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Ramzanul Mubarak:Barkaton aur nekiyon ka maheena / रमज़ान मुबारक: बरकतों और नेकियों का महीना

"रोज़ा सिर्फ़ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि खुदा की इबादत, सब्र, तक़वा, हमदर्दी और नेक आमाल करने का बेहतरीन वक़्त है। इस महीने में हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ा दिया जाता है,

Ramzanul Mubarak:Barkaton aur nekiyon ka maheena (Hindi/Urdu)

 
Ramzan barkaton ka maheena
Ramzanul Mubarak


Ramzanul Mubarak:Barkaton aur nekiyon ka maheena है! रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसे बहुत ही मुक़द्दस और बरकतों से भरपूर माना जाता है। यह वह महीना है जिसमें अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम नाज़िल फ़रमाया और रोज़ों को इस्लाम का एक अहम रुक्न क़रार दिया। यह सिर्फ़ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि खुदा की इबादत, सब्र, तक़वा, हमदर्दी और नेक आमाल करने का बेहतरीन वक़्त है। इस महीने में हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ा दिया जाता है और जन्नत का एक ख़ास दरवाज़ा "बाब अर-रय्यान" सिर्फ़ रोज़ेदारों के लिए मुक़र्रर किया गया है।


"नबी अकरम ﷺ ने फ़रमाया:"जिसने क़ुरआन मजीद का एक हरफ पढ़ा, उसके लिए एक नेकी है, और हर नेकी का बदला दस गुना है।" (सुनन तिर्मिज़ी),

रमज़ान में करने वाली नेकियां:


रमज़ान में कुछ ऐसे नेक आमाल हैं जिनका एहतेमाम हर मुसलमान के लिए सवाब और सौभाग्य का कारण है और ये नेक अमल सिर्फ़ रमज़ान में ही नहीं बल्कि हमें हमेशा करना चाहिए और रमज़ान में इसका ख़ास ख़्याल रखना चाहिए क्योंकि इस 
महीने में हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ा दिया जाता है!
"रसूलुल्लाह ने फ़रमाया : इब्ने-आदम के हर नेक अमल को दस गुना से सात सौ गुना तक बढ़ा दिया जाता है। अल्लाह तआला फ़रमाता है : रोज़े के सिवा; क्योंकि वो मेरे लिये है और में ही उसका बदला दूँगा,


1. क़ुरआन करीम की तिलावत


नबी अकरम ﷺ ने फ़रमाया:"जिसने क़ुरआन मजीद का एक हरफ पढ़ा, उसके लिए एक नेकी है, और हर नेकी का बदला दस गुना है।" (सुनन तिर्मिज़ी)

2. कसरत से दुआ माँगना

अल्लाह तआला फ़रमाते हैं:"जब मेरे बंदे मेरे बारे में आप से सवाल करें तो कह दें कि मैं बहुत क़रीब हूँ, हर पुकारने वाले की दुआ को सुनता हूँ और क़ुबूल करता हूँ।" (अल-बक़रा: 186)

3. इफ़्तार के वक़्त दुआ करना

नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:"अल्लाह तआला इफ़्तार के वक़्त बहुत से लोगों को माफ़ फ़रमा देता है।" (मुस्नद अहमद)

4. सफ़र और घर से निकलने की दुआ पढ़ना


घर से निकलते वक़्त:"बिस्मिल्लाह, तवक्कलतु अलल्लाह, वला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह।" (अबू दाऊद, तिर्मिज़ी)

5. बेतुल-ख़ला (शौचालय) में दाख़िल होने और निकलने की दुआ


दाख़िल होते वक़्त: "बिस्मिल्लाह... अल्लाहुम्मा इन्नी अउज़ुबिका मिनल-ख़ुबुसि वल-ख़बाइथ।" (बुख़ारी, मुस्लिम)
निकलते वक़्त: "ग़ुफ़रानक।" (अबू दाऊद, तिर्मिज़ी)

6. सोने और जागने की दुआ

सोते वक़्त: "बिस्मिका अल्लाहुम्मा अमूतु व अह्या।" (बुख़ारी, मुस्लिम)
जागने के बाद: "अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी अह्याना बाद मा अमातना व इलैहिन-नुशूर।" (बुख़ारी, मुस्लिम)

7. सवारी पर बैठने की दुआ


"सुब्हानल्लज़ी सख्ख़र लना हाज़ा व मा कुनना लहु मुक़रिनीन, व इन्ना इला रब्बिना लमुंक़लिबून।"

8. सदक़ा और ख़ैरात

नबी करीम ﷺ रमज़ान मुबारक में आम दिनों की निस्बत ज़्यादा सख़ावत फ़रमाया करते थे। (सहीह बुख़ारी)

9. रमज़ान में उमराह करना

नबी अकरम ﷺ ने फ़रमाया:"रमज़ान में उमराह करना मेरे साथ हज करने के बराबर है।" (बुख़ारी)

10. ज़ुबान की हिफ़ाज़त
नबी अकरम ﷺ ने फ़रमाया:"जो शख़्स झूठ बोलना और उस पर अमल करना न छोड़े, अल्लाह तआला को उसके भूखे-प्यासे रहने की कोई ज़रूरत नहीं।" (सहीह बुख़ारी)

 

11. सिलह रहमी (रिश्तेदारों से अच्छे ताल्लुक़ात रखना)

रिश्तों को तोड़ने से बचना ज़रूरी है, क्योंकि यह नेक आमाल के सवाब को ख़त्म कर देता है।

12. नेकी का हुक्म देना और बुराई से रोकना

रमज़ान का ख़ास पैग़ाम है कि हम नेकी की तरफ़ बुलाएँ और बुराई से रोकें।

13. ज़कात अदा करना

ज़कात देना फ़र्ज़ है, और रमज़ान में इसकी अदायगी का सवाब और बढ़ जाता है।

14. वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा व्यवहार)

वालिदैन की ख़िदमत और उनके साथ अच्छा बर्ताव रमज़ान में अजर को कई गुना बढ़ा देता है।


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Conclusion:

ये नेक आमाल रमज़ान मुबारक की बरकतों से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाने के ज़रिए हैं। इस मुक़द्दस महीने को ग़नीमत जानकर अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि अल्लाह तआला की रज़ा हासिल हो और आख़िरत में कामयाबी मुक़द्दर बने

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"रमज़ान में दुआ का खास महत्व है, खासकर इफ़्तार के वक़्त, सेहरी में और रात के आख़िरी पहर में। अल्लाह तआला फ़रमाते हैं कि वह रोज़ेदार की दुआ को क़ुबूल करते हैं।,



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(رمضان المبارک: برکتوں اور نیکیوں کا مہینہ

Ramzan Rahmaton ka maheena
Ramzanul Mubarak


رمضان المبارک اللہ تعالیٰ کی طرف سے عطا کردہ ایک نہایت بابرکت مہینہ ہے، جس میں نیکیوں کا اجر کئی گنا بڑھا دیا جاتا ہے۔ یہ مہینہ ہمارے لیے مغفرت، رحمت اور نیکیوں کے حصول کا بہترین موقع فراہم کرتا ہے۔ اللہ تعالیٰ نے اس مہینے کے روزوں کو اسلام کا ایک اہم رکن قرار دیا ہے اور روزہ داروں کے لیے جنت کا ایک خاص دروازہ، "باب الریان"، مختص فرمایا ہے۔

رمضان میں کئے جانے والے نیک عمل 

رمضان میں کچھ ایسے نیک اعمال ہیں جن کا اہتمام ہر مسلمان کے لیے باعثِ ثواب اور سعادت ہے اور یہ عمل صرف رمضان میں نہیں بلکہ ہمیشہ کرنا چاہیے.رمضان میں خاص طور پر اس لئے کہ رمضان میں نیکیوں کا اجر کئی گنا بڑھ جاتا ہے.

1. قرآن کریم کی تلاوت

نبی اکرم ﷺ نے فرمایا:"جس نے قرآن مجید کا ایک حرف پڑھا، اس کے لیے ایک نیکی ہے، اور ہر نیکی کا بدلہ دس گنا ہے۔" (سنن الترمذی)

2. کثرت سے دعا مانگنا

اللہ تعالیٰ فرماتے ہیں:"جب میرے بندے میرے بارے میں آپ سے سوال کریں تو کہہ دیں کہ میں بہت قریب ہوں، ہر پکارنے والے کی دعا کو سنتا ہوں اور قبول کرتا ہوں۔" (البقرہ: 186)

3. افطار کے وقت دعا کرنا

نبی کریم ﷺ نے فرمایا:"اللہ تعالیٰ افطار کے وقت بہت سے لوگوں کو معاف فرما دیتا ہے۔" (مسند احمد)

4. سفر اور گھر سے نکلنے کی دعا پڑھنا

گھر سے نکلتے وقت:"بِسْمِ اللَّهِ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللَّهِ وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ" (ابوداؤد، ترمذی)

5. بیت الخلاء میں داخل ہونے اور نکلنے کی دعا

داخل ہوتے وقت: "بِسْمِ اللَّهِ... اَللّٰهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الْخُبْثِ وَالْخَبَائِثِ" (بخاری، مسلم)نکلتے وقت: "غُفْرَانَكَ" (ابوداؤد، ترمذی)

6. سونے اور بیدار ہونے کی دعا

سوتے وقت: "بِاسْمِكَ اللَّهُمَّ أَمُوتُ وَأَحْيَا" (بخاری، مسلم)جاگنے کے بعد: "اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ" (بخاری، مسلم)

7. سواری پر بیٹھنے کی دعا

"سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُونَ"

8. صدقہ و خیرات

نبی کریم ﷺ رمضان المبارک میں عام دنوں کی نسبت زیادہ سخاوت فرمایا کرتے تھے۔ (صحیح بخاری)

9. رمضان میں عمرہ کرنا

نبی اکرم ﷺ نے فرمایا:"رمضان میں عمرہ کرنا میرے ساتھ حج کرنے کے برابر ہے۔" (بخاری)

10. زبان کی حفاظت

غیبت چغلی جھوٹ ' فحش بات اور گالی گلوچ سے زبان کی حفاظت کی جائے اللہ کے رسول صلی اللہ علیہ سلم کا فرمان ہے : "جو شخص جھوٹ بولنا اور اسکے مطابق عمل کرنا نہ چھوڑے تو اللہ تعالی کو اسکے بھوکے پیاسے رہنے کی ضرورت نہیں ہے ۔ ( صحیح بخاری ) 

11. بد زبانی سے بچوں

نبی اکرم ﷺ نے فرمایا: تم لوگ روزہ رکھو تو فحش کلامی اور شور وغل سے پرہیز کرو اور اگر کوئی تمہیں گالی دے یا لڑائی کرے تو اس سے کہہ دو کہ میں روزے سے ہوں " ( متفق علیہ ) ۔
جو شخص فحش کلام اور جھوٹ کو ترک نہ کرے اللہ تعالٰی کو اسکے کھانا پانی چھوڑنے کی ضرورت نہیں ہے" ( الطبرانی )۔ 

12. صلہ رحمی

قطع رحمی سے بچنا ضروری ہے، کیونکہ یہ نیک اعمال کے ثواب کو ختم کر دیتی ہے۔

13. نیکی کا حکم دینا اور برائی سے روکنا

یہ رمضان کا خاص پیغام ہے کہ ہم نیکی کی طرف بلائیں اور برائی سے روکیں۔

14. زکوٰۃ ادا کرنا

زکوٰۃ دینا فرض ہے، اور رمضان میں اس کی ادائیگی کا ثواب اور بڑھ جاتا ہے۔

15. والدین کے ساتھ حسن سلوک

والدین کی خدمت اور ان کے ساتھ حسن سلوک رمضان میں اجر کو کئی گنا بڑھا دیتا ہے۔

خلاصہ:
یہ نیک اعمال رمضان المبارک کی برکتوں سے زیادہ سے زیادہ مستفید ہونے کے ذرائع ہیں۔ اس مقدس مہینے کو غنیمت جان کر اپنی زندگی کو بہتر بنانے کی کوشش کرنی چاہیے تاکہ اللہ تعالیٰ کی رضا حاصل ہو اور آخرت میں کامیابی مقدر بنے۔



FAQs:

सवाल 1: रमज़ान में रोज़ा रखना क्यों ज़रूरी है?

जवाब: रोज़ा इस्लाम के पाँच अहम अरकान में से एक है, जिसे अल्लाह तआला ने हर मुसलमान पर फ़र्ज़ किया है। यह तक़वा, सब्र और अल्लाह की रहमत पाने का बेहतरीन ज़रिया है।


सवाल 2: क्या रमज़ान में दुआ जल्दी क़ुबूल होती है?

जवाब: हाँ, रमज़ान में दुआ का खास महत्व है, खासकर इफ़्तार के वक़्त, सेहरी में और रात के आख़िरी पहर में। अल्लाह तआला फ़रमाते हैं कि वह रोज़ेदार की दुआ को क़ुबूल करते हैं।


सवाल 3: रमज़ान में सदक़ा देने का क्या फ़ायदा है?

जवाब: सदक़ा देने से गुनाह माफ़ होते हैं, दिल की सख़्ती दूर होती है, और अल्लाह की रहमत नसीब होती है। नबी अकरम ﷺ रमज़ान में आम दिनों से ज़्यादा सदक़ा दिया करते थे।


सवाल 4: क्या रमज़ान में झूठ बोलने और ग़ीबत करने से रोज़ा टूट जाता है?

जवाब: रोज़ा टूटता नहीं, लेकिन इसका सवाब कम हो जाता है। नबी ﷺ ने फ़रमाया कि जो शख़्स झूठ और बुरा काम न छोड़े, तो अल्लाह को उसके भूखे-प्यासे रहने की कोई ज़रूरत नहीं।



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