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Sabse Buri Bastiyan /सबसे बुरी बस्तियाँ

"सच कभी छिपता नहीं – झूठ से कुछ समय के लिए फायदा हो सकता है, लेकिन अंत में सच्चाई ही जीतती है।۔"

Sabe Buri Bastiyan/सबसे बुरी बस्तियाँ

Jhooton ki basti
Sabse Buri Bastiyan /सबसे बुरी बस्तियाँ



वे बस्तियाँ Sabse Buri Bastiyan होती हैं जहाँ सच और झूठ का फर्क मिट जाता है। कभी एक ऐसी ही बस्ती थी जहाँ लोग झूठ बोलने और झूठी गवाही देने के लिए मशहूर थे। वहाँ सच कहना बहुत मुश्किल था, क्योंकि लोग बिना डर के झूठ बोलते थे, चाहे किसी की जिंदगी तबाह हो जाए।


गुप्त विवाह और अन्याय


इसी बस्ती में एक आदमी और औरत ने गुप्त रूप से शादी कर ली। यह विवाह पूरी तरह से इस्लामिक नियमों के अनुसार हुआ था, जिसमें एक काजी और दो गवाह मौजूद थे। लेकिन चूंकि बस्ती के लोग झूठे थे, इसलिए इस निकाह की कोई चर्चा नहीं हुई।

कुछ समय बाद, पति-पत्नी में झगड़ा हो गया। पति ने पत्नी को घर से निकाल दिया और उसके सभी अधिकार छीन लिए। बेचारी महिला अकेली और बेबस थी, इसलिए वह न्याय के लिए काजी के पास गई।

न्यायालय में झूठी गवाही

Sabse Buri Bastiyan
Sabse Buri Bastiyan /सबसे बुरी बस्तियाँ


काजी ने महिला की बात सुनी और पूछा, "क्या तुम्हारे निकाह के कोई गवाह हैं?"
महिला ने जवाब दिया, "हाँ, निकाह के समय दो गवाह और काजी खुद भी मौजूद थे।"

काजी ने गवाहों को बुलाया, लेकिन उन सभी ने अदालत में झूठ बोला, "हमने इस औरत को कभी नहीं देखा, हमें नहीं पता कि इसका निकाह हुआ था या नहीं।"

काजी की चतुराई


काजी ने कुछ देर सोचा और महिला से पूछा, "क्या तुम्हारे पति के पास कुत्ते हैं?"
महिला ने कहा, "हाँ, उसके पास कुत्ते हैं।"

काजी ने कहा, "अगर मैं इन कुत्तों को गवाह बना लूँ, तो क्या तुम उनकी गवाही स्वीकार करोगी?"
महिला ने मजबूरी में कहा, "हाँ, मुझे मंजूर है।"

काजी ने आदेश दिया कि महिला को उसके पति के घर ले जाया जाए। यदि कुत्ते उसे देखकर भौंकते, तो महिला झूठी साबित होती, लेकिन यदि वे उसे पहचानकर खुश हो जाते, तो यह सिद्ध हो जाता कि वह वहीं की मालकिन है और पति तथा गवाह झूठ बोल रहे हैं।
यह सुनकर पति और झूठे गवाह डर गए, क्योंकि उन्हें पता था कि सच्चाई छिप नहीं सकेगी।

काजी ने कहा, "इन झूठों को गिरफ्तार करो और इन्हें सज़ा दो।" फिर उसने कहा:
"सबसे बुरी वे बस्तियाँ हैं, जहाँ इंसानों से ज्यादा जानवर सच्चे होते हैं!"



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झूठी बस्ती का व्यापारी

एक बार एक अमीर व्यापारी एक ऐसी बस्ती में पहुँचा, जहाँ के लोग झूठ बोलने में माहिर थे। वह वहाँ अपना कीमती सामान बेचने आया था, लेकिन बस्ती के लोगों ने चालाकी से उससे सामान ले लिया और भुगतान करने से इनकार कर दिया।

जब व्यापारी न्याय के लिए काजी के पास गया, तो बस्ती के लोगों ने झूठी कसम खाकर कहा कि वे उसे जानते ही नहीं और उन्होंने उससे कोई सामान नहीं खरीदा।

सच्चाई का अनोखा गवाह

Sach ka insaaf
Sabse Buri Bastiyan /सबसे बुरी बस्तियाँ


काजी ने व्यापारी से पूछा, "क्या तुम्हारे पास कोई ऐसा गवाह है जो झूठ न बोले?"
व्यापारी ने सोचा और कहा, "मेरे पास मेरा ऊँट है, जो वर्षों से मेरे साथ है। अगर वह गवाह बन सकता है, तो मैं उसकी गवाही मंजूर करूंगा।"

काजी ने ऊँट को अदालत में बुलवाया। जब ऊँट ने उन लोगों को देखा जिन्होंने झूठी गवाही दी थी, तो वह गुस्से में उन पर झपटने लगा।

काजी ने हंसते हुए कहा, "यह ऊँट तुम्हारे झूठ का पर्दाफाश कर चुका है। जब इंसानों की गवाही पर भरोसा न रहे, तो जानवर भी सच्चाई दिखा सकते हैं।"

इसके बाद काजी ने झूठे लोगों को सज़ा दी और व्यापारी को उसका हक दिलाया। अंत में उसने कहा:
"वह बस्ती नष्ट होने के लायक और Sabse Buri Bastiyan है, जहाँ इंसानों से ज्यादा जानवर सच्चे हों!"

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"वे बस्तियाँ Sabse Buri Bastiyan होती हैं जहाँ सच और झूठ का फर्क मिट जाता है।۔"

Conclusion:

इन दोनों घटनाओं से हमें यह सिखने को मिलता है कि:

  1. सच कभी छिपता नहीं – झूठ से कुछ समय के लिए फायदा हो सकता है, लेकिन अंत में सच्चाई ही जीतती है।

  2. इंसाफ के लिए बुद्धि जरूरी है – सिर्फ लोगों की गवाही पर भरोसा करना काफी नहीं, बल्कि न्याय करने के लिए समझदारी भी चाहिए।

  3. झूठ और धोखा समाज को बर्बाद कर देता है – जो समाज झूठ को अपनाता है, वह खुद को नष्ट कर लेता है।

  4. सच्चाई ही मजबूत समाज की नींव है – अगर लोग ईमानदार होंगे, तो समाज भी सुरक्षित और न्यायपूर्ण होगा।

इसलिए हमें हमेशा सच्चाई का साथ देना चाहिए, वरना हमें जानवरों की गवाही पर निर्भर होना पड़ेगा, जो सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है।



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