Afsos na rah jaye/अफ़सोस ना रह जाए
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Afsos na rah jaye |
यह कहानी Afsos na rah jaye इंसानी फ़ितरत की एक कड़वी सच्चाई को बयान करती है—अक्सर लोग मुश्किल वक्त में दूसरों का साथ नहीं देते, मगर जब वे दुनिया से चले जाते हैं, तो पछतावे और शर्मिंदगी के आँसू बहाते हैं। इसी से मुतल्लिक एक मुर्ग़ी की दुःख भरी कहानी है जिसे मुश्किल वक़्त में उस के साथियों ने उसका साथ छोड़ दिया और वो अपनी जान गंवा बैठी!
is Post ko Urdu me Yahan padhen
मुर्ग़ी को साँप ने काटा
एक मुर्ग़ी खाने के लिए झाड़ियों में फ़िर रही थी की अचानक साँप ने एक मुर्गी को काट लिया, ज़हर उसके जिस्म में फैल रहा था। दर्द से तड़पती मुर्गी ने अपने आश्रय, यानी मुर्गीख़ाने में शरण लेने की कोशिश की। मगर दूसरी मुर्गियों ने उसे बाहर निकाल देना ही बेहतर समझा, ताकि ज़हर ना फैले। लंगड़ाते हुए वह चली गई—बाहरी दर्द से ज्यादा अंदर की तकलीफ उसे जला रही थी।वह साँप के काटने से नहीं, बल्कि अपने परिवार की बेरुख़ी और बेदर्दी से दुखी थी, जब उसे उनकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी।
बुखार में तपती, एक टांग घसीटते हुए, ठंडी रातों के रहमो-करम पर वह दूर चली गई। हर कदम पर एक आँसू गिरता रहा।
पीछे मुर्गीख़ाने की मुर्गियाँ उसे जाते देखती रहीं और एक ने कहा—
"जाने दो… वह हमसे दूर जाकर मर जाएगी।"
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एक चिड़िया का पैग़ाम:
समय बीतता गया।एक दिन एक चिड़िया आई और खबर दी—
"तुम्हारी बहन ज़िंदा है! वह एक दूर की गुफा में रहती है। मगर ज़हर की वजह से उसने अपनी एक टांग खो दी है। उसे खाने की तलाश में मुश्किल हो रही है और उसे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है।"
मुर्गीख़ाने में खामोशी छा गई, फिर बहाने शुरू हो गए—
"मैं नहीं जा सकती, मैं अंडे दे रही हूँ…"
"मैं नहीं जा सकती, मैं दाना खोज रही हूँ…"
"मैं नहीं जा सकती, मुझे अपने बच्चों की देखभाल करनी है…"
एक-एक कर सबने इनकार कर दिया।
फिर समय बीतता गया।
"तुम्हारी बहन अब इस दुनिया में नहीं रही। वह अकेली गुफा में मर गई…"
इस खबर ने सबको झकझोर दिया।
अंडे देने वाली मुर्गियाँ ठहर गईं।
दाना खोजने वाली मुर्गियाँ शांत हो गईं।
बच्चों की देखभाल करने वाली मुर्गियों की आँखें भर आईं।
अब पछतावे की आग किसी भी ज़हर से ज्यादा जलाने लगी।
वे खुद से सवाल करने लगीं—
"हम पहले क्यों नहीं गए?"
रोते-बिलखते, वे गुफा की ओर भागीं। अब उनके पास उसे देखने की वजह थी, मगर बहुत देर हो चुकी थी।
गुफा में उन्हें मुर्गी नहीं मिली…
सिर्फ़ एक कागज़ मिला, जिस पर लिखा था—
"ज़िंदगी में, लोग आपकी मदद के लिए सड़क पार नहीं करते, लेकिन आपको दफनाने के लिए दुनिया तक घूम आते हैं।
और ज़्यादातर आँसू दर्द के नहीं, बल्कि पछतावे और शर्म के होते हैं।"
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Conclusion:
यह कहानी Afsos na rah jaye हमें सिखाती है कि ज़िंदगी में लोगों की मदद उनके जीते-जी करनी चाहिए। बाद में रोने और पछताने का कोई फ़ायदा नहीं होता। हमें दूसरों के दुःख-दर्द को महसूस करना चाहिए और उनकी तकलीफ़ में उनके साथ खड़ा होना चाहिए, ताकि बाद में हमें किसी तरह का पछतावा न हो।
यह सीख आम जीवन के हर रिश्ते पर लागू होती है। दोस्तों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और साथियों के साथ सहानुभूति और मदद का रवैया अपनाना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि जब हमें अहसास हो, तब तक बहुत देर हो चुकी हो और हमारे पास पछतावे के अलावा कुछ न बचे।
मुश्किल समय में किसी की मदद करने से पीछे मत हटो, कहीं ऐसा न हो कि बाद में सिर्फ़ अफसोस ही रह जाए। जब तक लोग हमारे साथ होते हैं, उनकी कद्र करो, वरना बाद में पछताने का कोई फ़ायदा नहीं।
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FAQs:
उत्तर: कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें दूसरों की मदद उनके जीवनकाल में ही करनी चाहिए, न कि बाद में पछताने और आँसू बहाने के लिए। कठिन समय में किसी का साथ देना ही सच्ची सहानुभूति और इंसानियत है।
प्रश्न 2: मुर्गी के साथियों ने उसकी मदद क्यों नहीं की?
प्रश्न 2: मुर्गी के साथियों ने उसकी मदद क्यों नहीं की?
उत्तर: डर, बेरुखी और स्वार्थ के कारण मुर्गियों ने उसे अकेला छोड़ दिया। वे नहीं चाहती थीं कि ज़हर उन्हें भी प्रभावित करे या वे किसी परेशानी में पड़ें, इसलिए उन्होंने उसे खुद से दूर कर दिया।
प्रश्न 3: जब मुर्गियों को पता चला कि वह ज़िंदा है, तो उन्होंने क्या किया?
प्रश्न 3: जब मुर्गियों को पता चला कि वह ज़िंदा है, तो उन्होंने क्या किया?
उत्तर: जब एक पक्षी ने उन्हें बताया कि मुर्गी ज़िंदा है और उसे मदद की जरूरत है, तो हर किसी ने कोई न कोई बहाना बनाकर उसकी मदद से इंकार कर दिया।
प्रश्न 4: मुर्गियों को अपनी गलती का अहसास कब हुआ?
प्रश्न 4: मुर्गियों को अपनी गलती का अहसास कब हुआ?
उत्तर: जब पक्षी ने उन्हें यह खबर दी कि मुर्गी अकेले गुफा में मर गई, तब उन्हें अपने व्यवहार का अहसास हुआ और वे गहरे पश्चाताप से भर गईं।
प्रश्न 5: कहानी के अंत में मुर्गियों ने क्या किया?
प्रश्न 5: कहानी के अंत में मुर्गियों ने क्या किया?
उत्तर: पछतावे के बोझ से दबकर सभी मुर्गियाँ गुफा की ओर भागीं, लेकिन जब वे वहाँ पहुँचीं, तो उन्हें मुर्गी की लाश नहीं मिली। केवल एक पत्र मिला जिसमें यह कटु सत्य लिखा था कि लोग ज़िंदगी में मदद के लिए नहीं आते, लेकिन दफनाने के लिए दुनिया पार कर लेते हैं।
प्रश्न 6: यह कहानी हमारे जीवन के किन पहलुओं को उजागर करती है?
प्रश्न 6: यह कहानी हमारे जीवन के किन पहलुओं को उजागर करती है?
उत्तर: यह कहानी हमें यह अहसास कराती है कि हमें दूसरों के दुःख और कष्ट को समझना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए, चाहे वह दोस्त हों, परिवार के सदस्य हों या अजनबी। ऐसा न हो कि जब हमें अहसास हो, तब तक बहुत देर हो चुकी हो और हमारे पास पछतावे के अलावा कुछ न बचे।
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