हदीस में है: "जब तुम अपने मुसलमान भाई के लिए दुआ करते हो, तो फ़रिश्ता कहता है कि तुम्हारे लिए भी ऐसा ही हो।" (मुस्लिम)5. सदक़ा देना
सदक़ा न केवल धन देना है बल्कि किसी की मदद करना, पानी पिलाना, या रास्ते से रुकावट हटाना भी सदक़ा है। हदीस में है कि "हर मुसलमान पर सदक़ा है।" (बुखारी)6. वालिदैन के साथ अच्छा बर्ताव
वालिदैन की खिदमत करना और उनके साथ अच्छा सुलूक करना इस्लाम में बहुत बड़ी नेकी है। कुरआन में बार-बार वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक की ताकीद की गई है।7. अच्छी नियत रखना
अमल की दरुस्तगी में नियत का बहुत अहम किरदार है। सही नियत के साथ दुनिया के मामूली काम भी इबादत बन सकते हैं। हदीस में है कि "अमल का दारोमदार नियत पर है।" (बुखारी)8. नमाज़ पढ़ना
पाँच वक्त की नमाज़ रोज़ाना अदा करना एक आसान मगर अहम अमल है जो ईमान का बुनियादी हिस्सा है और यह दिल और रूह को ताज़गी और सकून देती है।9. क़ुरआन की तिलावत करना
क़ुरआन की तिलावत एक बड़ी नेकी है और अल्लाह के करीब जाने का ज़रिया है। रोज़ थोड़ा भी पढ़ना इमान को मज़बूत करता है।10. अच्छे अख़लाक़ से पेश आना
दूसरों के साथ नरमी, मदद करना, और माफ करना भी बड़ी नेकियाँ हैं। हदीस में है: "क़यामत के दिन मोमिन के मीज़ान में सबसे भारी चीज़ अच्छे अख़लाक़ होंगे।" (तिर्मिज़ी)Conclusion:
Aasan Nekiyan छोटी लगती हैं, लेकिन अल्लाह के नज़दीक उनका बहुत सवाब है। ये अमल हमारी रोज़ाना ज़िन्दगी में अल्लाह का क़ुर्ब पाने के आसान रास्ते हैं और हमें आखिरत में कामयाबी दिलाने में मदद करेंगे। अल्लाह हमें इन नेकियों पर अमल की तौफीक दे, आमीन!
*•┈━━━━•❄︎•❄︎•━━━━┈•*
👍🏽 ✍🏻 📩 📤 🔔
Like comment save share subscribe
FAQs:
सवाल 1:Aasan Nekiyan क्या होती हैं और इसकी क्या अहमियत है?जवाब: आसान नेकियां वे छोटे-छोटे अमल होते हैं जो बिना किसी बड़ी मेहनत के किए जा सकते हैं, लेकिन उनका सवाब अल्लाह के नजदीक बहुत बड़ा होता है। ये नेकियाँ हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को खूबसूरत बनाती हैं और हमें अल्लाह का क़ुर्ब हासिल करने में मदद करती हैं।
सवाल 2: कौन-सी आसान नेकी हमें रोजाना करनी चाहिए?
जवाब: मुस्कुराना एक आसान नेकी है। नबी ﷺ ने फरमाया: "तुम्हारा अपने भाई के लिए मुस्कुराना सदक़ा है।" (तिर्मिज़ी)
मुस्कुराना न सिर्फ आपके चेहरे को रौशन करता है बल्कि यह दूसरों के दिलों को भी खुश करता है।
सवाल 3: दूसरों के लिए दुआ करने का क्या सवाब है?
जवाब: दूसरों के लिए दुआ करने से अल्लाह तआला फ़रिश्तों को हमारे लिए भी वही दुआ करने का हुक्म देता है। हदीस में है: "जब तुम अपने मुस्लिम भाई के लिए दुआ करते हो, तो फ़रिश्ता कहता है कि तुम्हारे लिए भी ऐसा ही हो।" (मुस्लिम)
सवाल 4: इस्लाम में सलाम करने की अहमियत क्या है?
जवाब: सलाम करना एक बड़ी नेकी है जो आपस में मोहब्बत और भाईचारे को बढ़ाती है। नबी ﷺ ने फरमाया: "तुम जन्नत में दाखिल नहीं हो सकते जब तक ईमान न लाओ, और ईमान पूरा नहीं होगा जब तक आपस में मोहब्बत न करो। सलाम को आम करो।" (मुस्लिम)
सवाल 5: सदक़ा करने के कुछ आसान तरीके बताएं।
जवाब: सदक़ा केवल पैसे देना नहीं है, बल्कि किसी की मदद करना, पानी पिलाना, रास्ते से रुकावट हटाना या किसी को हौसला देना भी सदक़ा में शामिल है। हदीस में है: "हर मुसलमान पर सदक़ा है।" (बुखारी)
इसलिए हर कोई अपनी हैसियत के मुताबिक सदक़ा कर सकता है।
सवाल 6: ज़िक्र की क्या अहमियत है और कौन से ज़िक्र आसान हैं?
जवाब: ज़िक्र अल्लाह के करीब होने का सबसे आसान तरीका है और यह दिल को सुकून देता है। "सुभान अल्लाह," "अलहम्दुलिल्लाह," "अल्लाहु अकबर" जैसे शब्द बहुत सवाब के हकदार हैं। हदीस में है: "दो शब्द अल्लाह के लिए बहुत प्यारे हैं: 'सुभान अल्लाह व बिहम्दिह, सुभान अल्लाह अल-अज़ीम'।" (बुखारी)
सवाल 7: क्या रोज़मर्रा के मामूली काम भी नेकी बन सकते हैं?
जवाब: जी हाँ, अगर नियत अच्छी हो तो मामूली काम भी नेकी बन जाते हैं। हदीस में है कि "अमल का दरमदार नियत पर है।" (बुखारी)
उदाहरण के लिए, अपने परिवार की खिदमत करना या उन्हें खुश रखना भी इबादत मानी जाती है अगर यह अल्लाह की रज़ा के लिए किया जाए।
सवाल 8: वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करने का सवाब क्या है?
जवाब: वालिदैन की खिदमत करना जन्नत का दरवाज़ा खोल देता है। कुरआन और हदीस में बार-बार वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करने की ताकीद की गई है। अल्लाह का क़ुर्ब पाने का यह एक बड़ा ज़रिया है।
सवाल 9: पाँच वक्त की नमाज़ का क्या फायदा है?
जवाब: नमाज़ ईमान का सबसे अहम हिस्सा है और दिल-ओ-दिमाग को सुकून और ताज़गी देती है। रोज़ाना पाँच वक्त की नमाज़ पढ़ना एक ऐसा अमल है जो अल्लाह के करीब करता है और हमें अल्लाह की हिफाजत में रखता है।
सवाल 10: कुरआन की तिलावत करने की क्या फज़ीलत है?
जवाब: कुरआन अल्लाह का कलाम है और इसकी तिलावत से दिल को सुकून और ईमान में बढ़ोतरी होती है। रोज़ थोड़ी तिलावत करने से ज़िन्दगी में बरकत होती है और अल्लाह का क़ुर्ब हासिल होता है।
सवाल 2: कौन-सी आसान नेकी हमें रोजाना करनी चाहिए?
जवाब: मुस्कुराना एक आसान नेकी है। नबी ﷺ ने फरमाया: "तुम्हारा अपने भाई के लिए मुस्कुराना सदक़ा है।" (तिर्मिज़ी)
मुस्कुराना न सिर्फ आपके चेहरे को रौशन करता है बल्कि यह दूसरों के दिलों को भी खुश करता है।
सवाल 3: दूसरों के लिए दुआ करने का क्या सवाब है?
जवाब: दूसरों के लिए दुआ करने से अल्लाह तआला फ़रिश्तों को हमारे लिए भी वही दुआ करने का हुक्म देता है। हदीस में है: "जब तुम अपने मुस्लिम भाई के लिए दुआ करते हो, तो फ़रिश्ता कहता है कि तुम्हारे लिए भी ऐसा ही हो।" (मुस्लिम)
सवाल 4: इस्लाम में सलाम करने की अहमियत क्या है?
जवाब: सलाम करना एक बड़ी नेकी है जो आपस में मोहब्बत और भाईचारे को बढ़ाती है। नबी ﷺ ने फरमाया: "तुम जन्नत में दाखिल नहीं हो सकते जब तक ईमान न लाओ, और ईमान पूरा नहीं होगा जब तक आपस में मोहब्बत न करो। सलाम को आम करो।" (मुस्लिम)
सवाल 5: सदक़ा करने के कुछ आसान तरीके बताएं।
जवाब: सदक़ा केवल पैसे देना नहीं है, बल्कि किसी की मदद करना, पानी पिलाना, रास्ते से रुकावट हटाना या किसी को हौसला देना भी सदक़ा में शामिल है। हदीस में है: "हर मुसलमान पर सदक़ा है।" (बुखारी)
इसलिए हर कोई अपनी हैसियत के मुताबिक सदक़ा कर सकता है।
सवाल 6: ज़िक्र की क्या अहमियत है और कौन से ज़िक्र आसान हैं?
जवाब: ज़िक्र अल्लाह के करीब होने का सबसे आसान तरीका है और यह दिल को सुकून देता है। "सुभान अल्लाह," "अलहम्दुलिल्लाह," "अल्लाहु अकबर" जैसे शब्द बहुत सवाब के हकदार हैं। हदीस में है: "दो शब्द अल्लाह के लिए बहुत प्यारे हैं: 'सुभान अल्लाह व बिहम्दिह, सुभान अल्लाह अल-अज़ीम'।" (बुखारी)
सवाल 7: क्या रोज़मर्रा के मामूली काम भी नेकी बन सकते हैं?
जवाब: जी हाँ, अगर नियत अच्छी हो तो मामूली काम भी नेकी बन जाते हैं। हदीस में है कि "अमल का दरमदार नियत पर है।" (बुखारी)
उदाहरण के लिए, अपने परिवार की खिदमत करना या उन्हें खुश रखना भी इबादत मानी जाती है अगर यह अल्लाह की रज़ा के लिए किया जाए।
सवाल 8: वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करने का सवाब क्या है?
जवाब: वालिदैन की खिदमत करना जन्नत का दरवाज़ा खोल देता है। कुरआन और हदीस में बार-बार वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करने की ताकीद की गई है। अल्लाह का क़ुर्ब पाने का यह एक बड़ा ज़रिया है।
सवाल 9: पाँच वक्त की नमाज़ का क्या फायदा है?
जवाब: नमाज़ ईमान का सबसे अहम हिस्सा है और दिल-ओ-दिमाग को सुकून और ताज़गी देती है। रोज़ाना पाँच वक्त की नमाज़ पढ़ना एक ऐसा अमल है जो अल्लाह के करीब करता है और हमें अल्लाह की हिफाजत में रखता है।
सवाल 10: कुरआन की तिलावत करने की क्या फज़ीलत है?
जवाब: कुरआन अल्लाह का कलाम है और इसकी तिलावत से दिल को सुकून और ईमान में बढ़ोतरी होती है। रोज़ थोड़ी तिलावत करने से ज़िन्दगी में बरकत होती है और अल्लाह का क़ुर्ब हासिल होता है।
0 Comments
please do not enter any spam link in the comment box.thanks