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Read & Listen Qur'an Urdu Tarjamah (114 Surah)

"जो शख़्स क़ुरआन का एक हरफ़ (अक्षर) पढ़ता है, उसे दस नेकियों का सवाब मिलता है। (तिर्मिज़ी) दिलों का सुकून: क़ुरआन पढ़ने से दिल को सुकून और राहत मिलती है, और इंसान अल्लाह के करीब हो जाता है।

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Urdu Tarjamah Qur'an
Read & Listen Qur'an Urdu Tarjamah (114 Surah)

आप की ख़िदमत में पेश है Read & Listen Qur'an Urdu Tarjamah (114 Surah) जो आप आसानी से पढ़ और सुन सकते हैं!
क़ुरआन इस्लाम की सबसे मुक़द्दस और बुनियादी किताब है, जिसे अल्लाह तआला ने इंसानियत की हिदायत और रहनुमाई के लिए नाज़िल किया। यह किताब न सिर्फ़ मुसलमानों के लिए, बल्कि तमाम इंसानों के लिए रहमत और रोशनी है। क़ुरआन हकीकत में अल्लाह का कलाम है, जिसे हज़रत जिब्राईल (अ.स) के ज़रिए हमारे आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर नाज़िल किया गया। यह किताब दुनिया और आख़िरत की कामयाबी का रास्ता दिखाती है और इंसानी ज़िंदगी के हर पहलू के लिए रहनुमाई मुहैया कराती है।

क़ुरआन पढ़ने और सुनने की फ़ज़ीलत

"रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया :"जब भी कुछ लोग अल्लाह के घरों में से किसी घर (मस्जिद) में इकट्ठा होकर क़ुरआन पढ़ते और उसे एक-दूसरे को सिखाते हैं, तो उन पर सकीना (सुकून) उतरती है, रहमत उन्हें ढाँप लेती है, फरिश्ते उन्हें घेर लेते हैं और अल्लाह तआला उनका जिक्र अपने पास फरिश्तों में फरमाते हैं।"(सहीह मुस्लिम: 2699)
क़ुरआन मजीद पढ़ना और सुनना दोनों की बड़ी फजीलत हैं, जिनकी फ़ज़ीलत कुरआन और हदीस में बार-बार बयान की गई है।

क़ुरआन पढ़ने की फ़ज़ीलत:

  1. अल्लाह की रहमत और सवाब: हदीस में आता है कि जो शख़्स क़ुरआन का एक हरफ़ (अक्षर) पढ़ता है, उसे दस नेकियों का सवाब मिलता है। (तिर्मिज़ी)
  2. दिलों का सुकून: क़ुरआन पढ़ने से दिल को सुकून और राहत मिलती है, और इंसान अल्लाह के करीब हो जाता है।
  3. शफ़ाअत (सिफ़ारिश) करने वाला: हदीस में आता है कि क़ुरआन क़यामत के दिन अपने पढ़ने वालों की सिफ़ारिश करेगा। (मुस्लिम)
  4. रौशनी और हिदायत: यह किताब इंसान को गुमराही से निकालकर हिदायत के रास्ते पर ले जाती है।

क़ुरआन सुनने की फ़ज़ीलत: 

अल्लाह की रहमत का नुज़ूल: जब क़ुरआन पढ़ा जाता है, तो फरिश्ते नाज़िल होते हैं और अल्लाह की रहमत बरसती है।

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया :"जब भी कुछ लोग अल्लाह के घरों में से किसी घर (मस्जिद) में इकट्ठा होकर क़ुरआन पढ़ते और उसे एक-दूसरे को सिखाते हैं, तो उन पर सकीना (सुकून) उतरती है, रहमत उन्हें ढाँप लेती है, फरिश्ते उन्हें घेर लेते हैं और अल्लाह तआला उनका जिक्र अपने पास फरिश्तों में फरमाते हैं।"(सहीह मुस्लिम: 2699)

2. ईमान की ताज़गी:

क़ुरआन की तिलावत सुनने से दिल में ईमान मज़बूत होता है
अल्लाह तआला फ़रमाते हैं:"ईमान वाले वही हैं जिनके दिल अल्लाह के ज़िक्र से कांप उठते हैं, और जब उन पर उसकी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो उनका ईमान और बढ़ जाता है और वे अपने रब पर तवक्कुल करते हैं।"(सूरह अल-अन्फाल: 2)
अल्लाह का खास इनाम: अल्लाह तआला फ़रमाता है:"और जब क़ुरआन पढ़ा जाए तो उसे ग़ौर से सुनो और खामोश रहो ताकि तुम पर रहमत हो।" (सूरह अल-आ'राफ़: 204)

गुनाहों की माफ़ी: क़ुरआन सुनने से दिल में नर्मी आती है और गुनाहों की मग़फ़िरत का ज़रिया बनता है।

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Conclusion:

मुकम्मल क़ुरआन पढ़ने और सुनने के लिए Read & Listen Qur'an Urdu Tarjamah (114 Surah) है !
क़ुरआन अल्लाह तआला की सबसे बड़ी नेमतों में से एक है, जो इंसान को जहालत से निकालकर हिदायत की रोशनी तक पहुँचाती है। यह किताब एक मुकम्मल ज़िंदगी के उसूल और इंसाफ़ पर मबनी समाज की तामीर का बेहतरीन ज़रिया है। जो भी इसे पढ़े, समझे और उस पर अमल करे, वह दुनियावी और आख़िरवी कामयाबी हासिल कर सकता है। इसलिए हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वह क़ुरआन को न सिर्फ़ पढ़े, बल्कि उसकी तालीमात को अपनी ज़िंदगी में लागू करे, ताकि वह अल्लाह की रहमत और बरकतों का हक़दार बन सके।



🌸✨🌿 ~ Mohibz Tahiri ~ 🌿✨🌸
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"क़ुरआन 📖 पढ़ना और सुनना 🎧 दोनों ही बहुत बड़ा अज्र और सवाब रखते हैं। यह हमारे दिलों को सुकून और जिंदगी को सही राह दिखाने का ज़रिया है। हमें चाहिए कि हम क़ुरआन की तिलावत और उसकी तालीमात पर अमल करें, ताकि अल्लाह की रहमत और बरकतें हमारी ज़िंदगी में शामिल हो जाएँ।

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