insano ki ek badi Tadaad jahannum me kyun/इंसानों की एक बड़ी तादाद जहन्नम में क्यूं
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insano ki ek badi Tadaad jahannum me |
सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम में यह उल्लेख है कि इंसानों की एक बड़ी संख्या जहन्नम में जाएगी। इस लेख insano ki ek badi Tadaad jahannum me kyun जाएगी इसी से मुतल्लिक़ पढ़ेंगे!
इस्लाम में हदीस को कुरआन के बाद सबसे अहम ज़रिया माना जाता है, जिससे हमें दीन और अख़लाक़ की रहनुमाई मिलती है। कुछ अहादीस में ऐसे अहम मसाइल बयान किए गए हैं, जो इंसान को दुनिया और आख़िरत के बारे में सोचने पर मजबूर कर देते हैं। उन्हीं में से एक हदीस यह भी है कि इंसानों की बहुत बड़ी तादाद जहन्नम में जाएगी। insano ki ek badi Tadaad jahannum me kyun जाएगी यह हदीस सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम में दर्ज है और इसमें यह बयान किया गया है कि कयामत के दिन आदम (अलैहिस्सलाम) से कहा जाएगा कि अपनी औलाद में से जहन्नम के लिए लोगों को चुनें। जब इसकी तफसील पूछी गई, तो बताया गया कि हर 1000 में से 999 लोग जहन्नम में जाएंगे।
हदीस मुलाहिजा फरमाएं
नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला (क़ियामत के दिन) फ़रमाएगा :"ऐ आदम!" आदम (अलैहि०) कहेंगे : "में इताअत के लिये हाज़िर हूँ, मुस्तैद हूँ, सारी भालाइयाँ सिर्फ़ तेरे ही हाथ में हैं।"अल्लाह तआला फ़रमाएगा जहन्नम में जाने वालों को (लोगों में से अलग) निकाल लो।आदम (अलैहि०) कहेंगे। ऐ अल्लाह! जहन्नमियों की तादाद कितनी है?
अल्लाह तआला फ़रमाएगा कि हर एक हज़ार में से नौ सौ निन्यानवे।
उस वक़्त (की हौलनाकी और वहशत (डर) से) बच्चे बूढ़े हो जाएँगे और हर हामला औरत अपना हमल गिरा देगी। उस वक़्त तुम (ख़ौफ़ और दहशत से) लोगों को मदहोशी के आलम में देखोगे हालाँकि वो बेहोश न होंगे। लेकिन अल्लाह का अज़ाब बड़ा ही सख़्त होगा।
सहाबा ने कहा : या रसूलुल्लाह! वो एक शख़्स हम में से कौन होगा? नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया कि तुम्हें ख़ुशख़बरी हो वो एक आदमी तुममें से होगा और एक हज़ार दोज़ख़ी याजूज-माजूज की क़ौम से होंगे।
फिर नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया, उस ज़ात की क़सम जिसके हाथ में मेरी जान है मुझे उम्मीद है कि तुम (उम्मते-मुसलेमा) तमाम जन्नत वालों के एक तिहाई होगी।फिर हमने अल्लाहु-अकबर कहा तो आप (सल्ल०) ने फ़रमाया कि मुझे उम्मीद है कि तुम तमाम जन्नत वालों के आधे होगे फिर हमने अल्लाहु-अकबर कहा फिर आप (सल्ल०) ने फ़रमाया कि (महशर में) तुम लोग तमाम इन्सानों के मुक़ाबले में इतने होगे जितने किसी सफ़ेद बैल के जिस्म पर एक स्याह बाल या जितने किसी स्याह बैल के जिस्म पर एक सफ़ेद बाल होता है।
(सहीह बुखारी 3348, सहीह मुस्लिम 222)
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तफसील और वजाहत
इस हदीस में क़यामत के दिन की हौलनाकी, अल्लाह की मर्ज़ी, जन्नत और जहन्नम की तक़सीम और उम्मत-ए-मुसलिमा की बड़ाई का बयान है। आइए इसे तफसील से समझते हैं:
1. क़यामत के दिन का खौफनाक मंज़र
अल्लाह तआला हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) को पुकारेंगे और उनसे जहन्नमियों को अलग करने का हुक्म देंगे।हर हज़ार में से 999 लोग जहन्नम में जाएंगे।इस मनज़र की हौलनाकी इतनी ज्यादा होगी कि बच्चे बुज़ुर्ग हो जाएंगे, गर्भवती औरतें अपने बच्चे गिरा देंगी और लोग ख़ौफ़ और दहशत में मदहोश जैसे हो जाएंगे।
2. सहाबा की चिंता और पैग़म्बर (सल्ल०) की तसल्ली
सहाबा (रज़ि०) को इस बात की चिंता हुई कि जहन्नम में जाने वाले इतने ज्यादा हैं, तो उनका क्या होगा?नबी करीम (सल्ल०) ने उन्हें खुशखबरी दी कि जहन्नम में जाने वाले ज़्यादातर याजूज-माजूज की कौम से होंगे, जबकि मुसलमानों की संख्या जन्नती लोगों में अधिक होगी।
3. उम्मत-ए-मुसलिमा की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने बताया कि उम्मत-ए-मुसलिमा तमाम जन्नत वालों का एक तिहाई (1/3) होगी।फिर फरमाया कि उम्मत-ए-मुसलिमा जन्नती लोगों का आधा (1/2) होगी।आखिर में फरमाया कि क़यामत के मैदान में उम्मत-ए-मुसलिमा की तादाद बाकी इंसानों के मुकाबले में ऐसी होगी जैसे काले बैल के शरीर पर एक सफेद बाल या सफेद बैल के शरीर पर एक काला बाल होता है।
4. हदीस से मिलने वाले सबक
क़यामत का दिन बहुत ख़ौफ़नाक होगा, इसलिए हमें हमेशा नेक आमाल करने चाहिए। और अल्लाह की ना फरमानी से बचना चाहिए!जहन्नम में जाने वाले ज्यादातर याजूज-माजूज जैसे गुमराह लोग होंगे, जबकि उम्मत-ए-मुसलिमा को अल्लाह की खास रहमत मिलेगी।मुसलमानों को अल्लाह की रहमत पर भरोसा रखते हुए नेक अमल करने चाहिए ताकि वे जन्नत के हक़दार बन सकें।
यह हदीस हमें अल्लाह के अज़ाब और रहमत दोनों की याद दिलाती है और इस बात की तरफ़ मुतवज्ज़ह करती है कि हमें अपनी ज़िंदगी को अल्लाह की इताअत में गुज़ारना चाहिए।
इस हदीस से मालूम होता है कि इंसानों की बड़ी तादाद जहन्नम में जाएगी, लेकिन यह भी समझना ज़रूरी है कि यह तादाद सिर्फ उम्मत-ए-मुहम्मदिया (ﷺ) की नहीं है। नबी ﷺ ने खुद वजाहत की कि इनमें से ज्यादातर याजूज और माजूज के लोग होंगे।
Note:और इसका मतलब यह भी नहीं की हम यूंही जन्नत में चले जायेंगे क्योंकि अल्लाह का फरमान है की:
फिर क्या तुम लोगों ने ये समझ रखा है कि यूँ ही जन्नत में दाख़िला तुम्हें मिल जाएगा, हालाँकि अभी तुम पर वो सब कुछ नहीं गुज़रा है जो तुमसे पहले ईमान लानेवालों पर गुज़र चुका है? उन लोगों पर सख़्तियाँ गुज़रीं, मुसीबतें आईं, हिला मारे गए, यहाँ तक कि वक़्त का रसूल और उसके साथी ईमानवाले चीख़ उठे कि अल्लाह की मदद कब आएगी? [ उस वक़्त उन्हें तसल्ली दी गई कि] हाँ, अल्लाह की मदद क़रीब है। सूरह अल बकरह
लिहाज़ा नेक अमल और अल्लाह और उसके रसूल की आताअत करते रहें!
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यह हदीस हमें आख़िरत की हकीकत बताती है और इस बात की तरफ़ मुतवज्जह करती है कि हमें अपने आमाल का एहतिसाब करना चाहिए। हालांकि जहन्नम में जाने वालों की तादाद ज्यादा बताई गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इंसान के पास कोई रास्ता नहीं है। अल्लाह की रहमत बहुत बड़ी है और अगर इंसान तौबा करे, अच्छे आमाल करे और अल्लाह से रहमत मांगे, तो वह जन्नत का हक़दार बन सकता है। इस हदीस का असल मकसद इंसान को ग़फलत से निकालना और नेक आमाल की तरफ़ ले जाना है।
मुख्य बातें:
1. हर 1000 में से 999 लोग जहन्नम में जाएंगे: इसका मतलब यह नहीं कि उम्मत-ए-मुहम्मदिया के 999 लोग जहन्नम में जाएंगे, बल्कि दुनिया की कुल आबादी में से ऐसा होगा।
2. याजूज और माजूज की बहुसंख्या: यह अल्लाह की बनाई हुई एक क़ौम है, जिनकी तादाद बहुत ज़्यादा होगी और वह गुनाहों में डूबी होगी।
3. जन्नत में जाने वालों के लिए खुशखबरी: नबी ﷺ ने सहाबा को यह कहकर तसल्ली दी कि जन्नत में जाने वालों की संख्या भी बहुत बड़ी होगी।
इस हदीस से हमें क्या सबक मिलता है?
1. गुनाहों से बचना: अगर जहन्नम में जाने वालों की संख्या ज़्यादा है, तो हमें चाहिए कि हम अपने आमाल सुधारें और अल्लाह से बख्शिश की दुआ करें।Read This Also: Jahannum me Auraton ki Tadaad zayadah kyun hogi
2. अल्लाह की रहमत पर भरोसा: हालांकि जहन्नम में जाने वाले ज़्यादा होंगे, लेकिन अल्लाह की रहमत भी बहुत वसीअ (बड़ी) है, और नेक अमल करने वालों के लिए जन्नत के दरवाजे खुले हैं।
3. आख़िरत की फिक्र: यह हदीस हमें आख़िरत के बारे में सोचने और नेक आमाल करने की तरफ़ मुतवज्जह करती है।
(Conclusion):
इस हदीस से मालूम होता है कि इंसानों की बहुसंख्यता गुमराही के रास्ते पर होगी, लेकिन उम्मत-ए-मुहम्मदिया (ﷺ) के लिए जन्नत में जाने का बड़ा हिस्सा मुकर्रर किया गया है।यह हदीस हमें आख़िरत की हकीकत बताती है और इस बात की तरफ़ मुतवज्जह करती है कि हमें अपने आमाल का एहतिसाब करना चाहिए। हालांकि जहन्नम में जाने वालों की तादाद ज्यादा बताई गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इंसान के पास कोई रास्ता नहीं है। अल्लाह की रहमत बहुत बड़ी है और अगर इंसान तौबा करे, अच्छे आमाल करे और अल्लाह से रहमत मांगे, तो वह जन्नत का हक़दार बन सकता है। इस हदीस का असल मकसद इंसान को ग़फलत से निकालना और नेक आमाल की तरफ़ ले जाना है।
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FAQs:
सवाल 1: क्या यह हदीस उम्मत-ए-मुहम्मदिया के बारे में है?
जवाब: नहीं, इस हदीस में पूरी इंसानी आबादी की बात की जा रही है। नबी ﷺ ने खुद वजाहत की कि इसमें ज्यादातर लोग याजूज और माजूज में से होंगे।
सवाल 2: अगर जहन्नम में जाने वाले ज़्यादा हैं, तो क्या जन्नत में बहुत कम लोग जाएंगे?
जवाब: नहीं, नबी ﷺ ने यह भी फरमाया कि जन्नत बहुत बड़ी होगी और उम्मत-ए-मुहम्मदिया के बड़ी तादाद में लोग उसमें दाखिल होंगे।
सवाल 3: इस हदीस से हमें क्या सीखना चाहिए?
जवाब: हमें चाहिए कि हम गुनाहों से बचें, तौबा करें और अल्लाह की रहमत की उम्मीद रखें। नेक आमाल करके हम जन्नत के हक़दार बन सकते हैं।
अल्लाह हमें इस हदीस से सबक हासिल करने की तौफीक़ दे और हमें जन्नत में दाखिल करे। आमीन!
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