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Maa Baap ki Aapsi Mohabbat:Bachon ki Kaamyabi ka Asal Raaz

 
"अगर हम चाहते हैं कि हमारी नस्लें खुश, सेहतमंद और ज़हीन हों, तो हमें सबसे पहले अपने रिश्तों में मोहब्बत, सब्र, और हम-आहंगी पैदा करनी होगी।माँ-बाप की मोहब्बत और आपसी समझदारी बच्चों के लिए पहला और सबसे ताक़तवर स्कूल है।

माँ-बाप की आपसी मोहब्बत:बच्चों की कामयाबी का असल राज़

Bachon ki asal tarbiyat
Bachon ki Kaamyabi ka Asal Raaz 

बच्चों की तर्बियत सिर्फ़ स्कूल या मदरसे की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि वालिदैन का तर्ज़-ए-ज़िंदगी ही सबसे बड़ी दर्सगाह है।
क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे सेहतमंद, खुशमिजाज़ और कामयाब हों? जानिए कैसे माँ-बाप की आपसी मोहब्बत बच्चों की ज़िंदगी को संवार सकती है। एक ऐसी हक़ीक़त जो हर माता-पिता को जाननी चाहिए। तो आईए बढ़ते है इस लेख Maa Baap ki Aapsi Mohabbat:Bachon ki Kaamyabi ka Asal Raaz की तरफ़!



ख़ानदान, मोहब्बत, और तर्बियत — ये तीनों अनासिर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जब घर में मोहब्बत, हम-आहंगी और सुकून होता है, तब ही बच्चे एक मुसबत, मुतवाज़न और खुशहाल शख्सियत के हामिल बनते हैं। अक्सर हम बच्चों की तालीम व तर्बियत के लिए नसीहतों, स्कूल्स, या ट्यूशन का सहारा लेते हैं, लेकिन जो सबसे अहम नुक़्ता अक्सर नजर अंदाज़ कर दिया जाता है वो है माँ और बाप का आपस में मोहब्बत भरा रिश्ता जो कि बहुत ही कम घरों या मियां बीवी के रिश्तों में देखा और पाया जाता है ! 
अक्सर घरों में यह देखा जाता है कि मां बाप बच्चों के सामने ही किसी न किसी बात को लेकर हुज्जत व तकरार शुरू कर देते हैं! कभी गाली ग्लोच तो कभी एक दूरी पर हाथ उठा देना जो बच्चों के ज़हन पर बुरा असर डालता है!


माँ-बाप की मोहब्बत ही बच्चों की सबसे पहली तालीम है।"अपने बच्चों को खुश देखना है? तो पहले एक-दूसरे के साथ हुस्न ए सुलूक और मोहब्बत का रवैया अख़्तियार करें।۔"


माँ बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन क्या कर सकती है?

एक फैमिली सेमिनार के दौरान एक शख्स ने अपनी दिलचस्प दास्तान कुछ यूँ सुनाई:

"मैं एक तर्बियती नशिस्त में शरीक हुआ जहाँ तक़रीबन 30 अफ़राद मौजूद थे।
मुकर्रिर ने हमसे सवाल किया:
'बताइए, माँ अपने बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन क्या कर सकती है?'

हाज़िरीन ने मुख़्तलिफ़ जवाबात दिए:
मोहब्बत, दीनदारी, इख़लास, क़ुर्बानी, तहम्मुल, तक़्वा, सुकून... और दीगर खूबियाँ।

कुछ लम्हों की ख़ामोशी के बाद मुकर्रिर ने कहा:
'आप सब के जवाबात क़ाबिल-ए-तारीफ़ हैं, लेकिन मेरी तहक़ीक़ और तजुर्बे की रोशनी में माँ अपने बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन काम ये कर सकती है — कि वो उनके वालिद से मोहब्बत करे।'

शायद ये जवाब सुनकर बहुत से लोग चौंकें, मगर इस एक जुम्ले में एक पूरी तर्बियत का फलसफ़ा पोशीदा है।

जब एक माँ बाप एक-दूसरे से मोहब्बत करते हैं, एक-दूसरे को इज़्ज़त और तवज्जो देते हैं, तो वो महज़ अपना रिश्ता नहीं निभा रहे होते — बल्कि वो अपने बच्चों को एक जज़बाती तौर पर महफूज़, पुरसुकून और मुताज़िन माहौल दे रहे होते हैं।

और यही माहौल बच्चों की तामीर-ए-शख्सियत का सबसे पहला, सबसे अहम और सबसे गहरा ज़रिया बनता है।

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उज़दिवाजी मोहब्बत और बच्चों की ज़ेहनी नशोनुमा का तअल्लुक़

Maa Baap ki Aapsi Mohabbat
Maa Baap ki Aapsi Mohabbat 


तहक़ीक़ात से साबित होता है कि उज़दिवाजी झगड़े, तनाव और घर का बिगड़ा हुआ माहौल बच्चों की ज़ेहनी और जज़्बाती तरक़्क़ी पर गहरा असर डालते हैं। ये असरात महज़ चंद लम्हों या दिनों तक महदूद नहीं रहते, बल्कि बचपन से लेकर जवानी तक बच्चे की शख्सियत, रवैये, और सीखने की सलाहियतों को शनाख्त करते हैं।

एक नामवर माहिर-ए-नफ्सियात ने एक वाक़िआ सुनाते हुए कहा:

"एक मर्तबा एक शख्स मेरे पास आया और बोला:
'मैं चाहता हूँ मेरा बेटा हारवर्ड यूनिवर्सिटी में दाख़िला ले। बताइए मैं उसकी तर्बियत कैसे करूँ?'

मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया:
'घर जाइए और अपनी बीवी से मोहब्बत कीजिए।'
(Go home and love your wife)"

शायद ये जवाब सादा लगे, मगर इस में एक बहुत बड़ी हक़ीक़त पोशीदा है। बच्चों की कामयाबी, खुदएतिमादी और ज़ेहनी नशोनुमा का रास्ता अक्सर वालिदैन की आपसी मोहब्बत और ख़ुशगवार रिश्ते से होकर गुज़रता है। जब बच्चा एक पुरसुकून और मोहब्बत भरे माहौल में परवरिश पाता है, तो वो दुनिया का सामना ज़्यादा मजबूती, समझदारी और एतमाद के साथ करता है।

"याद रखिए: अगर हम वालिदैन बनने की ज़िम्मेदारी शऊर और मोहब्बत से नहीं निभा सकते, तो हमें ये सोचना होगा कि हम नई ज़िंदगियों को दुनिया में क्यों ला रहे हैं — ऐसी रूहें जो सिर्फ़ हमारी बे-तवज्जोही और सख़्ती से तकलीफ़ में रहें?


एक हम-आहंग ख़ानदान — कामयाब नस्ल की ज़मानत


जब किसी घर में बाहमी मोहब्बत, एहतराम और तवज्जो का माहौल हो, तो उस ख़ानदान की बुनियाद मज़बूत होती है — और यही बुनियाद एक कामयाब नस्ल की ज़मानत बनती है।

ऐसे पुरसुकून माहौल का बच्चों पर सीधा और देरपा असर पड़ता है:

बच्चे कम बीमारियों में मुबतला होते हैं

उनमें ज़िद और ग़ुस्से का मिज़ाज कम होता है

तशद्दुद और मनफ़ी रवैयों से दूर रहते हैं

उनके अंदर एतिमाद, ख़लाक़ियत और तालीमी कारकर्दगी में नुमायां बेहतरी आती है

उन्हें गहरा एहसास-ए-तहफ़्फ़ुज़ हासिल होता है

याद रखिए, बच्चों की सबसे असरदार तर्बियत वो होती है जो वो अपने माँ-बाप के आपसी रवैये और बर्ताव से सीखते हैं — न कि महज़ ज़बानी नसीहतों और हिदायतों से।
माँ-बाप की मोहब्बत और आपसी समझदारी बच्चों के लिए पहला और सबसे ताक़तवर स्कूल है।

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Conclusion


मोहब्बत का घर — एक कामयाब नस्ल की पहली दर्सगाह है !
Maa Baap ki Aapsi Mohabbat:Bachon ki Kaamyabi ka Asal Raaz है अगर हम चाहते हैं कि हमारी नस्लें खुश, सेहतमंद और ज़हीन हों, तो हमें सबसे पहले अपने रिश्तों में मोहब्बत, सब्र, और हम-आहंगी पैदा करनी होगी।
बच्चों की तर्बियत सिर्फ़ स्कूल या मदरसे की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि वालिदैन का तर्ज़-ए-ज़िंदगी ही सबसे बड़ी दर्सगाह है।

याद रखिए:
अगर हम वालिदैन बनने की ज़िम्मेदारी शऊर और मोहब्बत से नहीं निभा सकते, तो हमें ये सोचना होगा कि हम नई ज़िंदगियों को दुनिया में क्यों ला रहे हैं — ऐसी रूहें जो सिर्फ़ हमारी बे-तवज्जोही और सख़्ती से तकलीफ़ में रहें?

आईए!
मोहब्बत से रिश्ते निभाएं — ताके आने वाली नस्लें भी मोहब्बत से परवान चढ़ें।

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Author
लेखक: मोहिबज़ ताहिरी
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FAQs:


सवाल 1:क्या वाक़ई मियाँ-बीवी का प्यार बच्चों पर असर डालता है?
जवाब:हाँ, अगर मियाँ-बीवी आपस में मोहब्बत से रहें तो घर का माहौल अच्छा रहता है। इससे बच्चे ख़ुश रहते हैं, उनका दिमाग़ सही तरह से बढ़ता है और वो खुद पर भरोसा करना सीखते हैं।

सवाल 2:अगर माँ-बाप के रिश्ते अच्छे न हों तो बच्चों पर क्या असर होता है?
जवाब:अगर घर में झगड़े हों तो बच्चे डर, ग़ुस्से या उदासी का शिकार हो सकते हैं। उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता और दूसरे लोगों से मिलना-जुलना भी मुश्किल हो जाता है।

सवाल 3:बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए माँ-बाप को क्या करना चाहिए?
जवाब:माँ-बाप को आपस में मोहब्बत और इज्ज़त से रहना चाहिए। बच्चों को वक़्त देना चाहिए और अपने अच्छे बर्ताव से उन्हें ज़िंदगी जीने का सलीक़ा सिखाना चाहिए।

सवाल 4:अगर शौहर या बीवी साथ न दे तो क्या किया जाए?
जवाब:सब्र से काम लें, दुआ करें और आपस में बात करके मसला हल करने की कोशिश करें। अगर ज़रूरत हो तो किसी समझदार रिश्तेदार या काउंसलर की मदद लें।

सवाल 5:क्या माँ-बाप की मोहब्बत से बच्चे खुदमुख़्तार बनते हैं?
जवाब:जी हाँ। जब बच्चों को प्यार और तहफ़्फ़ुज़ मिलता है तो वो खुद पर भरोसा करते हैं, अच्छे फैसले लेते हैं और ज़िम्मेदार इंसान बनते हैं।

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