Qayamat Ek Faisale ka Din Part:2/क़यामत एक फ़ैसले का दिन
क़यामत, एक ऐसा दिन जिसे हर मज़हब और मान्यता में अद्भुत और भयानक बताया गया है। Qayamat Ek Faisale ka Din इस से मुतल्लिक़ अल्लाह तआला ने कुरआन के कई सूरतों और आयतों में इस का बयान किया है!
क़यामत,एक ऐसा दिन, जिस का आना निश्चय है ! अगर एक मोमिन Qayamat Ek Faisale ka Din इस से मुतल्लिक़ कुरआन की आयतों को पढ़ ले तो लरज़ उठे, ख़ौफ़ ज़दह हो जाएगा।यह वह दिन है, जब ज़मीन और आसमान अपनी हदें पार कर देंगे, पहाड़ रेत की तरह बिखर जाएंगे, समंदर उफान पर होंगे, और सूरज अपनी जगह से हट जाएगा। इंसान अपनी करनी का हिसाब देते हुए खड़ा होगा, जहाँ न कोई दोस्त मदद करेगा और न रिश्ते पहचान में आएंगे। यह दिन इंसान की आख़िरी मंज़िल का फ़ैसला करेगा – जन्नत या जहन्नुम। क़यामत का ये मंज़र दिल को दहला देने वाला होगा, जो हमें अपनी ज़िंदगी पर ग़ौर करने और अपने कर्म सुधारने की नसीहत देता है।
Note: Qayamat Ek Faisale ka Din है ! यह कोई काल्पनिक, बनावटी कहानी नहीं है बल्कि हक़ीक़त है जो हो कर रहेगी क्यूं कि अल्लाह का ये फरमान और वादह है और अल्लाह का वादह झूठा नहीं है
फ़ैसले का दिन क्या है ?
यह वह दिन है,जब ज़मीन और आसमान अपनी हदें पार कर देंगे, पहाड़ रेत की तरह बिखर जाएंगे, समंदर उफान पर होंगे, और सूरज अपनी जगह से हट जाएगा। इंसान अपनी करनी का हिसाब देते हुए खड़ा होगा, जहाँ न कोई दोस्त मदद करेगा और न रिश्ते पहचान में आएंगे। यह दिन इंसान की आख़िरी मंज़िल का फ़ैसला करेगा – जन्नत या जहन्नुम। क़यामत का ये मंज़र दिल को दहला देने वाला होगा, जो हमें अपनी ज़िंदगी पर ग़ौर करने और अपने कर्म सुधारने की नसीहत देता है।
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सुरह इन्फितार में क़यामत का मंज़र
सूरह अल-इंफ़ितार क़यामत का हाल:
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Qayamat Ek Faisale ka Din (Part:2) |
1. "जब आसमान फट जाएगा।"
यह क़ियामत का मंजर है जब आसमान अपनी मौजूदा हालत में नहीं रहेगा और टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा।
2. "और जब सितारे टूटकर गिर जाएँगे।"
सितारे अपनी जगह से बिखर जाएँगे। यह दुनिया के खत्म होने की निशानी होगी।
3. "और जब समंदर फट पड़ेंगे।"
समंदरों का पानी उफान मारेगा और एक-दूसरे में मिल जाएगा।
4. "और जब कब्रें उलट दी जाएँगी।"
मरे हुए इंसान कब्रों से बाहर निकाल दिए जाएँगे और उन्हें दोबारा ज़िंदा किया जाएगा।
5. "हर इंसान जान लेगा कि उसने क्या आगे भेजा और क्या पीछे छोड़ा।"
क़ियामत के दिन हर इंसान को उसके अच्छे और बुरे कर्म दिखाए जाएँगे।
6. "ऐ इंसान! तुझे अपने दयालु रब के बारे में किस चीज़ ने धोखे में डाला?"
यह सवाल इंसान की ग़फलत और बेपरवाही पर ध्यान दिलाने के लिए पूछा गया है।
7. "जिसने तुझे बनाया, तुझे ठीक किया और तुझे संतुलित बनाया।"
यह अल्लाह की कुदरत और इंसान की बेहतरीन बनावट को बताता है।
8. "जिस शक्ल में चाहा, तुझे बनाया।"
अल्लाह ने इंसान को सबसे अच्छी और सुंदर शक्ल में बनाया।
9. "नहीं! बल्कि तुम हिसाब-किताब (क़ियामत) को झुटलाते हो।"
यह उन लोगों के लिए है जो क़ियामत और कर्मों के हिसाब-किताब को नहीं मानते।
10. "तुम पर निगरानी रखने वाले (फरिश्ते) मौजूद हैं।"
फरिश्ते हर इंसान के कर्मों को लिखने के लिए नियुक्त हैं।
11. "जो सम्मानित हैं और लिखने वाले हैं।"
ये फरिश्ते नेक और ईमानदार हैं, और हर इंसान का पूरा रिकॉर्ड रखते हैं।
12. "जो कुछ तुम करते हो, वे सब जानते हैं।"
कोई भी काम उनसे छिपा नहीं है।
13. "यकीनन अच्छे लोग नेमतों (जन्नत) में होंगे।"
यह जन्नत में नेकी करने वालों की इनाम की बात करता है।
14. "और गुनहगार लोग जहन्नम में होंगे।"
यह गुनहगारों की सज़ा की तरफ इशारा है।जिनका ठिकाना जहन्नम है।
15. "वे उस दिन जहन्नम में झोंक दिए जाएँगे।"
क़ियामत के दिन गुनहगारों को जहन्नम में डाला जाएगा।
16. "और वे उससे कभी नहीं बच पाएँगे।"
यह बताता है कि उनकी सज़ा हमेशा के लिए होगी।
17. "और तुम्हें क्या मालूम कि हिसाब-किताब का दिन क्या है?"
यह सवाल क़ियामत के दिन की अहमियत बताने के लिए है।
18. "फिर तुम्हें क्या मालूम कि हिसाब-किताब का दिन क्या है?"
इस सवाल को दोहराकर इसकी गंभीरता को और बढ़ाया गया है।
19. "उस दिन कोई किसी के लिए कुछ भी नहीं कर सकेगा, और पूरा हुक्म सिर्फ अल्लाह का होगा।"
क़ियामत के दिन अल्लाह ही मालिक और हाकिम होंगे, और इंसान बिल्कुल बेबस होगा।
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Conclusion:
Qayamat Ek Faisale ka Din है! जिस का आना निश्चय है! सूरह अल-इंफ़ितार में इंसान को उसकी ज़िम्मेदारियों की याद दिलाई गई है और उसे क़ियामत के दिन के लिए तैयार होने की नसीहत दी गई है। साथ ही यह अच्छे कर्मों की अहमियत और बुराई से बचने का सबक दिया गया है।
सूरह अल-इंफ़ितार इंसान को क़ियामत (प्रलय) के दिन की हक़ीक़त और अल्लाह की महानता की याद दिलाती है। इसमें क़ियामत के निशानियाँ, इंसान के आमाल (कर्मों) का हिसाब-किताब, और जन्नत (स्वर्ग) व जहन्नम (नरक) का अंजाम बताया गया है। ये सूरह हमें अपने कर्म सुधारने और अल्लाह के हुक्म मानने की ताकीद करती है ताकि क़ियामत के दिन हम सज़ा से बच सकें और अल्लाह की नेमतें पा सकें।
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FAQs:
सवाल 1: सूरह अल-इंफ़ितार में क़ियामत के दिन की कौन-कौन सी निशानियाँ बताई गई हैं?
जवाब:
आसमान का फट जाना।
सितारों का टूटकर गिर जाना।
समंदरों का उफान मारना।
कब्रों का पलट दिया जाना।
सवाल 2: ये सूरह इंसान को क्या समझाने की कोशिश करती है?
जवाब: ये सूरह इंसान को याद दिलाती है कि अल्लाह के सामने हर अमल (कर्म) का हिसाब देना है। इसलिए हमें अच्छे कर्म करने चाहिए और बुराई से बचना चाहिए।
सवाल 3: "किरामन कातिबीन" का मतलब क्या है?
जवाब: "किरामन कातिबीन" का मतलब है वो इज़्ज़तदार फ़रिश्ते जो इंसान के हर अच्छे और बुरे कर्म लिखते हैं।
सवाल 4: क़ियामत के दिन अच्छे और बुरे लोगों का क्या अंजाम होगा?
जवाब: अच्छे लोग जन्नत की नेमतों में होंगे। और बुरे लोग जहन्नम की आग में जलेंगे।
सवाल 5: अल्लाह ने इंसान से क्या सवाल किया है?
जवाब: अल्लाह ने पूछा है: "ऐ इंसान! तुझे अपने करीम (दयालु) रब के बारे में किस चीज़ ने धोखा दिया?"
सवाल 6: क़ियामत के दिन किसका हुक्म चलेगा?
जवाब: क़ियामत के दिन सिर्फ अल्लाह का हुक्म चलेगा। कोई इंसान किसी दूसरे की मदद नहीं कर सकेगा।
1 Comments
Masha Allah.Allah hame saheeh raah par chalne ki taufeeq de
ReplyDeleteplease do not enter any spam link in the comment box.thanks