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Valentine's Day: Haya Ya Besharmi ka Din

"Valentine's Day बेहयाई का आलमी दिन ! 14 Feb को किसी की बहन बेटी को Date या Rose 🌹 देने से पहले यह मत भूलना कि आप भी किसी लड़की के भाई और बाप हैं !अल्लाह और रसूल की खिलाफ वर्ज़ी और शैतान इब्लीस को खुश करने का दिन, इज़हारे बेशर्मी व बेहयाई का दिन है। जिसकी आमद पर जशन मनाना और ऐसी मजलिसों में शरीक होना हराम है। इसलिए - होशियार रहें।"

वेलेंटाइन डे: हया का दिन या बेशर्मी का दिन?

Be hayayi ka Fitna
Valentine's Day: Haya Ya Besharmi ka Din 


वेलेंटाइन डे (Valentine's Day) हर साल 14 फरवरी को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिन मुहब्बत के इज़हार के नाम पर बेशर्मी, फहाशी और गैर-शरीअत रिश्तों को बढ़ावा देने का ज़रिया बन चुका है। Valentine's Day: Haya ya Besharmi ka Din है ?इस्लामी नजरिए से देखा जाए तो यह दिन कई पहलुओं से काबिले-गौर है। इस मकाले में हम कुरआन और हदीस की रोशनी में इस दिन की हकीकत का जायज़ा लेंगे।


    वेलेंटाइन डे की हकीकत

    यह दिन रोमी तहज़ीब की एक रवायत से मंसूब है, जिसका ताल्लुक गैर-इखलाकी और गैर-शरीअत रिश्तों के प्रचार से है। इसे सेंट वेलेंटाइन के नाम से भी जाना जाता है, जो ईसाइयत में एक मतनाज़ा शख्सियत रहा है। इसका इस्लामी तालीमात से कोई ताल्लुक नहीं, बल्कि यह मगरीबी सकाफत का हिस्सा है, जो फहाशी और बेहयाई को आम करता है।

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    "वेलेंटाइन डे मनाना अज़ाब-ए-ख़ुदा वंदी को दावत देना है अल्लाह तआला फ़रमाता है: जो लोग ये चाहते हैं कि ईमान वालों मे वे हयाई फैले उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है।"

    इस्लाम में हया और पाकीजगी

    Haya aur pakeezgi
    Valentine's Day: Haya Ya Besharmi ka Din 



    इस्लाम में हया को ईमान का लाज़िमी जुज़ करार दिया गया है। अल्लाह तआला फरमाते हैं:

    1. ज़िना और इसके असबाब से बचाव:
    और ज़िना के करीब भी मत जाओ, बेशक यह बेशर्मी है और बुरा रास्ता है।"(अल-कुरआन, सूरह अल-इसरा: 32)
    इस आयत में अल्लाह तआला ने न सिर्फ ज़िना को हराम ठहराया, बल्कि इसके क़रीब जाने से भी मना किया। यानी कोई ऐसा काम भी न किया जाए जो ज़िना की तरफ ले जाए, जैसे कि ग़ैर-महरम से मेल-जोल, बेहयाई वाली गुफ्तगू, नामहरम को देखना, गलत इरादे से उनसे मुलाकात करना, या ऐसी जगहों पर जाना जहाँ ग़लत माहौल हो।

    यह आयत वाज़ेह करती है कि न सिर्फ ज़िना हराम है, बल्कि इसके करीब जाने वाले तमाम ज़राए, चाहे वह नजरें हों, मुलाकातें हों या बेशर्मी के मौके, सब ममनूअ हैं।

    2. शर्म और हया ईमान का हिस्सा है:
    "और जब तुम उनसे (नबी की बीवियों से) कोई चीज़ माँगो तो परदे के पीछे से माँगो, यह तुम्हारे और उनके दिलों के लिए ज्यादा पाकीजा तरीका है।"(अल-कुरआन, सूरह अल-अहज़ाब: 53)
    यह आयत साबित करती है कि इस्लाम में हया और पाकदामनी को बहुत ज़्यादा एहमियत दी गई है।

    3. अज़ाब-ए-ख़ुदा वंदी को दावत देना:

    अल्लाह तआला फ़रमाता है:
    जो लोग ये चाहते हैं कि ईमान वालों मे वे हयाई फैले उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है। (सूरह अल नूर :19)
    यह आयात बताती है कि बेहयाई फैलाने वालों को अल्लाह दुनियां और आख़िरत दोनों जगह उसे अल्लाह अज़ाब देगा !

    नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
    "बेशक हर दीन की एक खास सिफत होती है, और इस्लाम की सिफत हया है।"(सुनन इब्न माजा, हदीस: 4181)
    इसी तरह आपने ﷺ फरमाया:
    "जब तुम में हया न रहे तो जो चाहो करो।"(सहीह बुखारी, हदीस: 6120)
    यह अहादीस साबित करती हैं कि हया ही वह खूबी है जो इंसान को बुरे कामों से रोकती है।


    वेलेंटाइन डे: बेशर्मी का दिन?

    "आप ﷺ ने फरमाया:"आँखों का ज़िना (ग़ैर-महरम औरत को) देखना है, कानों का ज़िना (ग़लत बातें) सुनना है, ज़ुबान का ज़िना (ग़लत बात करना) है, हाथों का ज़िना (ग़लत तरीके से छूना) है, पैरों का ज़िना (ग़लत जगह पर जाना) है।"(सहीह मुस्लिम: 2657)"

    अल्लाह और रसूल की खिलाफ वर्ज़ी और शैतान इब्लीस को खुश करने का दिन, इज़हारे बेशर्मी व बेहयाई का दिन है। जिसकी आमद पर जशन मनाना और ऐसी मजलिसों में शरीक होना हराम है।
    इसलिए - होशियार रहें।
    वेलेंटाइन डे के मौकों पर नौजवान लड़के और लड़कियाँ एक-दूसरे को मुहब्बत के नाम पर तोहफे देते हैं, लाल गुलाब पेश किए जाते हैं, और मखलूत इज्तिमात मुनअकिद किए जाते हैं। यह तमाम चीजें न सिर्फ इस्लामी इखलाकियात के खिलाफ हैं बल्कि हमारे मुआशरती इकदार को भी नुकसान पहुँचाती हैं।

    गैर-महरम मर्द और औरत के रिश्ते और तन्हाई में मिलना:

    Tanhaayi me na mahram se milna haraam hai
    Valentine's Day: Haya Ya Besharmi ka Din 

     

    नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
    "कोई मर्द किसी गैर-महरम औरत के साथ तनहाई में न हो, क्योंकि उनके दरमियान तीसरा शैतान होता है।"(सुनन अत-तिर्मिज़ी, हदीस: 2165)
    नबी ﷺ ने फरमाया:"कोई शख्स किसी अजनबी (ग़ैर-महरम) औरत से तन्हाई में मुलाकात न करे।"(सहीह बुखारी: 5233)
    यह हदीस इस्लाम की पाकीज़गी भरी तालीमात को उजागर करती है। जब कोई ग़ैर-महरम मर्द और औरत अकेले मिलते हैं, तो उनके दरमियान तीसरा शैतान होता है, जो उन्हें गुनाह की तरफ ले जाने की कोशिश करता है। आज के दौर में वेलेंटाइन डे जैसे मौके ग़लत रिश्तों को बढ़ावा देते हैं, जिसमें नौजवान ग़लत फैसले लेते हैं और अपने दीन और इज्ज़त दोनों को नुकसान पहुँचाते हैं।

    वेलेंटाइन डे पर आमतौर पर लड़के और लड़कियाँ तनहाई में मिलते हैं, जो इस हदीस के वाज़ेह खिलाफ है।

     आँखों, कानों, जुबान और हाथों का ज़िना

    आप ﷺ ने फरमाया:"आँखों का ज़िना (ग़ैर-महरम औरत को) देखना है, कानों का ज़िना (ग़लत बातें) सुनना है, ज़ुबान का ज़िना (ग़लत बात करना) है, हाथों का ज़िना (ग़लत तरीके से छूना) है, पैरों का ज़िना (ग़लत जगह पर जाना) है।"(सहीह मुस्लिम: 2657)
    यह हदीस साबित करती है कि ज़िना सिर्फ जिस्मानी रिश्ता नहीं, बल्कि गुनाह के सारे रास्ते ज़िना में शामिल हैं। अगर कोई शख्स ग़ैर-महरम को गलत नजर से देखता है, उससे बेहयाई भरी बातें करता है, या उसे गलत नीयत से छूता है, तो यह सब ज़िना के दायरे में आता है।

     मगरीबी सकाफत की अंधी तकलीद:

    नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
    "जो किसी कौम की मुशाबहत इख्तियार करे, वह उन्हीं में से है।"(सुनन अबू दाऊद, हदीस: 4031)
    यह हदीस हमें मुतनब्बे करती है कि गैर-इस्लामी तहज़ीब और सकाफत की तकलीद करना खतरनाक है।

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    इस्लामी मुतबादिल: हया का दिन

    No valentine Day
    Valentine's Day: Haya Ya Besharmi ka Din 



    चूंकि इस्लाम में मुहब्बत का तसव्वुर पाकीजगी और हुदूद के साथ मशरूत है, इसलिए हमें ऐसे अय्याम मनाने चाहिएं जो शर्म और हया और इखलाकियात को फरोग दें।

    1. निकाह का फरोग:
    इस्लाम में निकाह को पाकीजा रिश्तों का ज़रिया बनाया गया है, और हमें निकाह की एहमियत उजागर करनी चाहिए।

    2. वालिदैन, बहन-भाई और जाइज़ रिश्तों से मुहब्बत:
    मुहब्बत सिर्फ गैर-शरीअत रिश्तों तक महदूद नहीं, बल्कि हमें अपने वालिदैन, बहन-भाइयों और दीगर अज़ीजों से भी मुहब्बत करनी चाहिए और उनका एहतिराम करना चाहिए।

    3. इफ्फत और पाकदामनी के फरोग के लिए कोशिश:
    बहैसियत मुसलमान, हमें मुआशरे में पाकीजगी, शर्म और हया और इज्जत और इफ्फत के कल्चर को फरोग देना चाहिए।
    "इस्लाम में जायज़ और पाकीज़ा मुहब्बत को पसंद किया गया है, जैसे शौहर और बीवी के बीच मुहब्बत, वालिदैन और औलाद की मुहब्बत। लेकिन ग़ैर-शरीअत और बेहयाई वाली मुहब्बत, जो अल्लाह की नाफ़रमानी पर मजबूर करे, हराम है।

    Conclusion:

    वेलेंटाइन डे मनाना अज़ाब-ए-ख़ुदा वंदी को दावत देना है !अल्लाह तआला फ़रमाता है:
    जो लोग ये चाहते हैं कि ईमान वालों मे वे हयाई फैले उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है।
    Valentine's Day: Haya Ya Besharmi ka Din अब आप को खुद सोचना है कि आनेवाली नस्ल को किस तरफ़ ले कर जाना है ?
    वेलेंटाइन डे एक गैर-इस्लामी और बेशर्मी को फरोग देने वाला दिन है, जो न सिर्फ हमारे ईमान के लिए नुकसानदेह है बल्कि हमारे मुआशरे में भी बेराहरवी का सबब बन रहा है। कुरआन और हदीस की रोशनी में यह साबित होता है कि हया ईमान का हिस्सा है, और हमें हर उस अमल से बचना चाहिए जो हया के खिलाफ हो। हमें चाहिए कि हम अपनी नौजवान नस्ल को इस दिन के नुकसानात से आगाह करें और इस्लाम की सच्ची और पाकीजा मुहब्बत को फरोग दें।
    "अल्लाह तआला हमें बेशर्मी से बचने और इस्लामी तालीमात पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।
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    FAQs:

    1. सवाल: वेलेंटाइन डे मनाना इस्लाम में क्यों हराम है?
    जवाब: वेलेंटाइन डे का ताल्लुक़ गैर-इस्लामी तहज़ीब से है, जो बेहयाई, फहाशी और नाजायज़ रिश्तों को बढ़ावा देता है। इस्लाम में हया और पाकदामनी की तालीम दी गई है, और यह दिन इन तालीमात के खिलाफ़ है।


    2. सवाल: क्या इस दिन सिर्फ़ अपने शौहर या बीवी को मुहब्बत का इज़हार करना भी गलत है?
    जवाब: अपने शौहर या बीवी से मुहब्बत करना इस्लाम में बहुत पसंदीदा अमल है, लेकिन इसके लिए किसी गैर-इस्लामी दिन को खास करना ठीक नहीं। हमें हर दिन अपने रिश्तों में मुहब्बत और एहतराम बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।


    3. सवाल: अगर मैं किसी को सिर्फ़ दोस्ती में वेलेंटाइन डे पर गिफ्ट दूँ, तो क्या यह जायज़ है?
    जवाब: ग़ैर-महरम को तोहफ़ा देना या इस मौके पर मुहब्बत का इज़हार करना इस्लाम में जायज़ नहीं है, क्योंकि यह नाजायज़ रिश्तों की तरफ़ ले जा सकता है। दोस्ती के नाम पर भी ऐसे गैर-इस्लामी रिवाजों को अपनाने से बचना चाहिए।


    4. सवाल: क्या इस्लाम में मुहब्बत हराम है?
    जवाब: इस्लाम में जायज़ और पाकीज़ा मुहब्बत को पसंद किया गया है, जैसे शौहर और बीवी के बीच मुहब्बत, वालिदैन और औलाद की मुहब्बत। लेकिन ग़ैर-शरीअत और बेहयाई वाली मुहब्बत, जो अल्लाह की नाफ़रमानी पर मजबूर करे, हराम है।


    5. सवाल: वेलेंटाइन डे के मुकाबले इस्लामी तर्ज़-ए-ज़िन्दगी में क्या बेहतरीन विकल्प हैं?
    जवाब

    • निकाह को आसान बनाना और इसकी अहमियत को उजागर करना।
    • अपने घरवालों और हलाल रिश्तों के साथ मुहब्बत का इज़हार करना।
    • इस्लामी तारीख़ों में मुहब्बत और एहतराम को बढ़ावा देना, जैसे शौहर और बीवी एक-दूसरे को खुश करने के लिए छोटे-छोटे तोहफे दें।
    • हया और पाकीज़गी को अपनाकर अल्लाह की रहमत हासिल करना।


    6. सवाल: क्या सोशल मीडिया पर वेलेंटाइन डे से जुड़ी पोस्ट शेयर करना गलत है?
    जवाब: हां, क्योंकि इससे इस बेहयाई के दिन का प्रचार होता है और दूसरे लोग भी इसकी तरफ़ मुतवज्जेह होते हैं। बजाय इसके, हमें हया, इफ्फ़त और पाकदामनी को फरोग़ देने वाली पोस्ट शेयर करनी चाहिए।


    7. सवाल: अगर कोई वेलेंटाइन डे मना चुका हो, तो अब उसे क्या करना चाहिए?
    जवाब: उसे तौबा करनी चाहिए, अल्लाह से माफी माँगनी चाहिए और आइंदा इस दिन को न मनाने का इरादा करना चाहिए। अल्लाह बहुत रहम करने वाला और माफ करने वाला है।


    8. सवाल: क्या सिर्फ़ मज़े के लिए इस दिन को सेलिब्रेट करना भी गलत है?
    जवाब: हां, क्योंकि यह गैर-इस्लामी तहज़ीब का हिस्सा है और बेहयाई को बढ़ावा देता है। कोई भी काम सिर्फ़ “मज़े” के लिए जायज़ नहीं हो जाता, बल्कि यह देखना ज़रूरी होता है कि वह काम इस्लाम के मुताबिक़ है या नहीं।


    9. सवाल: क्या यह सच है कि इस दिन सबसे ज्यादा गुनाह किए जाते हैं?
    जवाब: जी हां, वेलेंटाइन डे पर नौजवान लड़के-लड़कियाँ गैर-शरीअत कामों में लिप्त हो जाते हैं, जैसे डेटिंग, नाजायज़ रिश्ते और बेहयाई। यह दिन शैतान के लिए एक बड़ा मौका होता है कि वह लोगों को बहकाए।


    10. सवाल: हम अपनी नई नस्ल को इस दिन की हकीकत कैसे समझा सकते हैं?
    जवाब:

    • इस दिन की असल हकीकत और इसके नुकसानात से आगाह करें।
    • कुरआन और हदीस की तालीम दें कि हया और पाकदामनी कितनी अहम है
    • इस्लामी मौकों को सेलिब्रेट करने का शऊर दें, जैसे ईद, निकाह और हलाल रिश्तों की कद्र करना।
    • अच्छी सोहबत और सही तालीम की तरफ़ ले जाएँ, ताकि वह गलत राह पर न चलें।

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